पूज्य माताजी के दीक्षा दिवस पर जैन मंदिर में जुटे भक्त

भिलाई। श्री त्रिवेणी जैन तिर्थ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 06 में परम पूज्य आचार्य श्री विद्या सागरजी महाराजजी शिष्या 105 श्री गुरूमती माताजी का 32 वां दीक्षा दिवस उत्साह पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर जैन भवन सेक्टर 06 के प्रतिभा स्थली चंद्रगिरि जैन तीर्थ डोंगरगढ़ के बालिकाओं और दीदियों के साथ पूजन करते हुए भक्तिभाव के साथ मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 7.30 बजे श्री 1008 पाश्र्वनाथ भगवान के अष्टधातु की प्रतिमा और पाषाण की मूलनायक प्रतिमा के मंगल अभिषेक, शांतिधारा, पूजन आरती हुआ एवं आचार्य छत्तीसी विधान पूजन के साथ हुआ। जहां माताजी के अमृतवचन में शांतिधारा का सौभाग्य प्रवीण छाबरा,भारत गोधा,दीपचंदजी,एवं अभिषेक ज्ञानचंद बाकलीवाल, प्रशांत जैन मुकेश जैन,महावीर निगोटिया ,कपूरचंद छाबरा,संतोष विनायक,सुनील जैन,मुन्ना जैन,आशीष जैन,वरुण जैन,संजय चतुर,मुकेश बाकलीवाल शिम्पी जैन, परमानंदजी जैन, प्रमोद जैन,आदि ने किया।
पूज्य गुरूमती माताजी के 32 दीक्षा दिवस पर उनकी शिष्याओं ने वन्दामि कर आशीर्वाद लिया। चंद्रगिरि की दीदी ने माताजी के जीवनचर्या और जीवन पर उनके रत्नत्रय धर्म की विस्तार से जानकारी सभा मे दिया सभी भक्तों ने पूज्य माताजी को श्रीफल अर्पण कर विधान पूजन किये। दोपहर में छत्तीसगड़ से अनेक जैन मंदिरों के प्रतिनिधि जिसमे राजनांदगांव,डोंगरगढ़ डोंगरगांव, रायपुर, राजिम, नागपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बुंदेलखंड सहित वैशालीनगर, सेक्टर 06,नेहरूनगर, पद्मनाभपुर, स्टेशन रोड दुर्ग, बड़ा जैन मंदिर दुर्ग आदि क्षेत्रों से हजारों धार्मिक जनो ने धर्मलाभ लिया। मीडिया प्रभारी प्रदीप जैन बाकलीवाल ने बताया कि आज के सफल कार्यक्रम में जैन समाज के कार सेवकों की सहभागिता भी रही। मंच संचालन प्रशांत जैन ने किया। सभी उपस्थित जनो का अभिवादन करते हुए। चंद्रगिरि के बालिकाओ और दीदियों को,सम्मानित, पुरस्कृत ज्ञानचंद बाकलीवाल नेकिया। माताजी को शास्त्र भेट अनिल कासलीवाल ने किया। इस अवसर पर पूज्य गुरूमती माताजी के सानिध्य में पुलवामा के शहीदो को मौन रहकर श्रद्धांजलि दी गई।
नाट्य प्रस्तुति से संस्कार का पथ प्रदर्शन
आज की युवा पीड़ी व उनके परिजनों को सुसंस्कार शिक्षा से जोडने के लिए प्रतिभास्थली के बालिकाओं ने अपने भव्य कला की नाट्य प्रस्तुति से संस्कार का पथ प्रदर्शन दिए जिसमे देशभक्ति, शिक्षा संस्कार, मातापिता की सेवा और धार्मिक संस्कारो से आज के युवा अपने आपको कैसे अच्छे रूप में अपनेआपको ढाले उसकी भव्य प्रस्तुति दिए,जिसकी सभीने सराहना किया।
शांति के दूत बनकर जीवन जिये
अपने अमृत्वचनों में पूज्य गुरूमती माताजी ने विश्वजगत में शांति कायम रहे उसके लिए जनसमूह को कहा कि आप सभी शांति के दूत बनकर जीवन जिये,अपने आपको पहचाने अपने अंर्तआत्मा में शाश्वत शांति के लिए बगेर रागद्वेष केअपने ह्रदय में अमन शांति की वास्तविकता को धारण करें। माताजी ने कहा कि आज हम अपने व्यापार जीवन शैली को ऑनलाइन से तो जोड़ रहे है,लेकिन अपने अंतरात्मा में, प्रभु का स्मरण करते हुए सात्विकभावो के साथ संयम, शांति को धारण कर जीवन को ऑनलाइन से जोडिय़े सादगी के साथ रहिए। आज अनेक तरह की थेरेपी जिसमे आयुर्वेदिक,बियोथेरेपी,एलोपेथिक थेरेपी आदि को अपना रहे हो,एक फिजियोथेरेपी सेंटर आपके भवन में लगा है लोग बतारहे की अच्छा रिजल्ट आ रहा है माताजी, आप भी अपने जीवन मे अछेकार्यो के साथ ऐसे ही थेरेपी के साथ ,जीवन जीयो, मोके का फायदा मत उठाओ, मौका को देखकर समयसार अनुसार बदल जाओ। मौका को देखकर सम्भल जाओ समयसार को धारण कर शांति से जीवन जिओ। में एक हु,में शुद्ध हु,अपने आपको पहचानो, और वास्तविकता में जीवन जिये।