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वो देश, जहां अब भी शौक से खाया जा रहा है चमगादड़ों का मांस bat and wildlife meat market in indonesia during coronavirus | knowledge – News in Hindi

वो देश, जहां अब भी शौक से खाया जा रहा है चमगादड़ों का मांस

चीन के वुहान के फैले कोरोना वायरस के कहर से इंडोनेशिया भी अछूता नहीं है

दुनियाभर में चमगादड़ों को लेकर बहस हो रही है कि इनसे ही कोरोना वायरस इंसानों तक पहुंचा. इन सबके बीच इंडोनेशिया (Indonesia) में भी अब भी चमगादड़ का बड़े शौक से खाया जा रहा है. वहां के लोगों का तर्क है कि इससे अस्थमा (asthma) और कई गंभीर बीमारियां ठीक होती हैं. 

कोरोना संक्रमण (corona infection) का वैश्विक आंकड़ा 46 लाख पार कर चुका है. इस बीच मीट खाने वाले देश (meat eater countries) तमाम तरह के मीट से तौबा कर रहे हैं. यहां तक कि कोरोना के केंद्र रह चुके चीन (China) में भी अप्रैल में डॉग मीट पर बैन (ban on dog meat) लग गया. चमगादड़ों (bat) के बारे में ये तथ्य आने के बाद कि उसमें 15 हजार से ज्यादा वायरस होते हैं, मांस के शौकीन उसका मांस भी छोड़ चुके हैं. वहीं इंडोनेशियाई मार्केट में अब भी बैट मीट (bat meat) दिख रहा है.

यहां एक पारंपरिक वेट मार्केट, जहां पालूत से लेकर जंगली जानवरों का मीट और साग-सब्जियां साथ-साथ मिलती हैं, वहां बैट मीट भी बिक रहा है. Tomohon Extreme Market नाम के इस मार्केट में सुलावेसी द्वीप (sulawesi island) से चमगादड़ों के अलावा सांप, चूहे, छिपकलियां पकड़कर लाई और बेची जाती हैं. यानी कुल मिलाकर ये बाजार विभिन्न खतरनाक वायरसों का खुला बाजार है. अब भी चमगादड़ों की बिक्री पर इंडोनेशिया में कोरोना वायरस टास्क फोर्स के लीड एक्सपर्ट Wiku Adisasmito ने टीम के दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर इस मार्केट में जंगली पशुओं की बिक्री पर बैन लगाने की गुहार लगाई है.

यहां चमगादड़ों के साथ चूहे, बिल्लियां, छिपकली, मेढ़क और यहां तक कि 20 फीट तक लंबे पायथन तक मिलते हैं

बता दें कि दिसंबर में चीन के वुहान के फैले कोरोना वायरस के कहर से इंडोनेशिया भी अछूता नहीं है. यहां अब तक 16,496 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, वहीं 1000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. ये आंकड़ा पूर्वी एशिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा है. फिलहाल कोरोना के टीके की खोज में लगे वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ों से ही ये वायरस वुहान में फैला और वहां से पूरी दुनिया. हालांकि इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन इतना पक्का है कि चमगादड़ों में इंसानी सेहत को प्रभावित करने वाले वायरस होते हैं. जैसे साल 2002-03 में फैली सार्स (SARS) बीमारी के वायरस भी चीन के वेटमार्केट में चमगादड़ों की बिक्री-खरीदी के दौरान फैले माने जाते हैं.अब चीन में जंगली जानवरों की बिक्री पर रोक लग चुकी है लेकिन इंडोनेशिया का Tomohon मार्केट अब भी उतना ही गुलजार है. यहां पर कुत्ते के मांस की एक खास डिश का नाम है Rica-rica. वैसे इस डिश में कुत्ते के अलावा दूसरे कई जानवरों का मांस भी मिलाया जाता है. वहीं Rica-rica waung डिश में सिर्फ छोटे और नर्म कुत्तों का मांस पकाते हैं.

चमगादड़ों के बारे में ये तथ्य आने के बाद कि उसमें 15 हजार से ज्यादा वायरस होते हैं, मांस के शौकीन उसका मांस छोड़ चुके हैं

क्या-क्या बिकता है
यहां के वाइल्डलाइफ सेक्शन में लगभग 120 कसाई अपनी दुकान सजाते हैं, जिसमें चमगादड़ों के साथ चूहे, बिल्लियां, छिपकली, मेढ़क और यहां तक कि 20 फीट तक लंबे पायथन तक मिलते हैं. सुलावेसी द्वीप में चामगादड़ या दूसरे जानवरों को पकड़ने के बाद यहां मार्केट में सजने से पहले ही उन्हें काट दिया जाता है. सिर्फ कुत्तों को ही पिंजरों में जिंदा सजाकर रखा जाता है ताकि जो ग्राहक ताजा कुत्ते का मांस खाना चाहें, वे उसे जिंदा ही घर ले जा सकें. स्थानीय लोग मानते हैं कि जंगली पशुओं में मेडिसिनल गुण होते हैं यानी उन्हें खाने पर कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं. जैसे चमगादड़ों के बारे में इंडोनेशियाई मानते हैं कि उसका मांस अस्थमा ठीक करता है. यही वजह है कि यहां पर सुपर मार्केट तक में बैट मीट मिल जाता है.

चमगादड़ और कुत्ते का मीट पारंपरिक इंडोनेशियाई डिश के लिए जरूरी माना जाता है

कोरोना के बारे में लगातार इस कयास के चलते कि ये जंगली जानवरों के मीट से फैला है, इंडोनेशिया में भी इसके बैन पर मांग उठ रही है. देश के एक एनजीओ Dog Meat Free Indonesia ने पीएम जोको विडोडो से मांग की कि जल्दी ही इस मार्केट और जंगली पशुओं की बिक्री करने वाले सारे मार्केट बंद किए जाएं ताकि कोई और वायरस न फैले. इंडोनेशिया में Tomohon अकेला मार्केट नहीं, जहां वाइल्डलाइफ की बिक्री होती है, बल्कि ऐसे 6 और बड़े मार्केट हैं. जावा, सुमात्रा, बाली और सुलावेसी के अलावा छोटी जगहों पर भी मार्केट चलते हैं. हालांकि इस तरह के मार्केट बंद किए जाने की अपील का विरोध भी हो रहा है. स्थानीय लोगों का मानना है कि वे यह सब दशकों से खाते आए हैं और इसका बीमारी से कोई संबंध नहीं. साथ ही चमगादड़ और कुत्ते का मीट पारंपरिक इंडोनेशियाई डिश के लिए जरूरी माना जाता है.

अब वायरस के डर से वहां मार्केट खुलने के घंटों की कटौती हुई है लेकिन मार्केट में चमगादड़ों-सांप की बिक्री पर बैन नहीं लग सका. खुद अधिकारियों को डर है कि ऐसा करने पर इन्हीं चीजों को खाना पसंद करने वाले और दुकानदार भी विरोध में उतर आएंगे.

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First published: May 16, 2020, 10:35 AM IST



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