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सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली रेहाना को BSNL ने दिया अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश | Rehana Fathima who tried to enter Sabarimala sacked by BSNL | nation – News in Hindi

सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली रेहाना को BSNL ने दिया अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश

उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में रजस्वला (10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की) महिलाओं के प्रवेश पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध को सितंबर 2018 में हटाने का निर्देश दिया था.

रेहाना फातिमा (Rehana Fatima) उन दो महिलाओं में शामिल है, जो 18 अक्टूबर को सबरीमला मंदिर (Sabarimala Mandir) की पहाड़ी पर पहुंची थी लेकिन अयप्पा श्रद्धालुओं के व्यापक विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें गर्भ गृह पहुंचने से पहले ही लौटना पड़ा था.

कोच्चि. सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) ने सबरीमला (Sabarimala) स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर (Lord Ayappa’s Temple) में प्रवेश की कोशिश करने वाली अपनी कर्मचारी एवं कार्यकर्ता रेहाना फातिमा (Rehana Fatima) की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया है. सोशल मीडिया पोस्ट (Social Media Post) के जरिये श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने के फातिमा के ‘इरादतन’ कृत्य को लेकर यह आदेश जारी किया गया है.

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में टेलीकॉम टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त फातिमा को नवंबर 2018 में उसकी गिरफ्तारी के बाद सेवा से निलंबित कर दिया गया था. फेसबुक पोस्ट के जरिये धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर आहत करने को लेकर यह कार्रवाई की गई थी. कंपनी द्वारा अपनी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश की निंदा करते हुए कार्यकर्ता ने कहा कि वह अपने खिलाफ जारी इस आदेश को उपयुक्त मंच पर चुनौती देंगी.

फातिमा ने बताया इसे राजनीतिक हाथ
फातिमा ने संवाददाताओं से बात करते हुए आरोप लगाया कि इस फैसले के पीछे राजनीतिक हाथ है. फातिमा को जारी अपने आदेश में कंपनी ने कहा कि उसने उसके आचरण की आंतरिक जांच करने के बाद यह फैसला किया. कंपनी ने कहा, ‘‘बीएसएनएल में काम करने वाले किसी अधिकारी से बीएसएनएल के सर्वश्रेष्ठ हितों की पूर्ति करने की उम्मीद की जाती है.’’उप महाप्रबंधक (कर/आईटीए एवं शहरी) ने आदेश में कहा, ‘‘मैंने यह पाया है कि फातिमा का कृत्य इरादतन था, ना कि दुर्घटनावश. ’’

18 अक्टूबर को एक अन्य महिला के साथ सबरीमाला गई थीं फातिमा
फातिमा उन दो महिलाओं में शामिल है, जो 18 अक्टूबर को सबरीमला मंदिर की पहाड़ी पर पहुंची थी लेकिन अयप्पा श्रद्धालुओं के व्यापक विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें गर्भ गृह पहुंचने से पहले ही लौटना पड़ा था.

दरअसल, उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सबरीमला मंदिर में रजस्वला (10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की) महिलाओं के प्रवेश पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध को सितंबर 2018 में हटाने का निर्देश दिया था. इस फैसले को श्रद्धालुओं ने चुनौती दी थी.

फातिमा 2014 में कथित नैतिकता की ठेकेदारी के खिलाफ ‘किस ऑफ लव’ अभियान का भी हिस्सा रही थी.

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First published: May 14, 2020, 10:57 PM IST



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