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Lockdown के बाद प्रवासी परिंदों को रास आई मेवाड़ के जलाशयों की आबोहवा, जानिए क्यों? – After the lockdown migratory birds have experienced the rains of Mewar reservoir, know why? | udaipur – News in Hindi

Lockdown के बाद प्रवासी परिंदों को रास आई मेवाड़ के जलाशयों की आबोहवा, जानिए क्यों?

वागड़-मेवाड़ के जलाशय पहले से ही प्रदूषण मुक्त और मानवीय गतिविधियों से दूर हैं और इसी वजह से यहां प्रवासी परिंदों की अधिकता देखी जा रही थी.

शीतकाल के बाद प्रवासी पक्षी मेवाड़ (Mewar) से पुन: प्रस्थान कर जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते जलाशयों के समीप मानव व्यवधान नहीं के बराबर होने के चलते इन प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) को भी यहां का मौसम रास आ रहा है.

उदयपुर. इसे कोविड-19 (COVID-19) के कारण लागू किए गए लॉकडाउन (Lockdown) का ही असर कहा जाएगा कि प्रवासी पक्षियों (migratory birds) द्वारा शीतकाल जाने के बाद भी इन दिनों मेवाड़ के जलाशयों में उन्होंने डेरा डाल रखा है. ताजा उदाहरण जिले और नजदीक स्थित कई तालाबों पर जलक्रीड़ारत स्थानीय पक्षियों के ढेर के बीच प्रवासी परिंदों का कलरव है. आमतौर पर शीतकाल के बाद प्रवासी पक्षी मेवाड़ से पुन: प्रस्थान कर जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते जलाशयों के समीप मानव व्यवधान नहीं के बराबर होने के चलते इन प्रवासी पक्षियों को भी यहां का मौसम रास आ रहा है.

सबसे अधिक है फ्लेमिंगों की तादाद
उदयपुर में प्रवासी पक्षियों के सबसे पसंदीदा स्थान के रूप में प्रसिद्ध मेनार तालाब में बड़ी संख्या में स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षी अभी भी मौजूद हैं. इन पक्षियों में सबसे बड़ी तादाद फ्लेमिंगों की है, जो कि सौ से अधिक संख्या में इन दिनों जलक्रीड़ारत हैं. मुख्यतः मध्य यूरोप, रशिया, कजाकिस्तान, मंगोलिया और हिमालय के तराई क्षेत्र से आने वाले प्रवासी पक्षी रडी शॅलडक (सुर्खाब), शॉवलर्स और कॉमन पॉचार्ड है जो स्थानीय पक्षियों के साथ अभी भी इन तालाबों पर आशियाना बनाएं हुए हैं. मेनार की तरह ही किशन करेरी और बड़वई के तालाब में भी प्रवासी पक्षियों का बड़ी संख्या में अभी तक रुके रहना पक्षीप्रेमियों को आश्चर्यचकित कर रहा है. उनका मानना है कि इतने लंबे समय तक पक्षियों के यहां रूकने का कदाचित यह पहला मौका है अन्यथा इक्का-दुक्का संख्या में ही ये प्रवासी पक्षी कभी-कभार दिखते थे.

कभी-कभार ज्यादा समय बीता सकते हैं पक्षी: डॉ. सतीश शर्माकिशन करेरी के पक्षीमित्र बताते हैं कि गांव के तालाब में प्रवासी पक्षी रडी शॅलडक, नॉर्थन शॉवलर, नॉथर्न पिनटेल, यूरेशियन विज़न, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, गारगेनी आदि के साथ स्थानीय पक्षी सारस क्रेन, पेंटेड स्टोर्क, ग्रेटर फ्लेमिंगो, स्पॉटबिल डक, यूरेशियन स्पूनबिल, पर्पल स्वैम्पहेन, ब्लैक टेल्ड गोडविट, सेंडपाइपर, किंगफ़िशर, कॉमन कूट, ब्लैक हेडेड आईबीज, रेड नेप्ड आईबीज, ब्लैक विंगड स्टिल्ट, लिटिल ग्रीब, स्मॉल मिनिवेट, स्वैलो, ब्लैक शोल्डर्ड काईट आदि दिखाई दे रहे हैं. देश के ख्यातनाम पर्यावरण विज्ञानी डॉ. सतीश शर्मा के अनुसार भोजन की तलाश में यहां पहुंचने वाले प्रवासी पक्षी कभी-कभार अनुकूल स्थितियां पाकर ज्यादा समय बीता सकते हैं.

प्रवासी पक्षियों को रास आ रहा है यहां का मौसम
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. कमलेश शर्मा का मानना है कि बहुत ही सुखद है कि प्रवासी पक्षियों को यहां का मौसम रास आ रहा है. वागड़-मेवाड़ के जलाशय पहले से ही प्रदूषण मुक्त और मानवीय गतिविधियों से दूर हैं और इसी वजह से यहां प्रवासी परिंदों की अधिकता देखी जा रही थी. अब कोरोना महामारी के कारण ये जलाशय इन परिंदों के लिए और अधिक अनुकूल साबित हो रहे हैं. कमेलश शर्मा ने जनता से अपील की हैं कि वे पक्षियों के इस प्राकृतिक आवास न तो  प्रदूषित करें और न ही अपने हित के लिए उनको नष्ट या क्षतिग्रस्त करें.

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First published: May 13, 2020, 4:31 PM IST



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