COVID-19: इस तरह एक सफारी कर्मी बन गया असम के अस्पताल का हीरो । COVID-19 a safari karmchari cleaner became the hero of a hospital in Assam got viral on Facebook | nation – News in Hindi


तुलु बासफोर, अपने एक कदम के चलते फेसबुक पर वायरल हुए थे
गोलपाड़ा (Golpara) जिले की उपायुक्त वरनाली डेका ने अपने फेसबुक पेज की एक पोस्ट को इस तरह की आवाज़ों को समर्पित करने का फैसला किया. वह कहती हैं, “फ्रंटलाइन पर किए जा रहे इन प्रयासों को मान्यता देने के लिए, हमने फेसबुक (Facebook) पर उनकी कहानियों को बताने करने का फैसला किया है.”
असम (Assam) के गोलपारा जिले (Golpara District) के एक होटल में क्वारंटाइन (Quarantine) किए गए बासफोर ने उन्हें दो सप्ताह से नहीं देखा था. तुलु ने उन्हें जवाब दिया, “मैं क्वारंटाइन हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं पॉजिटिव हूं,” उन्होंने कहा, “दूसरों की बात मत सुनो. मैं ठीक हूं. आप तनाव मत लो.”
‘टेंशन (तनाव) मत लो’- यह एक ऐसी बात थी जो 31 वर्षीय बासफोर खुद को भी बता रहे थे
विशेष रूप से अप्रैल में सात दिनों के दौरान, जब वह एक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) सूट पहनकर गोलपारा सिविल अस्पताल के COVID-19 वार्ड में घूमते थे, जहां नये कोरोना वायरस से संक्रमित तीन रोगियों को भर्ती कराया गया था. एक बार अंदर जाने के बाद, वह फर्श पर पोछा मारते थे, इस्तेमाल की गई कटलरी को हटा देते थे और बाथरूम को कीटाणुरहित कर देते थे.मोनिकुंतला चौधरी, जो उस समय गोलपारा सिविल अस्पताल के अधीक्षक के रूप में संक्षेप में कह रही थीं, बताती हैं, “यह एक ऐसा काम था, जिसे कोई नहीं करना चाहता था. फिर भी, उस दिन जब अस्पताल के पूरे चौथी श्रेणी के कर्मचारियों ने वायरस के संक्रमण के डर से ‘किसी भी COVID-19 वार्ड को साफ’ करने से इनकार कर दिया, तब वो बासफोर थे, जो इसके लिए सामने आए थे. उस दिन मैं कभी नहीं भूलूंगीं- स्टाफ ने काम करने से इंकार कर दिया था और मैं फंस गई थी. जब तुलु बासफोर ने हमें बचाया.”
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूंगा …. ‘
यहां तक कि पूर्व-कोरोना वायरस काल में, एक व्यस्त अस्पताल में- नर्सों, डॉक्टरों, रोगियों और रिश्तेदारों के साथ गुलजार- एक चौकीदार, या सफाई कर्मचारी (Cleaner) की भूमिका, शायद सबसे ज्यादा अनदेखी होती है. फिर भी, उनके काम बहुत महत्वपूर्ण हैं.
इसी विचार के साथ था कि गोलपाड़ा जिले की उपायुक्त वरनाली डेका ने अपने फेसबुक पेज की एक पोस्ट को इस तरह की आवाज़ों को समर्पित करने का फैसला किया. वह कहती हैं, “फ्रंटलाइन पर किए जा रहे इन प्रयासों को मान्यता देने के लिए, हमने फेसबुक (Facebook) पर उनकी कहानियों को बताने करने का फैसला किया है.”
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First published: May 12, 2020, 7:44 PM IST