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कोरोना संकट- कंपनियों के लिए सबसे बड़ी टेंशन बनी श्रमिकों की कमी, जानिए पूरा मामला-Labour shortage in india as coronavirus covid 19 Know Here in Hindi | business – News in Hindi

 नई दिल्ली. कोरोना के इस संकट में कंपनियों के सामने रोजाना नई-नई परेशानियां आ रही है. पहले लॉकडाउन की वजह से प्रोडक्शन बंद हो गया. अब उसे शुरू करने के लिए कंपनियों के पास श्रमिकों की कमी हो गई है. अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी ) में छपी खबर के मुताबिक कंस्ट्रक्शन, कंज्यूमर गुड्स और ईकॉमर्स सेक्टर्स की कंपनियों में यह समस्या साफ दिख रही है. बड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में भी लॉकडाउन खत्म होने के बाद कंपनियों को कामकाज शुरू होने पर इस तरह की समस्याओं से जूझना होगा.

CREDAI नेशनल के प्रेसिडेंट सतीश मागर ने कहा, कुछ मजदूरों को ज्याद पैसा देकर रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन डर इतना ज्यादा है कि वे रुकने को राजी नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मजदूरों की कमी के कारण मेहनताना 15-20 प्रतिशत बढ़ेगा.

ई-कॉमर्स कंपनियां स्टाफ को रोकने के लिए बढ़ानी पड़ रही है सैलरी

>> अखबार के अनुसार, ई-कॉमर्स डिलीवरी और वेयरहाउस स्टाफ की सैलरी अब तक 50-100 प्रतिशत बढ़ चुकी है. स्थिति सामान्य दिख रही है, लेकिन पूरी तरह सुधार नहीं हुआ है.>> फ्लिपकार्ट और एमेजॉन 70-100 प्रतिशत वेज बढ़ोतरी का सामना कर रही हैं, वहीं ग्रोफर्स ने कहा कि वह 25-50 प्रतिशत ज्यादा पेमेंट कर रही है.

>> ऑनलाइन ग्रॉसरी बेचने वाली कंपनियों ने लॉकडाउन के दौरान कारोबार बढ़ा लिया, लेकिन फ्लिपकार्ट और एमेजॉन की ग्रोथ शायद जस की तस रहे.

>> इसके चलते बड़ी मार्केटप्लेस अपने ग्राउंड वर्कफोर्स की संख्या शायद न बढ़ाएं. पिछले दो वर्षों से वे वर्कफोर्स में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी करती आ रही थीं.

कंज्यूमर कंपनियों की लागत 20 फीसदी तक बढ़ी

कंज्यूमर कंपनियों का भी कहना है कि उनकी लागत 15-20 प्रतिशत बढ़ी है, खासतौर से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में. ऐसा ड्राइवरों और लोडरों की कमी के कारण हुआ है.

कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि स्टाफ की कमी की भरपाई के लिए कारखानों में ओवरटाइम कर रहे वर्कर्स को ज्यादा पेमेंट करना पड़ रहा है.

पारले प्रॉडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड बी कृष्ण राव ने ईटी को बताया कि अधिकतर मजदूरों के अपने राज्यों से जल्द वापस आने की उम्मीद नहीं है. हमें लग रहा है कि स्थिति और खराब होगी.

हमें अपने कारखाने चलाने और सप्लाई चेन बनाए रखने के लिए अतिरिक्त लागत उठानी होगी, लेकिन इससे मार्जिन घट गया है.

स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरर्स पर अभी असर नहीं पड़ा है क्योंकि उनके कारखानों में उत्पादन शुरू ही नहीं हुआ है और उनके अधिकतर वेयरहाउस रेड जोन में होने के कारण बंद हैं. व

हीं कंस्ट्रक्शन सेक्टर मॉनसून के आसपास अपने गांव जाते रहे हैं, लेकिन इस बार बड़ी तादाद में वे निकले हैं.



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