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अनिवार्य अवकाश पर भेजे जाएंगे पालघर के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह: अनिल देशमुख | Palghar districts Superintendent of Police Gaurav Singh sent on compulsory leave | maharashtra – News in Hindi

अनिवार्य अवकाश पर भेजे जाएंगे पालघर के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह: अनिल देशमुख

मंत्री ने कहा कि यह घटना मानवता पर कलंक है.

पिछले महीने लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान पालघर (Palghar) जिले के एक गांव में भीड़ ने दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीट की हत्या (लिंचिंग) कर दी थी.

पालघर. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार ने पालघर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) गौरव सिंह को अनिवार्य अवकाश पर भेजने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि पिछले महीने लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान पालघर (Palghar) जिले के एक गांव में भीड़ ने दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीट की हत्या (लिंचिंग) कर दी थी.

देशमुख आज दिन में गडचिंचले (Garhchinchle) गांव में गए थे जहां 16 अप्रैल की रात लिंचिंग की यह घटना हुई थी. उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बातचीत की. मंत्री ने कहा कि यह घटना मानवता पर कलंक है.

देशमुख ने वीडियो संदेश में कही ये बात
देशमुख ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैंने वहां जनप्रतिनिधियों, विधायक, सांसद, ग्राम पंचायत के सदस्यों और अन्य से भेंट की. उसके बाद राज्य सरकार ने पालघर के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह को अनिवार्य अवकाश पर भेजने का फैसला लिया.’’मंत्री ने कहा कि पुलिस अधीक्षक का प्रभार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को दिया जाएगा.

इस मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) की अपराध शाख (सीआईडी) कर रही है और उसने नौ नाबालिगों समेत 115 लोगों को गिरफ्तार किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी है रिपोर्ट
इससे पहले एक मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Governement) को, पालघर (Palghar) में 16 अप्रैल को हिंसक भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट पीट कर हत्या किये जाने की घटना की जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस घटना की सीबीआई जांच के लिये दायर याचिका की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को यह निर्देश दिया. महाराष्ट्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करनी है.

याचिका में लगाया गया ये आरोप
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि भीड़ द्वारा दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट पीट कर हत्या की घटना पुलिस की विफलता का नतीजा है क्योंकि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करके यह भीड़ वहां एकत्र हुयी थी.

शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड की जांच पर रोक लगाने से इंकार करते हुये याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस याचिका की एक प्रति महाराष्ट्र सरकार के वकील को सौंपे. राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देना है.

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First published: May 7, 2020, 10:41 PM IST



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