दिल्ली की कोर्ट ने कहा- कोविड-19 संकट में देश सांप्रदायिक वैमनस्य के लिए तैयार नहीं | delhi court says india is not ready for communal enmity in covid 19 crisis | delhi-ncr – News in Hindi
कोर्ट ने की टिप्पणी.
दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने पुलिस को उन दो महिलाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया, जिन्होंने साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील टिप्पणी की.
अदालत का आदेश एक स्थानीय निवासी वैज इस्लाम की अर्जी पर आया है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि 16 अप्रैल को लाल कुआं के रोगरन इलाके में दो अज्ञात महिलाओं ने साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील टिप्पणी कर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की.
उन्होंने आरोप लगाया कि ये महिलाएं लोहे का सरिया लिये हुए थीं और लॉकडाउन की परवाह किये बगैर इलाके में स्वच्छंद रूप से घूम रही थीं. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इस घटना की सूचना पुलिस को दी लेकिन आज की तारीख तक इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस पर, मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर ने हौज काजी पुलिस थाने के प्रभारी को इस सिलसिले में आईपीसी की संबद्ध धाराओं के तहत एक मामला दर्ज करने और उसके मुताबिक मामले की जांच करने का निर्देश दिया.
अदालत ने कहा, ‘‘यह घटना जहां हुई वह एक संवेदनशील इलाका है, जहां पहले भी साम्प्रदायिक तनाव देखने को मिले हैं. इसलिए, यदि इस तरह की घटनाओं पर कानून हरकत में नहीं आता है तो यह लोक शांति में खलल डालेगा और सौहार्द बिगाड़ने की ओर ले जाएगा, जिसके लिये राष्ट्र मौजूदा कोविड-19 संकट के दौरान तैयार नहीं है.’’अदालत ने यह भी कहा कि जब पुलिस के पास किसी संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है तो मामला दर्ज करने के लिये वह कर्तव्यबद्ध है. इस्लाम ने दावा किया कि उक्त महिलाओं ने इलाके में मकानों और दुकानों के दरवाजे तोड़ कर लोगों को परेशान किया तथा यह कथित घटना कैमरे में दर्ज की गई और उसे यूट्यूब पर भी अपलोड किया गया.
इस्लाम ने यह दावा भी किया कि उन्होंने थाना प्रभारी को व्हाट्सएप पर सूचना देने के अलावा संबद्ध पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को ईमेल के जरिये सूचना दी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं, पुलिस ने अदालत को बताया कि दोनों महिलाओं का पता लगा लिया गया है और यह पाया गया कि वे सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना दे रही थी क्योंकि वे गैर सरकारी संस्था के लिये काम करती हैं.
पुलिस ने कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि जांच के दौरान कोई संज्ञेय अपराध नहीं पाया गया. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया अगर पता चलता है कथित घटना की वजह से संज्ञेय प्रकृति का अपराध हुआ है तो मामले की जांच पुलिस द्वारा किये जाने की जरूरत है.
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First published: May 7, 2020, 11:44 PM IST