लॉकडाउन के बीच 65 लाख पेंशन वालों के खाते में पहुंचे 764 करोड़ रुपये! फटाफट अपने बैंक से करें पता-Employees Provident Fund Organisation Advance pension amounting to Rs 764 crore under EPS disbursed in April | business – News in Hindi
किसे मिलती है पेंशन
आपको बता दें कि ईपीएस (Employee Pension Scheme) यानी पेंशन स्कीम में कंपनी के 8.33 फीसदी योगदान को 15,000 रुपये की मंथली सैलरी के अनुसार बनाया गया है. उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति की मासिक सैलरी 25,000 रुपये है तो कंपनी का योगदान 15,000 रुपये के 8.33 फीसदी तक सीमित रहेगा. इसी तरह अगर किसी को 10,000 रुपये सैलरी मिलती है तो ईपीएस में कंपनी का कॉन्ट्रिब्यूशन 10,000 रुपये का 8.33 फीसदी होगा.
आइए जानें ईपीएस (Employee Pension Scheme) से जुड़ी सभी बातें…ईपीएफओ ने यह जानकारी दी है. संगठन कर्मचारी पेंशन स्कीम के तहत लाभार्थियों को पेंशन देता है. उसने कोरोना महामारी को देखते हुए एडवांस में पेंशन जारी करने का फैसला लिया.
श्रम मंत्रालय ने इस बारे में के बयान जारी किया.
>> बयान के अनुसार, ईपीएफओ के अधिकारियों और स्टाफ के लिए यह काम इतना आसान नहीं था. लेकिन, तमाम अड़चनों के बावजूद उन्होंने देशभर में पेंशन बांटने वाले सभी बैंकों की नोडल ब्रांचों में 764 करोड़ रुपये भेजे.
>> कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सभी 135 क्षेत्रीय कार्यालयों ने पेशनभोगियों को असुविधा से बाचने के लिए अप्रैल 2020 की पेंशन समय से पहले जारी कर दी.
>> बयान में कहा गया कि ईपीएफओ ने मुश्किल हालात के बावजूद अपनी पेंशन योजना के तहत आने वाले 65 लाख पेंशनभोगियों के खातों में समय से धनराशि उपलब्ध कराई.
ईपीएस नियमों के अनुसार, किसी सदस्य ने नौकरी छोड़ने से 10 साल से कम सेवा की है या 58 साल का हो गया है (जो भी जल्दी हो) तो वह ईपीएस अकाउंट से एकमुश्त पैसा निकालने का हकदार है.
>> अगर ऐसे व्यक्ति की उम्र 58 साल से कम है तो वह एकमुश्त पैसा निकालने के बजाय ईपीएस के तहत स्कीम सर्टिफिकेट का विकल्प ले सकता है. ऐसा स्कीम सर्टिफिकेट तब लिया जा सकता है जब व्यक्ति ने किसी और संस्थान में नौकरी की योजना बनाई हो.
>> अगर सेवा के वर्ष 10 साल को पार कर गए है तो स्कीम सर्टिफिकेट व्यक्ति को जारी कर दिया जाता है. ईपीएफओ साल की गिनती तब से करता है जिस दिन से आप ईपीएफ स्कीम से जुड़ते हैं. हालांकि, जरूरी नहीं है कि सेवा के वर्ष लगातार रहे हों.
>> मान लीजिए कि आपने साल 2010 नौकरी शुरू की और ईपीएफ स्कीम से जुड़े. यहां तीन साल काम करने के बाद आपने दूसरी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी है. लेकिन ये कंपनी आपको ईपीएफ बेनिफिट ऑफर नहीं करती है क्योंकि वह ईपीएफ के दायरे में नहीं आती है.
>> इस ‘बी’ कंपनी में आप 4 साल काम करते हैं. साल 2017 में आप तीसरी कंपनी में नौकरी शुरू करते है. जहां आपको ईपीएफ स्कीम का फायदा मिलता है. मौजूदा समय में 2020 तक ईपीएस रकम का का कैल्यूलेशन ए और सी में काम किए गए साल के आधार पर किया जाएगा जो छह साल बनते हैं. ऐसे में आप एकमुश्त निकासी कर सकते हैं.
>> 10 साल के पहले सेवा के साल जितने कम होंगे उतनी कम राशि को आप एकमुश्त निकाल पाएंगे. ईपीएस स्कीम से एकमुश्त निकासी की अनुमति तभी मिलती है अगर सेवा के वर्ष 10 साल से कम हैं. आपको वापस की जाने वाली रकम ईपीएस स्कीम 1995 में दी गई टेबल डी पर आधारित होगी.
अगर आपकी नौकरी 9 साल 6 महीने से ज्यादा की हो चुकी है तो आप अपने PF के साथ पेंशन की रकम नहीं निकाल पाएंगे. क्योंकि, 9 साल 6 महीने की सर्विस को 10 साल के बराबर माना जाता है.
>> EPFO के नियम बताते हैं कि अगर आपकी नौकरी 10 साल की हो जाती है तो आप पेंशन के लिए हकदार बन जाते हैं. इसके बाद आपको 58 साल की उम्र में मासिक पेंशन का लाभ मिलना शुरू होगा. मतलब यह कि आपको आजीवन पेंशन तो मिलेगी, लेकिन पेंशन का हिस्सा रिटायरमेंट से पहले नहीं निकाल पाएंगे.
>> 10 साल पूरे होने पर व्यक्ति को पेंशन सर्टिफिकेट मिल जाता है. इस सर्टिफिकेट में पेंशन योग्य सेवा, सैलरी और नौकरी छोड़ने पर देय पेंशन की रकम की जानकारी होती है. अगर किसी व्यक्ति के पास 10 साल या इससे अधिक की सेवा का स्कीम सर्टिफिकेट है तो वह ईपीएस के तहत 58 साल की उम्र से मासिक पेंशन का हकदार बन जाता है. हालांकि, उसे 50 साल की उम्र से पहले पेंशन के लिए आवेदन करने का भी हक होता है.
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