छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

ख्यातिलब्ध कार्टूनिस्ट ओगले की नजर में कोविड

भिलाई। कोविड काल ने कई परिवारों के सदस्यों को अलग-अलग जगहों पर लॉक कर दिया है। एक ऐसे ही परिवार की अनोखी कहानी भिलाई में भी घटित हुई। जहाँ उनकी माँ महाराष्ट्र के अमरावती में लॉकडाउन है, तो पत्नी और बेटी मध्यप्रदेश के विदिशा में अटके पड़े हैं और पिता भिलाई में अकेलेपन का दंश झेल रहे हैं। जब पिता से यह पूछा गया कि आप अपने इस  अकेलेपन को कैसे काट रहे हैं, तो उनका जवाब था मैं अकेला कहाँ हूँ। जब मैं संयंत्र में ड्यूटी आता हूँ तो हम अपनी टीम के साथ काम में व्यस्त हो जाते हैं और जब घर जाता हूँ तब अपने सृजनशीलता के साथ व्यस्त हो जाता हूँ। आज कोविड ने हमारी सोच में कई बदलाव ला दिए हैं। सृजनात्मकता के लिए नए-नए विषय हमारे सामने आ रहे हैं। मैं इन विषयों को लेकर नित नया कुछ रचने का प्रयास कर रहा हूँ। ये विचार हैं देश व संयंत्र के ख्यातिलब्ध कार्टूनिस्ट एवं महाप्रबंधक आरएमपी-2 वी के ओगले के।
श्री ओगले संयंत्र व देश के एक ख्यातिलब्ध कार्टूनिस्ट हैं, उनका कोविड को देखने का अंदाज ही अलग है। अपने कार्टूनों से श्री ओगले ने कोविड काल में होने वाले बदलावों को बड़े ही रोचक ढंग से अभिव्यक्त किया है। इनके चारों कार्टून कोविड के अलग-अलग आयामों को प्रतिबिम्बित कर रहे हैं। कार्टून के माध्यम से उन्होंने विषय को बड़े ही सहज ढंग से परोसा है।
ज्ञातव्य हो कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के आरएमपी-2 में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत् श्री वी के ओगले विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित कार्टून प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। साथ ही टर्की से प्रकाशित फेनामिजा अन्तर्राष्ट्रीय हास्य मासिक पत्रिका के 20वें अंक में भी इनकी कार्टूनों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। इसके अतिरिक्त उनके कार्टून द-हिन्दू, द-हितवादा, दैनिक भास्कर, सेन्ट्रल क्रोनिकल आदि समाचार पत्रोंं में प्रकाशित हो चुकी है। श्री ओगले नियमित रूप से नेशनल स्पोट्र्स टाइम, छत्तीसगढ़ आसपास तथा कार्टून वॉच आदि पत्रिका में कार्टूनिस्ट के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं।

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