छत्तीसगढ़

बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए माता-पिता का प्रेम, और वैदिक विद्वान गुरुजनों का आशीर्वाद एवं प्रशिक्षण अनिवार्य है- ज्योतिष

*बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए माता-पिता का प्रेम, और वैदिक विद्वान गुरुजनों का आशीर्वाद एवं प्रशिक्षण अनिवार्य है- ज्योतिष*
आज का मानव नैतिकता के क्षेत्र में कितना नीचे गिर चुका है, इस बात से आप सभी परिचित हैं. उसका वर्तमान में ज्वलंत उदाहरण है, कोरोना द्वारा विश्व पर आक्रमण।ऐसी खराब योजना बनाने वाले लोग कहां से आ जाते हैं? ये आसमान से नहीं आ टपकते। बल्कि घरों में ही माता पिता के द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं। बचपन में इनकी देखभाल ठीक तरह से नहीं की जाती। इनके मानसिक आत्मिक विकास पर समुचित ध्यान नहीं दिया जाता। परिणाम स्वरूप ये बड़े होकर अपना और दूसरों का विनाश करते हैं। इसलिए बच्चों की सही ढंग से देखभाल करना बहुत आवश्यक है।
बच्चों का संपूर्ण विकास करने के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ होती हैं। जहाँ बच्चों का शारीरिक विकास होना आवश्यक है, वहाँ उनका मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास भी अवश्य होना चाहिए।
आजकल जो बच्चों का विकास किया जाता है, उसमें केवल शारीरिक और बौद्धिक विकास पर ही ध्यान दिया जाता है। उनके मन की शुद्धता और आत्मा की उन्नति पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। इसके कारण बच्चे बिगड़ते हैं। वही बिगड़े हुए बच्चे युवा होकर दूसरों को भी बिगाड़ते हैं। और उसका परिणाम यह होता है, कि धीरे धीरे यह संसार विनाश की ओर बढ़ रहा है।
यदि आप अपने बच्चों का भविष्य उत्तम बनाना चाहते हैं, तो स्कूली शिक्षा के साथ-साथ उनके मानसिक और आत्मिक विकास पर भी पूरा ध्यान देवें।
नौकरी व्यापार में लगे रहने वाले माता पिता घंटो तक घर से अनुपस्थित तथा अपने बच्चों से दूर रहते हैं। उन्हें अपने बच्चों की देखभाल के लिए जितना समय लगाना चाहिए, उतना नहीं लगाते। नौकरों के भरोसे छोड़ देते हैं। जरा ठंडे दिमाग से सोचिए, एक नौकर आपके बच्चे का कितना विकास कर पाएगा! अधिक से अधिक उसे भोजन खिला देगा। वह भी उतने प्रेम और सद्भावना से नहीं खिलाएगा, जैसा बच्चे की मां, बच्चे को खिलाती है। ऐसी स्थिति में बच्चों का शारीरिक मानसिक आत्मिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। अनेक बार तो ऐसी भी घटनाएं देखने सुनने में आती हैं, कि नौकर सेठों के बच्चों पर अत्याचार भी करते हैं। उनकी पिटाई करते हैं। और बच्चों की सेवा भी ठीक तरह से नहीं करते। बच्चों के समुचित विकास के लिए माता-पिता का प्रेम और आशीर्वाद बहुत अधिक आवश्यक है। उनके प्रेम और सुंदर व्यवहार से ही बच्चों के जीवन में सजावट होती है। उनका जीवन खिलता है।
बच्चों के माता पिता, उनके बौद्धिक विकास के लिए तो पढ़ाई लिखाई स्कूल ट्यूशन आदि की व्यवस्था कर देते हैं। परन्तु बच्चों के शारीरिक विकास के लिए उन्हें खेलकूद व्यायाम आदि करने के लिए प्रायः प्रेरित नहीं करते। उनकी मानसिक शुद्धता तथा आत्मा की उन्नति के लिए किसी वैदिक विद्वान पुरोहित आदि की व्यवस्था नहीं करते।
जैसे स्कूल कॉलेज आदि की पढ़ाई करके बच्चों की बुद्धि का विकास करना आवश्यक है, ऐसे ही अध्यात्म विद्या सिखा कर बच्चों का मानसिक और आत्मिक विकास करना भी अत्यंत आवश्यक है, जो कि माता पिता नहीं कर रहे हैं।
उसके लिए भी माता पिता व्यवस्था करें।
उत्तम आर्य विद्वानों के साथ अपने बच्चों का संपर्क करवाएं। उनके अध्यात्मिक प्रशिक्षण से बच्चों का मानसिक और आत्मिक विकास होगा। विद्वानों के प्रशिक्षण से बच्चे अनुशासनप्रिय चरित्रवान देशभक्त ईश्वरभक्त ईमानदार परोपकारी धार्मिक वृत्ति वाले सब के सहायक प्राणियों के रक्षक इत्यादि गुणों से युक्त हो पाएंगे। सच्चे वैदिक गुरुजनों के आशीर्वाद एवं अध्यात्मिक प्रशिक्षण से ही बच्चों के जीवन में उत्तम गुणों का विकास एवं सुगंध होती है। अतः पूरी शक्ति लगाकर उक्त व्यवस्था करें। इसी से आपके बच्चों का, आपका, आपके परिवार समाज देश और विश्व का कल्याण होगा।

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