छत्तीसगढ़

करोड़ो रूपये के जमीन फर्जीवाड़े को दबाने में लगे एसडीएम व तहसीलदार, भूमाफिया को दे रहे सरक्षण, जांच प्रतिवेदन सौपने के बाद भी आगे नहीं बढ़ रही कार्यवाही

करोड़ो रूपये के जमीन फर्जीवाड़े को दबाने में लगे एसडीएम व तहसीलदार, भूमाफिया को दे रहे सरक्षण, जांच प्रतिवेदन सौपने के बाद भी आगे नहीं बढ़ रही कार्यवाही

देवेन्द्र गोरलेसबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

 

डोंगरगढ़- राजनांदगांव जिले की धर्मनगरी डोंगरगढ़ में लगभग साल भर पूर्व सबसे बड़ा जमीन फर्जीवाड़ा सामने आया जिसमे भूमाफिया ने नहीं बल्कि पत्रकार जगत को बदनाम करने वाले कथित संवाददाता विलास जाम्बुलकर ने करोड़ो रूपये की जमीन का फर्जीवाड़ा किया। इस फर्जीवाड़े का खुलासा डोंगरगढ़ के ही एक पत्रकार प्रणय अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकालकर किया। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार नजूल शहर डोंगरगढ़ शीट क्रमांक 1 भूखण्ड क्रमांक 405 जिसका वास्तविक क्षेत्रफल 5000 स्क्वेयर फिट है और यह जमीन वर्ष 1972 से 2012 तक शेख वजीर पिता शेख अंजुन निवासी डोंगरगढ़ के नाम से दर्ज है इसी जमीन को वर्ष 2012 में तहसील न्यायालय डोंगरगढ़ में फर्जी प्रकरण चलाकर तत्कालीन कार्यभारित नजूल निरीक्षक ताराचंद बागड़े एवं तत्कालीन तहसीलदार सुन्दरलाल धृतलहरे के द्वारा कूटरचना कर ना सिर्फ विलास जाम्बुलकर एवं अन्य के नाम पर दर्ज किया गया बल्कि उसके क्षेत्रफल में भी छेड़छाड़ कर उसे 1 लाख 35 हजार 36 स्क्वेयर फिट कर दिया गया है जो वर्तमान तक दर्ज है।

एसडीएम व तहसीलदार लगे बचाने में- मामला प्रकाश में आने के बाद तत्कालीन एसडीएम प्रेमप्रकाश शर्मा के द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए एक जांच टीम गठित की गई जिसमें दो राजस्व निरीक्षक एवं एक नजूल निरीक्षक को शामिल किया गया। इस मामले में दो प्रकरण तैयार किये गए जिसमें एक प्रकरण बढ़े हुए क्षेत्रफल 1 लाख 35 हजार 36 स्क्वेयर फिट को वास्तविक क्षेत्रफल 5000 स्क्वेयर फिट में परिवर्तित करने तथा दूसरा प्रकरण 5000 स्क्वेयर फिट के लिए शेख वजीर के वारिसानों द्वारा दायर अपील प्रकरण चलाया गया। जांच के बाद नजूल निरीक्षक रतिराम साहू , राजस्व निरीक्षक अशोक राजपूत एवं वीरेन्द्र साहू के द्वारा 26 जून को तत्कालीन एसडीएम प्रेमप्रकाश शर्मा को जांच प्रतिवेदन सौंपा गया। जिसमें नजूल निरीक्षक रतीराम साहू के पास मौजूद संधारण खसरा एवं क्षेत्रीय नक्शा के आधार पर एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि विलास जाम्बुलकर, तत्कालीन आर आई ताराचंद बागड़े एवं तहसीलदार सुंदरलाल धृतलहरे के द्वारा भूखंड क्रमांक 405 के क्षेत्रफल से छेड़छाड़ कर उसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 1 लाख 35 हजार 36 स्क्वेयर फिट किया गया है। इससे पहले कि जांच कार्यवाही में बदलती एसडीएम शर्मा का स्थानांतरण हो गया और अब उनके स्थान पर नए एसडीएम अविनाश भोई व तहसीलदार अविनाश ठाकुर आये। जिनसे इस जांच को कार्यवाही में तब्दील करने की उम्मीद लगाई गई थी लेकिन जो बीड़ा तत्कालीन एसडीएम प्रेमप्रकाश शर्मा ने उठाया था उसे नए एसडीएम अविनाश भोई व नये तहसीलदार लगभग 8 माह बीतने के बाद भी कार्यवाही में तब्दील नहीं कर पाये। मीडिया के द्वारा बार-बार ध्यान आकर्षण करने के बाद भी मीडियाकर्मी को एसडीएम व तहसीलदार दोनों मिलकर गुमराह कर रहे हैं कभी एसडीएम द्वारा चुनाव का बहाना बनाकर, कभी मीटिंग का तो कभी मैने तहसीलदार के न्यायालय में अग्रेषित कर दिया हूँ कहकर तो कभी तहसीलदार द्वारा मेरे नॉलेज में रीडर से पूछ लो, आज दिखवाता हूँ, अभी व्यस्त हूँ यानी मामले को दबाने के लिए तरह-तरह के झूठ बोले जा रहे हैं और भूमाफिया को सरंक्षण दिया जा रहा है जिससे उसके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।

चूंकि उक्त जमीन थाना चौक से बोरतलाव जाने वाले मार्ग पर स्थित हैं जो दो राज्यों को जोड़ने और मुख्य मार्ग है और ऐसी जगह पर जमीन का मूल्य अधिक होता है। यदि हम 1000 रुपये स्क्वेयर फिट के हिसाब से भी तुलना करें तो 1 लाख 35 हजार 36 स्क्वेयर फिट जमीन की कीमत 13 करोड़ 50 लाख 36 हजार रुपए होती है जबकि बाजार दर इससे तीन गुना है।

 

 

 

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