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कैसे फैल रहा है कोरोना? क्या भारत ने लॉकडाउन के दौरान इस पर रिसर्च किया? क्या है एक्सपर्ट की राय-Did India Make Effective Use of Lockdown to Study Covid-19 Spread Heres What Experts Say | nation – News in Hindi

कैसे फैल रहा है कोरोना? क्या भारत ने लॉकडाउन के दौरान इस पर रिसर्च किया? क्या है एक्सपर्ट की राय

लॉकडाउन के दौरान कोई ऐसा रिसर्च नहीं किया गया जिससे ये पता लगाया जा सके कि कोरोना का संक्रमण किस तरह फैल रहा है.

रिसर्च न होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का फेल होना. दरअसल चीन (China) से मंगाए गए ये सारे किट खराब निकले.

(निखिल घानेकर)

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को अब 40 दिन हो गए हैं. लॉकडाउन के तीसरे फेज में अलग-अलग ज़ोन के हिसाब से छूट भी दी गई है. सरकार के इस कदम से कोरोना के रफ्तार पर लगाम जरूर लग गई है लेकिन नए मरीजों की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है. पिछले 5 दिनों में कोरोना ने 11266 नए मामले सामने आए हैं. अब कुल कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 46433 पर पहुंच गया है. सरकार तेजी से मेडिकल सुविधाएं लोगों को दी रही है. लेकिन क्या इस दौरान इसके संक्रमण पर अध्ययन भी किया गया.

 एंटीबॉडी टेस्ट किट टेस्ट ने दिया धोखा
न्यूज 18 ने कई सीनियर वायरोलॉजिस्ट से बातचीत की. इन सबका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान कोई ऐसा रिसर्च नहीं किया गया जिससे ये पता लगाया जा सके कि कोरोना का संक्रमण  किस तरह फैल रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का फेल होना. दरअसल चीन से मंगाए गए ये सारे किट खराब निकले. इस किट से मरीजों पर नजर रखने में मदद मिल सकती थी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अधिकारी ने न्यूज़ 18 को बताया कि जब तक एक बार फिर से रैपिड किट नहीं आ जाते तब ये नहीं कहा जा सकता कि किस तरह इसका संक्रमण फैल रहा है.कहां हो रही है चूक?

सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर जैकब जॉन के मुताबिक किसी मरीज के कॉन्टैक्ट का पता लगाने के बजाय संदिग्ध मरीजों का टेस्ट होना चाहिए. उन्होंने कहा कि डॉक्टर को संदिग्ध मरीजों का पता लगाने के लिए कहना चाहिए. राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम के इपिडेमियोलोजिस्ट डॉक्टर आईयूएस जोसेफ ने कहा कि विदेश से आए लोगों को पहले से ही क्वारंटाइन कर दिया गया है. ऐसे में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए.

सरकार रही फेल!
बिहार में CARE इंडिया के लिए टीम लीड के रूप में काम करने वाले एक महामारी विज्ञानी डॉ तन्मय महापात्रा ने कहा कि सरकार पूरी तरह से विफल रही क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सर्विलांस (निगरानी) के लिए अध्ययन नहीं किया गया. ICMR ने संक्रमण का ऐसे लोगों पर सर्विलांस किया जिसे सांस (SARI) की कोई बीमारी थी. ICMR ने अप्रैल में कहा था कि SARI केस के 5991 मरीजों के टेस्ट किए गए थे जिसमें से 104 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले.

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First published: May 5, 2020, 11:28 AM IST



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