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Lockdown:शराब की दुकानों को लेकर 14 घंटे में DM को बदलना पड़ा अपना आदेश, लोगों ने कही ये बात | Liquor shops will open in Gorakhpur from 10 am to 4pm nodark | gorakhpur – News in Hindi

गोरखपुर. कोरोना वायरस (Coronavirus) जब देश पर कहर बनकर टूटा तो सरकार ने लॉकडाउन (lockdown)कर सब लोगों को घरों में रहने का आदेश दे दिया. जबकि लोगों ने भी सरकार के आदेश का भरपूर पालन किया. हालांकि कुछ ऐसे लोग भी थे जो लॉकडाउन का पालन तो कर रहे थे, लेकिन उन्‍हें चिंता थी कि देश की गिरती अर्थव्यवस्था को कैसे संभाला जाए. सरकार उनकी बात को समझ गयी और गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए शराब की ब्रिकी से प्रतिबंध लॉकडाउन 3 में हटा दिया. जबकि गोरखपुर के डीएम ने 3 मई को तय किया कि वो तत्काल शराब नहीं बिकने देंगे. वैसे ठीक 14 घंटे बाद ही 4 मई की सुबह शराब की ब्रिकी 10 बजे से 4 बजे तक करने का आदेश जारी कर दिया. जैसे ही लोगों को ये पता चला कि अब तो गोरखपुर में भी शराब की बिक्री शुरू हो गई है, तो दुकानों के बाहर लंबी लंबी लाइनें लग गयीं. इस स्थिति पर हरिवंशराय बच्चन की ये चार लाइनें बड़ी सटीक बैठती हैं.
“मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला”

शराब की दुकानों पर मौजूद रही पुलिसदुकानों के बाहर गोरखपुर में कहीं कहीं पर तीन सौ मीटर से अधिक लंबी लाइन लगी. हालांकि नियम का पालन कराने के लिए पुलिस मौजूद रही, लेकिन 40 दिनों की प्यास बुझाने के लिए कुछ जगहों पर लोग इतने अधीर हो गये कि दुकानों पर ही टूट पड़े. इसके बाद पुलिस ने उन दुकानों को बंद करा दिया. शराब की दुकान खोलने का आदेश भले ही डीएम ने दे दिया, लेकिन जैसे ही किसी शराब की दुकान पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने की शिकायत आयी तो तुरंत उसे बंद करने का निर्देश दे देते.

मैंने सोचा क्यों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शराब ले लूं
कौआबाग में लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहे एक व्यक्ति ने कहा कि वो तो किसी और काम से घर से निकला था, लेकिन जब देखा कि शराब की दुकान खुल गयी है तो सोचा क्यों ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शराब ले लूं. इसलिए लाइन में लग गया. हरिवंशराय बच्चन की कविता मधुशाला में ये लाइनें भी सटीक हैं.
“क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला,भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला
मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला,काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला”

बहरहाल, कोरोना महामारी के बीच खुली शराब की दुकानों में जिस तरह से भीड़ उमड़ी है उससे तो ऐसा ही लग रहा है कि मानों उनकी वर्षों की प्यास अब बुझ जायेगी. लोग कई कई बोतल खरीद कर इक्कठा कर ले रहे हैं कि क्या पता कल से फिर बंद जाए, इसलिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. कोरोना काल में जब जीवन पर संकट है तब जिस तरह से शराब की बिक्री हुई है उस पर हरिवंशराय बच्चन की ये लाइने और सटीक बैठती हैं और बहुत कुछ कहती हैं.

“यम आएगा लेने जब, तब खूब चलूंगा पी हाला,पीड़ा, संकट, कष्ट नरक के क्या समझेगा मतवाला,
क्रूर, कठोर, कुटिल, कुविचारी, अन्यायी यमराजों केडंडों की जब मार पड़ेगी, आड़ करेगी मधुशाला”

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