संवेदनशील सिक्किम में क्यों नहीं पहुंचा कोरोना? जानें उत्तर पूर्व ने कैसे लड़ी जंग | Know why sikkim has no corona virus case and how northeast fought against pandemic | knowledge – News in Hindi

आज यानी रविवार दोपहर तक के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक देश में संक्रमण के 40 हज़ार से सिर्फ 20 मामले कम हैं और 13 सौ से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. महाराष्ट्र साढ़े 11 हज़ार से ज़्यादा मामलों और 485 मौतों के साथ सबसे खराबहाल दिख रहा है जबकि गुजरात, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), दिल्ली (Delhi), राजस्थान (Rajasthan), तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश (UP) उन राज्यों में हैं, जहां 2 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, उत्तर पूर्व में सबसे ज़्यादा 43 मामले असम (Assam) में सामने आए. आइए सिक्किम और उत्तर पूर्व की सफलता के बारे में जानें.
क्यों संवेदनशील है उत्तर पूर्व?
संयुक्त राष्ट्र ने जिस दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (SDG 3) की चर्चा की थी, उसमें स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा था, लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज़ से इस पैमाने पर उत्तर पूर्व का कोई राज्य बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर मुहैया नहीं करवाता. भारतीय राज्यों में एसडीजी 3 की रैंकिंग में उत्तर पूर्व के राज्यों की स्थिति बेहद खराब दिखी है, 20 अप्रैल 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक ओआरएफ की रिपोर्ट कहती है कि नागालैंड तो सबसे कम 29 प्वाइंट्स के साथ इस सूची में सबसे नीचे है.इस सूची में पिछड़ने का सीधा मतलब है कि इन राज्यों में स्वास्थ्य सुरक्षा के हालात और सुविधाएं कमज़ोर हैं. ऐसे में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते ये राज्य संवेदनशील हो जाते हैं. इन राज्यों के संवेदनशील होने की कुछ और वजहें भी हैं.

उत्तर पूर्वी राज्य स्वास्थ्य संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में देश के सबसे पिछड़े राज्यों में हैं. फाइल फोटो.
ये हैं कुछ और कारण
उत्तर पूर्व के राज्यों की सीमाएं दूसरे देशों से मिलती हैं और कई जगह विवादों व घुसपैठ की स्थिति बताई जाती है. इसके अलावा, हिमालय रेंज होने के कारण यहां पर्यटन ही सबसे बड़ा उद्योग है. साथ ही, इन राज्यों में बेरोज़गारी बेतहाशा होने के कारण इन राज्यों की बड़ी आबादी देश के अन्य हिस्सों में रहती है. ऐसे कई प्रवासी महामारी के हालात के चलते अपने राज्यों में देश भर से लौटे. इन तमाम कारणों से इन राज्यों को बेहद संक्रमण के लिए संवेदनशील माना गया.
इससे इतर, एक प्लस प्वाइंट इन राज्यों के लिए ये रहा कि यहां कोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा न होने के कारण देश विदेश के पर्यटकों की संख्या को तुरंत काबू करना या कम करना मुमकिन रहा.
और अब बात सिक्किम की
सिक्किम का जिक्र क्यों खास है? असम के साथ ही, पश्चिम बंगाल से इस राज्य की सीमा जुड़ती है और पूर्व में इन दो राज्यों में कोरोना संक्रमण को लेकर बेहद चिंताजनक हालात रहे, इसके बावजूद सिक्किम में अब तक एक भी कोरोना पॉज़िटिव केस सामने नहीं आया. सिक्किम ने कैसे ये चमत्कार किया, इस बारे में राज्य के सीएम के मुताबिक रिपोर्ट इस तरह है :
ऐसे किया सिक्किम ने चमत्कार
1. भारत में जनवरी में पहला केस सामने आने के तुरंत बाद से ही कोविड 19 के खिलाफ तैयारी शुरू की गई. 5 मार्च से राज्य ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों पर पूरी पाबंदी लगा दी और 17 मार्च से देश के पर्यटकों के आने पर भी. यानी लॉकडाउन से काफी पहले. राज्य सरकार ने अक्टूबर तक पर्यटन के लिए राज्य की सीमाएं सील करने पर भी विचार किया.
2. राज्य के लोगों ने बेहद अनुशासन के साथ राज्य और देश के लॉकडाउन का पालन किया.
3. स्थानीय फार्मा संस्थाओं ने राज्य में मेडिकल ज़रूरतों को पूरा करने में पूरी मदद की.
सिक्किम ने क्या कीमत चुकाई?
यह राज्य पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर करता है. इस साल सिक्किम ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को रद्द कर दिया है और कोविड 19 के चलते नाथू ला पास के ज़रिए भारत और चीन के बीच होने वाली कारोबारी यात्राएं या सीमा व्यापार भी बंद है. राज्य के पर्यटन मंत्री ने कहा है कि सिक्किम के पर्यटन राजस्व में इस साल अब तक 10 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है.

उत्तर पूर्व के 8 में से 6 राज्य कोरोना मुक्त हो चुके हैं.
और उत्तर पूर्वी राज्यों ने भी किया कमाल
उत्तर पूर्व के पहाड़ी राज्यों ने न केवल लॉकडाउन का सख्ती से पालन कर प्रशासन की दिक्कतें आसान कीं, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग के उपाय अपनाने में भी इन राज्यों के लोगों ने अपनी तरफ से अनुशासन बरता. मणिपुर के सीएम के हवाले से ईटी की रिपोर्ट कहती है कि लोगों के पूरे सहयोग और बड़ी संख्या में स्क्रीनिंग के कारण ही राज्य कोरोना मुक्त हो सका.
वहीं, सीएनबीसी की रिपोर्ट है कि मेघालय में एक भी एक्टिव केस बाकी न होने के साथ ही उत्तर पूर्व के 8 में से 6 राज्य कोरोना मुक्त हो चुके हैं. यह भी कहा गया है कि असम में कोविड 19 संक्रमण का सिर्फ 1 एक्टिव केस बाकी है.
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