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को-वर्किंग स्पेस पर अस्थायी हो सकता है कोरोना संकट का असर- covid-19 coworking industry believe the blip could be temporary and demand for flexible space | business – News in Hindi

'को-वर्किंग स्पेस पर अस्थायी हो सकता है कोरोना संकट का असर'

अस्थायी हो सकता है कोरोना का असर

COVID-19: अभी घर से काम करने वाले कई कर्मचारियों ने संकेत दिये हैं कि वे कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति के सामान्य होने के बाद भी घर से ही काम करते रहेंगे. ऐसे में को-वर्किंग स्पेस को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा.

बेंगलुरू. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के कारण लोगों के बाहर निकलने में तेज गिरावट से प्रभावित को-वर्किंग उद्योग (Co-working Industry) का मानना है कि यह असर अस्थायी हो सकता है और कुछ कारकों के अनुकूल होने के कारण इस क्षेत्र में फिर से मांग बढ़ सकती है. हालांकि हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करने वाले तथा आधुनिक कार्यस्थलों के लिये उत्प्रेरक के तौर पर देखे जाने वाले इस क्षेत्र के लिये चुनौतियां बनी हुई हैं, क्योंकि बड़े कॉरपोरेट अभी पाबंदियों को लेकर विस्तार को लेकर आशावान नहीं हैं. अभी घर से काम करने वाले कई कर्मचारियों ने संकेत दिये हैं कि वे कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति के सामान्य होने के बाद भी घर से ही काम करते रहेंगे. ऐसे में को-वर्किंग स्पेस को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा.

अस्थायी हो सकता है कोरोना संकट का असर
315 वर्क एवेन्यू के चेयरमैन मानस मेहरोत्रा ने कहा कि कोरोना वायरस से संबंधित चिंताओं ने को-वर्किंग क्षेत्रों में लोगों की आमद कम की है जबकि यह क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से तेज गति से बढ़ रहा था. उन्होंने कहा कि यह असर अस्थायी हो सकता है और तभी तक रह सकता है, जब तक सावधानियां बरतने की जरूरत रहेगी. उनके अनुसार, कोई भी व्यवसाय अब अपने कर्मचारियों को पहले से कहीं अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिये अपनी कार्य व्यवस्था पर पुनर्विचार करेगा. इससे को-वर्किंग क्षेत्र की मांग एक बार फिर से बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें: आपको मिला IT डिपार्टमेंट का ये मैसेज तो हो जाएं अलर्ट, हो सकता है बड़ा नुकसानएनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के निदेशक व प्रमुख (कंसल्टिंग) आशुतोष लिमये ने कहा कि को-वर्किंग स्पेस को अगली कुछ तिमाहियों में मांग में कमी देखने को मिल सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में सबसे तेज वापसी भी देखने को मिलेगा. एक बार जब महामारी का दबाव कम हो जाता है, तब कई व्यवसाय इन लचीले कार्यक्षेत्रों को फिर से शुरू करने की कोशिश करेंगे.

को-वर्किंग स्पेस से खर्च का बोझ 15% कम
एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, शीर्ष शहरों में पारंपरिक कार्य स्थलों की तुलना में को-वर्किंग स्पेस से खर्च का बोझ 15 प्रतिशत कम होता है. पुणे जैसे शहरों में यह अंतर 33 प्रतिशत तक है. इस कारण स्टार्टअप और नये उद्यमों में को-वर्किंग स्पेस के प्रति विशेष झुकाव होता है.

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First published: May 3, 2020, 2:59 PM IST



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