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RBI Governor and bank chiefs discuss post-lockdown credit flow loan moratorium | business – News in Hindi

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने सभी बैंक प्रमुखों से की बात, आपके लोन मोरेटोरियम पर हुई ये चर्चा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास

शनिवार को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने सभी प्रमुख बैंकों के CEO व प्रबंध निदेशकों से बात की है. इस दौरान अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिति पर चर्चा की गई. मौजूदा संकट को देखते हुए RBI लगातार जरूरी कदम उठा रहा है.

नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने ​शनिवार को सभी बैंक प्रमुखों के साथ एक बैठक में मौजूदा आर्थिक हालात और RBI द्वारा उठाए गए कदमों को लागू करने के बार में जानकारी ली. कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर RBI ने कई तरह के कदम उठाए थे ताकि मौजूदा समय में फाइनेंशियल सिस्टम दुरुस्त रह सके.

यह बैठक दो अलग सेशन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया. इसमें सभी प्रमुख सरकारी और प्राइवेट बैंकों के CEO व प्रबंध निदेशक (MD) शामिल रहे. RBI ने बैठक के बाद एक बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी.

मोरेटोरियम पीरियड पर हुई चर्चा
इस बैठक की शुरुआत में RBI गवर्नर (RBI Governor) ने सबसे पहले सभी बैंकों की सराहना की कि उन्होंने लॉकडाउन के स्थिति में काम पूरी जिम्मेदारी से किया. इस बैठक में अन्य मामलों के अलावा मौजूदा आर्थिक हालात और वित्तीय सेक्टर में स्थिरता कायम करने को लेकर चर्चा की गई. इस बैठक में RBI द्वारा लोन रिपेमेंट को लेकर लागू किए गए मोरेटोरियम पीरियड (Moratorium Period) पर भी चर्चा की गई. पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट ने RBI से कहा था कि मोरेटोरियम पीरियड को सही ढंग से लागू करने का प्रयास किया जाए.यह भी पढ़ें: लॉकडाउन के बीच यहां के लोग ऑनलाइन खरीद सकेंगे मोबाइल समेत ये चीजें

इन मुद्दों पर हुई चर्चा
इस बैठक में जिन मुद्दों पर प्रमुखता से बात की गई, उनमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर्स में क्रेडिट फ्लो, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में लिक्विडिटी (NBFC), माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस, हाउंसिग फाइनेंस कं​पनियों (HFC) की स्थिति, म्यूचुअल फंड्स आदि शामिल रहे. इस दौरान लॉकडाउन के बाद के लिए क्रेडिट फ्लो, वर्किंग कैपिटल की स्थिति , और MSME को विशेष क्रेडिट फ्लो (Credit Flow) मुहैया कराने पर भी बात की गई. RBI की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि भारतीय बैंकों के विदेशी ब्रांचों की मॉनिटरिंग पर भी चर्चा की गई क्योंकि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है.

वित्तीय सिस्टम में हर संभव मदद करेगी RBI
मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए RBI ने कहा था कि वो उधारकर्ता, लेनदार समेत म्यूचुअल फंड्स व अन्य ईकाईयों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाएगा. फरवरी 2020 के बाद से RBI ने मौद्रिक नीति के तहत भारतीय GDP के 3.2 फीसदी बराबर फंड्स को बाजार में डाला है ताकि मौजूद लिक्विडिटी संकट की स्थिति से निपटा जा सके.

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मौद्रिक नीतियों के जरिए भी RBI ने उठाए हैं ये कदम
RBI लगातार बैंकों को कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. इसके लिए RBI ने नीतिगत ब्याज दर में 75 आधार अंकों की कटौती किया है, जिसके बार रेपो रेट 4.4 फीसदी के साथ बीते 11 साल के निचले स्तर पर चला गया है. इसके ​अलावा RBI ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को भी घटाकर 3.75 फीसदी कर दिया है. RBI ने रिवर्स रेपो रेट में इसलिए कटौती कि ताकि बैंक कम ब्याज पर RBI के पास पूंजी रखने की जगह कर्ज देने को वरीयता दें. इससे अर्थव्यवस्था का फायदा मिल सकेगा.

देशभर में लॉकडाउन के बाद कयास लगाया जा रहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में संकुचन देखने को मिलेगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के ऐलान के बाद ही 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था.

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First published: May 2, 2020, 9:22 PM IST



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