छत्तीसगढ़

मानसिक रूप से कमजोर 4 लोगों का कायाकल्प स्थानीय क़ोरोना फ़ाइटर्स टीम ने की मदद

मानसिक रूप से कमजोर 4 लोगों का कायाकल्प
स्थानीय क़ोरोना फ़ाइटर्स टीम ने की मदद
    नारायणपुर सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-
– कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम, नियंत्रण व बचाव के लिए जब हर कोई घरों में है। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई आसरा नहीं है, या मानसिक रोग के कारण वो अपना घर-बार भूल कर इधर-उधर भटक रहे हैं। मानसिक विक्षित न ही अपनी भावना को व्यक्त कर पाते हैं न ही नाम-पता बता सकते हैं।
सार्वजनिक स्थलों में भटक रहे ऐसे मानसिक रोगियों और बेसहारा लोगों को सुरक्षित रखने और उनके पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ शासन संवेदनशीलता से काम कर रही है।
   छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 250 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित ज़िला नारायणपुर में पुलिस प्रशासन ने स्थानीय क़ोरोना फ़ाइटर्स टीम जिसमें ज़िला प्रशासन सहित मीडिया से जुड़े डॉ वली आजाद, बिंदेश पात्र, नरेंद मेश्राम आदि ने मानसिक रूप से कमजोर 4 लोगों का कायाकल्प किया। टीम द्वारा उनके बाल, नाखून कटवाकर, नहलाकर, नए कपड़े पहनाया गया। साथ ही प्रतिदिन की भांति भोजन भी कराया। सार्वजनिक स्थलों पर घूमते हुए 4 मानसिक रोगियों को ढूंढकर उन्हें घरौंदा योजना के तहत आश्रय गृह में सहारा दिए जाने की कार्यवाई की जा रही है। एक ही दिन में उनकी दशा में इतना बड़ा परिर्वतन दिखाई देने लगा है, कि उन्हें पहले की तुलना में अब पहचानना भी मुश्किल है। यह परिर्वतन उनके पहले और वर्तमान की फोटो में भी स्पष्ट नजर आता है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों में ऐसे निराश्रित, वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग व्यक्तियों जिनके पास कोई आसरा न हो उनके लिए आश्रय गृहों में व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए  हैं।
       शहर में घूमते हुए मानसिक रोगियों को आसरा देने के लिए समाज, पुलिस, ज़िला प्रशासन के कर्मचारी सहित कोरोना फ़ाइटर्स के लोग जुटे हुए है। लॉकडाउन में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए टोल फ्री नम्बर 104 और दूरभाष पर नम्बर 112 या अन्य किन्ही माध्यमों से पता चलने पर जरूरतमंद, बुजुर्ग, तृतीय लिंग के व्यक्तियों और बेसहारा लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
      उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित घरौंदा आश्रय गृहों में 18 वर्ष से अधिक आयु के लकवा, बौद्धिक मंदता, स्वपरायणता (ऑटिज्म) और बहुनिःशक्तता से पीड़ित रोगियों को निःशुल्क आजीवन रहने की व्यवस्था की गयी है। यहां उनकी देख-भाल और संरक्षण का समुचित प्रबंध भी किया जाता है। वर्तमान में राज्य में 4 घरौंदा आश्रय गृह रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर और कोरिया में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से संचालित हैं।
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