COVID-19 की चुनौती के बीच CM कुर्सी पर मंडराते खतरे को येडियुरप्पा ने इस तरह टाला । Old Style Politics, Consensus & Grace: How Yediyurappa Thwarted Threat to CM Chair Amid Covid-19 Crisis | nation – News in Hindi
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येडियुरप्पा की फाइल फोटो (News18)
एक चतुर राजनेता (shrewd politician) और एक अनुभवी प्रशासक, येडियुरप्पा (Yediyurappa) ने गंभीर संकट (grave crisis) के समय अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए इस अवसर का भुनाया है.
एक चतुर राजनेता और एक अनुभवी प्रशासक, येडियुरप्पा (Yediyurappa) ने गंभीर संकट (Grave Crisis) के समय अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए इस अवसर का भुनाया है. कुछ शुरुआती समस्याओं के बाद, उन्होंने पूरी परिस्थिति को अपने हाथों में ले लिया और तबसे इस लड़ाई के मोर्चे में सबसे आगे हैं.
सभी पार्टियों को साथ लाकर कर रहे पुराने तरह की राजनीति
सभी को एक साथ लाने के लिए, उन्होंने पहले सभी विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ एक ऑल पार्टी मीटिंग की और यह घोषित कर दिया कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई गैर-राजनीतिक होनी चाहिए और किसी को इस त्रासदी के दौरान खुद को महान साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उनकी इस चतुराई ने आपस की चिंताओं खत्म किया और कांग्रेस (Congress) और जेडीएस (JDS) को उन्हें पूरा समर्थन देने पर मजबूर किया.तबलीगी जमात के मुद्दे को सांप्रदायिक बनाने का किया विरोध
जब तबलीगी जमात का मुद्दा सांप्रदायिक बना, बीजेपी के मुख्यमंत्री ने कड़ा कदम उठाया और यह घोषणा की कि किसी खास समुदाय को खतरनाक वायरस के प्रसार के लिए दोषी ठहराना सही नहीं है. मीडिया के साथ कई सारे इंटरव्यू में, वे इस मुद्दे का सांप्रदायीकरण (Communalisation) करने वालों के खिलाफ कड़ी आपराधिक कार्रवाई की धमकी देते हुए, अपनी बात पर अडिग रहे. हालांकि इस दौरान उन्हें अपनी ही पार्टी के कुछ कट्टरपंथी नेताओं का गुस्सा झेलना पड़ा. लेकिन इसके लिए अन्य वर्गों में उनकी तारीफ हुई, यहां तक कि कांग्रेस और जेडीएस भी इस पर उनके बचाव के लिए सामने आए.
कुछ दिनों बाद, पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख (RSS Chief) मोहन भागवत ने भी ऐसे ही विचारों का समर्थन किया.
सवेरे 6 बजे से आधी रात तक काम कर रहे येडियुरप्पा
गंभीर तरह से मधुमेह ग्रस्त (chronic diabetic), येडियुरप्पा एक दिन में दर्जनों बैठकें करते हुए लगातार काम कर रहे हैं. ऊंचे पदों पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी, जो लगातार उनके संपर्क में हैं, यह स्वीकारते हैं कि उन्होंने सवेरे छह बजे से अधिकारियों और मंत्रियों को फोन करना और उनसे जानकारी लेना शुरु कर देते हैं, और यह मध्यरात्रि तक चलता रहता है.
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First published: May 1, 2020, 4:29 PM IST