जानें आनंद महिंद्रा के बारे में, कैसे करते हैं वो खास काम करने वालों की मदद anand mahindra offers job to rickshaw owner for social distancing coronavirus | knowledge – News in Hindi
भारत के सबसे प्रतिष्ठित 10 शीर्ष औद्योगिक घरानों में से एक महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रमुख आनंद महिंद्रा की पैदाइश मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में 1 मई 1955 की है. इनके पिता का नाम हरीश महिंद्रा और मां का नाम इंदिरा महिंद्रा था, जो कि खुद एक संपन्न व्यावसायी परिवार था. पढ़ाई-लिखाई में तेज आनंद ने साल 1977 में अमेरिका के हार्वर्ड कॉलेज (कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स) के डिपार्टमेंट ऑफ विजुअल एंड एनवायरॉनमेंटल स्टडीज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद बोस्टन से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स के बाद ये देश लौट आए.
सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले महिंद्रा अक्सर ही उन लोगों तक भी पहुंचने की कोशिश करते हैं
वापसी के साथ ही इन्होंने महिन्द्रा यूजाइन स्टील कंपनी (MUSCO) में छोटे पद से काम शुरू किया. धीरे-धीरे काम में इनकी कुशलता सामने आने लगी और 10 ही सालों बाद वे महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के डेपुटी मैनेजिंग डायरेक्टर बन गए. कुछ सालों के भीतर वे इसके शीर्ष पद पर पहुंच गए. ऑटो सेक्टर के अलावा इनका काम कई क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें प्राइवेट बैंक और हॉलीडे रिजोर्ट के साथ ऑप्शन देने जैसी चीजें भी शामिल हैं. साथ ही रियल इस्टेट, रिटेल और लॉजिस्टिक जैसे सारे काम भी महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) कंपनी के तहत आते हैं. ये कंपनी 100 से ज्यादा देशों में फैली हुई है और देश की शीर्ष 10 कंपनियों में शुमार है.देश-विदेश में अपने काम के लिए कई तरह के सम्मान पा चुके आनंद महिंद्रा की शादी ख्यात पत्रकार अनुराधा महिंद्रा से हुई, जो ‘मेंस वर्ल्ड’ की संपादक तथा ‘रोलिंग स्टोन इंडिया’ की एडिटर-इन-चीफ हैं. इनकी दो बेटियां भी हैं.
महिंद्रा ग्रुप में काम करने वाले जो लोग सोशल वर्क में दिलचस्पी लेते हैं, उनके पास भी कई विकल्प हैं
वैसे आनंद महिंद्रा सिर्फ बिजनेस में अपनी कुशलता के कारण नहीं जाने जाते, बल्कि आम लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता की वजह कुछ और है. दरअसल सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले महिंद्रा अक्सर ही उन लोगों तक भी पहुंचने की कोशिश करते हैं, जहां ख्यात लोगों की नजरें नहीं जा पातीं. कार्पोरेट सोशल रिसेपॉन्सिबलिटी (CSR) के तहत इन्होंने Rise for Good प्रोग्राम शुरू किया. इसमें कई मुद्दों पर काम हो रहा है जिसमें सेहत के लेकर पीने के साफ पानी की उपलब्धता भी शामिल है. कमजोर आर्थिक हालात वाले लोगों को इन प्रोग्राम्स से सीधे जोड़ा जाता है और उन्हें ऐसे तैयार करने की कोशिश होती है कि वे खुद ही अपना जीवन स्तर सुधार सकें.
महिंद्रा ग्रुप में काम करने वाले जो लोग सोशल वर्क में दिलचस्पी लेते हैं, उनके पास भी कई विकल्प हैं. इसे ESOPS (Employee Social Options) कहा जाता है. इसके तहत समाज से जुड़ने की इच्छा रखने वाले कर्मचारी सामाजिक कार्यों में अपना योगदान दे सकते हैं. CSR के तहत होवे वाले सारे काम रस्मी तौर पर नहीं होते, बल्कि हर महीने उनकी रिपोर्ट तैयार होती है जो खुद आनंद महिंद्रा देखते हैं.
The capabilities of our people to rapidly innovate & adapt to new circumstances never ceases to amaze me. @rajesh664 we need to get him as an advisor to our R&D & product development teams! pic.twitter.com/ssFZUyvMr9
— anand mahindra (@anandmahindra) April 24, 2020
फिलहाल 20.7 बिलियन डॉलर कंपनी के चेयरमैन अपने उस ट्वीट को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें उन्होंने एक ऑटोवाले को अपने यहां काम करने का प्रस्ताव दिया है. दरअसल बंगाल के एक ई-रिक्शा ड्राइवर ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए अपने रिक्शे को मोटे प्लास्टिक की मदद से 4 खाने में बांट दिया. यहां तक कि ड्राइवर सीट भी दूसरों से अलग की हुई है. महिंद्रा ने इसे ट्विटर पर शेयर करते हुए M&M में ऑटो एंड फार्म सेक्टर के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राकेश जेजुरिकर को ट्वीट में टैग किया और उनके कहा कि वे इस रिक्शाचालक को अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) विभाग में सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर सकते हैं. तब से इस ट्वीट को 22,000 से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं और सारे लोग इसे क्वारंटाइन टक-टक (कोलकाता में रिक्शा को कहते हैं) कह रहे हैं.
वैसे कोरोना संक्रमण के बीच महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन मदद के लिए आगे आए हैं. उन्होंने अपनी एक महीने की तनख्वाह दान कर दी है, साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल के लिए अपने रिजॉर्ट्स टेंपररी तौर पर देने की घोषणा की है. इसके अलावा वेंटिलेटर तैयार करने की कोशिश की जा रही है. उनके अलावा भी कई बिजनेस घराने मदद को आगे आए हैं. इनमें टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) काफी आगे हैं. रतन टाटा ग्रुप की तरफ से कुल 1500 करोड़ रुपयों की मदद की जा रही है. मुकेश अंबानी, चेयरमैन, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोरोना प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 करोड़ रुपए दिए. साथ ही मुंबई में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए 100 बेड का सेंटर बनाया है. रिलायंस इंडस्ट्री ने डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स के लिए प्रतिदिन 1 लाख फेस मास्क तैयार करने का ऐलान किया है. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने, खाने और रहने के इंतजाम करने के लिए बजाज ग्रुप ने 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है. फार्मेसी का नाम बड़ा सन फार्मा 25 करोड़ रुपए की दवाएं और सैनेटाइजर की मदद के लिए आगे आई है.
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