पीने के पानी की हो सकती है किल्लत, पीएचई विभाग ने अब तक नहीं की कोई तैयारी
वनांचल क्षेत्र में अधिकतर बैगा आदिवासी निवास करते हैं, ऐसे में जल स्रोतों में पानी की कमी के चलते वे अपने तरीके से जीवन जी रहे हैं। पीएचई विभाग ने वनांचल क्षेत्र में पेयजल के नाम पर हैंडपंप खोद तो दिए हैं लेकिन कई गांवों के हैंडपंप खराब पड़े हैं और कई हैंडपंपों में आंधे घंटे तक मशक्कत करने के बाद पानी निकलता है, वह भी गंदा। चिल्फी के समीपस्थ ग्राम बेलापानी में बीते साल दो हैंडपंप में से एक खराब हो गया है, दूसरे हैंडपंप पर पूरा गांव आश्रित है। ग्राम बरहापानी जो कि बैगा बाहुल्य गांव है, वहां एक भी हैंडपंप व कुआं नहीं है। पिछले कई वर्षों से गांव के लोग पीने के पानी के लिए एक किमी दूर नदी, नालों में बने झिरिया का उपयोग करते है। वनांचल में ऐसे कई गांव है, जहां पर केवल झिरिया का उपयोग कर हैं ।
इन गांवों में ज्यादा संकट
बोड़ला ब्लॉक के वनांचल में बैगा आदिवासी निवास करते हैं, जहां पर वषोर्ं से जल संकट बना हुआ है। आए दिन पानी की समस्या से ग्राम सरोधादादर, आमापानी, बेलापानी माचापानी, मादीभाठा(खुर्द), शंभूपीपर, कबरीपथरा, बुढ़ीखम्हार, मछली घाट, बगई पहाड़ , सुरतिया, बरहापानी, खिचराही, दुहदुला, अकलघरिया, तुरैया बहरा, जामपानी, कुंडपानी यह गांव ज्यादा प्रभावित है। इसी प्रकार पंडरिया ब्लॉक के कुकदुर क्षेत्र भी प्रभावित है। वहीं सहसपुर लोहारा के झलमला, सिंघनपुरी वाला एरिया प्रभावित होता है। लेकिन पीएचई विभाग ने लॉकडाउन के कारण यहां अभी तक पानी को लेकर कोई तैयारी नहीं की है।
बीमारियों का डर
वनांचल में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की सुविधा नहीं होने से लोग मजबूरी में नदी, नालों का गंदा पानी पीते हैं। ऐसे में गंदा पानी से गंभीर बीमारियां होने का डर बना हुआ है। इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करने की जरूरत है, हालांकि कई स्वयं सेवी संस्था द्वारा गांवों में पानी के ऊपर काम कर गांवों में जल समिति बनाकर पानी की उपलब्धता पर ग्राम स्तरीय बैठक कर बरसात का पानी स्टोर कर गर्मी में उपयोग करने का तरीका बताया जाता रहा है। गांवों में बरसात के पानी को रिचार्ज व डिस्चार्ज क्षेत्र चुनकर ग्रामीणों के साथ नियमित बैठक कर जागरूक किया जा रहा है।
बीते साल हैंडपंप का दूषित पानी पीने से गैंदपुर में फैला था डायरिया
बीते साल अगस्त माह में ब्लॉक मुख्यालय से करीब 28 किमी दूर ग्राम गैंदपुर में हैंडपंप का बैक्टीरिया युक्त पानी पीने से डायरिया फैल गया था। गांव में 32 लोग बीमार हो गए थे। जानकारी अनुसार ग्राम गैंदपुर के दैहानपारा, बड़े पारा में 3 दिन से डायरिया का प्रकोप था। 16 अगस्त को उल्टी-दस्त के 3 मरीज मिले थे, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने ध्यान नहीं दिया। इसके कारण पीड़ितों की संख्या बढ़कर 32 तक पहुंच गई थी।
पानी की समस्या को लेकर जिले में कंट्रोल रुम स्थापित
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ने पेयजल समस्या के त्वरित निराकरण के लिए सभी जिला कार्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना करने तथा कंट्रोल रूम में नामजद अधिकारियों-कर्मचारियों और कंट्रोल रूम का दूरभाष तथा कर्मचारियों के मोबाइल नंबर जारी कर ड्यूटी लगाए जाने निर्देश दिए हैं। वर्तमान परिस्थितियों में मैदानी स्तर पर होने वाले कार्य के दौरान शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखने के भी निर्देश दिए हैं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य स्तर पर कार्यालय प्रमुख अभियंता इंद्रावती भवन नया रायपुर में टोल फ्री नंबर – 1800 230 008 स्थापित किया गया है, जिस पर राज्य के किसी भी क्षेत्र से पेयजल एवं जल गुणवत्ता समस्या संबंधी शिकायत की जा सकेगी। इसी प्रकार कबीरधाम जिले के लिए फोन नंबर 07741-233131 व मोबाइल नंबर 94060-33999 है।
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