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COVID-19: कोरोना के खिलाफ जंग में कितने तैयार हैं UP के निजी अस्पताल? कैसे बन रहे हॉटस्पॉट?- UP private hospitals how much ready corona war How they becoming hotspots Most affected in 9 cities agra ayodhya noida uplm upas | ayodhya – News in Hindi

लखनऊ. कोरोना (COVID-19) संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कितने निजी अस्पताल (Private Hospitals) तैयार हैं? ये सवाल जितना गंभीर है इसका जवाब उतना ही डरावना है. ऐसा इसलिए क्योंकि बड़े पैमाने पर निजी अस्पताल भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. कहीं डॉक्टर तो कहीं अस्पताल का स्टाफ. तो कहीं वहां इलाज के लिए आने वाले मरीज कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. प्रदेश में ऐसे दर्जनों मामले अभी तक सामने आ चुके हैं जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

प्रदेश के कितने निजी अस्पतालों में फैला कोरोना?

अभी तक मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के नौ शहरों में अस्पतालों और जांच केंद्रों को कोरोना ने अपने शिकंजे में ले रखा है. इसकी शुरुआत ताज नगरी आगरा से हुई. आगरा से ही कोरोना का संक्रमण यूपी में दाखिल हुआ था. बीते दो मार्च को प्रदेश का पहला कोरोना मामला इसी शहर से सामने आया था. हैरत की बात यह है कि किसी निजी डॉक्टर के कोरोना संक्रमित होने का मामला भी ताज नगरी से ही सामने आया.

एसआर हॉस्पिटल से शुरू हुआ सिलसिला आगरा के दूसरे अस्पतालों और निजी क्लिनिक तक पहुंच गया. एसआर हॉस्पिटल के डॉ. राजेंद्र बंसल और उनके बेटे डॉ. अंकुर बंसल को कोरोना संक्रमण पाया गया. कुछ ऐसा ही हाल मुरादाबाद के सीएल गुप्ता आई इंस्टीट्यूट का भी रहा. यहां इंस्टीट्यूट में प्रवेश करने वालों की स्क्रीनिंग करने वाली महिला गार्ड कोरोना पॉजिटिव पाई गई. गनीमत ये रही कि जितने लोगों की उसने स्क्रीनिंग की थी, वो सभी नेगेटिव निकले.इन अस्पतालों में मरीज पाये गए संक्रमित

आगरा के एसआर हॉस्पिटल का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि यहां के पारस अस्पताल का मामला सामने आ गया. इसके तुरंत बाद दो प्राइवेट क्लीनिक के डॉक्टर संकट में आ गए. मित्तल क्लिनिक के डॉ. प्रमोद मित्तल और सरकार नर्सिंग होम के डॉ. दीपक बंसल मुसीबत में घिर गए. आनन-फानन में क्लीनिक और अस्पताल सील कर दिए गए. वाराणसी के गैलेक्सी हॉस्पिटल और ASG EYE हॉस्पिटल की भी यही कहानी है. इसी तरह राजधानी लखनऊ के मधुराज हॉस्पिटल और चरक डाइग्नोस्टिक सेंटर का मामला रहा. यह दोनों भी सील हैं.

वहीं नोएडा के मानस हॉस्पिटल के एक विंग को सील किया गया क्योंकि यहां एडमिट एक मरीज कोरोना संक्रमित निकला. अलीगढ़ के मित्तल डाइग्नोस्टिक सेंटर को इसलिए बंद करना पड़ा क्योंकि यहां सीटी स्कैन कराने आया एक मरीज अलीगढ़ में जांच में कोरोना पॉजिटिव निकला. इसी तरह अब अयोध्या के संजाफी हॉस्पिटल को भी सील किया गया है क्योंकि वहां एक गर्भवती महिला को भर्ती किया गया था जो बाद में कोरोना पॉजिटिव पाई गई.

जाहिर है निजी अस्पताल के डॉक्टर और उनके स्टाफ दोधारी तलवार का सामना कर रहे हैं. वैसे तो सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर और दूसरे स्टाफ कोरोना संक्रमित हो रहे हैं लेकिन निजी अस्पतालों के लिए ये स्थिति बड़ी भयावह है.

तो क्या निजी अस्पताल खुद ही पैरों पर चला रहे हैं कुल्हाड़ी?

यह बड़ा सवाल है. प्रदेश में जिस तरह से निजी अस्पतालों में डॉक्टर, वहां के स्टाफ और मरीज संक्रमण के शिकार हो रहे हैं, ऐसे में सबक लेने में देरी बहुत भारी पड़ सकती है. निजी अस्पतालों को WHO, ICMR और राज्य सरकार द्वारा बताये गए सुरक्षा उपायों का हर हाल में पालन करना होगा. ऐसा न करने की सूरत में डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों और आम लोगों दोनों पर खतरा और गहरा जायेगा. इसके बावजूद कुछ अस्पतालों की तरफ से सूचना छिपाने की खबरें भी लगातार आ रही हैं. लखनऊ में ऐसा एक मामला सामने आ चुका है. यह बेहद घातक और गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.

आगरा में निजी अस्पताल चलाने वाले और आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि कोरोना का संकट लंबा चलने वाला है. लिहाजा डॉक्टरों के साथ आम लोगों के पास भी बचाव ही एक सबसे बड़ा हथियार है. बता दें कि पूरे प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा निजी अस्पताल और हर शहर में 100 से ज्यादा जांच केंद्र हैं. इनमें से प्रतिष्ठित संस्थान तो बचाव के तरीके अपना रहे हैं लेकिन ज्यादातर खतरे के बीच काम चला रहे हैं.

संकट की घड़ी में क्या हैं उपाय

प्रदेश के निजी चिकित्सकों का संगठन Indian Medical Association (IMA) लगातार इस मामले में प्रदेश भर के अस्पताल प्रबंधकों से संपर्क में है. IMA के चेयरमैन डॉ. अशोक राय ने बताया कि उनकी राज्य सरकार के अधिकारियों से बात हुई थी. उन्होंने PPE किट और मास्क की मांग की थी लेकिन राज्य सरकार ने स्वयं व्यवस्था करने की बात कही थी. राज्य सरकार की बताई एजेंसी से निजी अस्पताल प्रबंधन ये किट और मास्क ले रहे हैं. बचाव के तरीके अख्तियार किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया की समय-समय पर पूरे प्रदेश के निजी डॉक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी की जा रही है, जिससे कहीं कोई समस्या आये तो उसका समाधान किया जा सके.

क्या कहना है सरकार का?

उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट को लगातार मॉनिटर करने वाले अधिकारी अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा है कि निजी डॉक्टरों और अस्पतालों के दूसरे स्टाफ को सुरक्षा के सभी उपाय करने होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास निर्देश हैं कि PPE किट और मास्क के उपयोग के साथ ही मरीजों का इलाज किया जाये.

यूपी में कोरोना की क्या है ताजा स्थिति

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 24 अप्रैल की दोपहर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1,604 पहुंच गई है. राज्य के 75 में से 57 जिलों में संक्रमण पाया गया है. अभी तक 24 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है जबकि 206 मरीज अभी तक ठीक हो गए हैं.

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