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लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को बांटी जा रही रोटियों का हो रहा है गोरखधंधा, जानिए कैसे – covid19 coronavirus During lockdown the loaves being distributed to the needy are being tricked know how nodrss | sirsa – News in Hindi

लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को बांटी जा रही रोटियों का हो रहा है गोरखधंधा, जानिए कैसे

लॉकडाउन के दौरान ये रोटियां जरूरतमंद लोगों को सामाजिक संस्थाओं के द्वारा बांटी जा रही हैं.

जरूरतमंद लोग (Needy people) सामाजिक संस्थाओं से मिले रोटी को सूखा कर 15 से 16 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से कबाड़ी को बेच देते हैं. कबाड़ी आगे इन्हें 17 से 18 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से पशु पालकों को बेच देता है.

सिरसा. लॉकडाउन (Lockdown) के बीच हरियाणा के सिरसा (Sirsa) में एक वीडियो वायरल (Video viral) हो रहा है. इस वीडियो में कबाड़ी की साइकिल पर लगी बोरियों में रोटियां दिखाई दे रही हैं. कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान ये रोटियां जरूरतमंद लोगों को सामाजिक संस्थाओं के द्वारा बांटी जा रही हैं, लेकिन जब इस वीडियो की पड़ताल हुई तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है. लॉकडाउन में इन सूखी-बासी रोटियों का भी बिजनेस चल रहा है और जरूरतमंद लोग विभिन्न संस्थाओं से दिए जाने वाले खाने को इकट्ठा कर उसे पेट भरने के बजाय बेच देते हैं.

जरूरतमंदों की रोटियां जानवर क्यों खा रहे हैं?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जरूरतमंद हर संस्था से भोजन का पैकेट लेते हैं. जितना खाना उन्हें खाना होता है खा लेते हैं बाकी रोटियों को वो सुखा कर बेच देते हैं. इन लोगों के द्वारा यही सूखी रोटी 15 से 16 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से कबाड़ी को बेच दिया जाता है. कबाड़ी आगे इन्हें 17 से 18 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से पशु पालकों को बेच देता है. पशुपालक इसे कैटल फीड के साथ पशुओं को खिलाता है. सूखी रोटी पशुओं के लिए अच्छा भोजन माना जाता है और इस तरह सिरसा और आसपास के इलाकों में यह नया गोरखधंधा जारी है.

सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं खाना खिला रहे हैंबता दें कि सिरसा हरियाणा का एक धार्मिक शहर है. लॉकडाउन के दौरान यहां पर अनेक धार्मिक संस्थाएं बढ़-चढ़ कर जरूरतमंदों को मदद पहुंचा रही हैं. सिरसा में अनेक छोटी-बड़ी सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं इस नेक कार्य में लगी हुई हैं. इस क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि वो रात को भूखे पेट सो गया था, क्योंकि इस नगर में जितने जरूरतमंद लोग नहीं है उससे कहीं अधिक भोजन के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि भोजन ऐसे लोगों के घरों में भी जा रहा है कि जो खुद जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करा सकते हैं. लेकिन खाते-पीते लोग भी जरूरतमंदों के भोजन पर डाका डाल रहे हैं.

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First published: April 24, 2020, 4:29 PM IST



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