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बड़ा फैसला- सरकारी कर्मचारियों के बढ़े हुए डीए पर लगी रोक, जुलाई 2021 तक करना होगा इंतजार – Big News DA hike for government employees pensioners put on hold till July 2021 as Covid19 | business – News in Hindi

नई दिल्ली. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) बढ़ाने पर रोक लगा दी गयी है. एक जनवरी से 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा DA नहीं देने का प्रस्ताव है. सरकार के इस फैसले का असर 54 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा. बता दें कि पिछले महीने सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते में 4 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी. डीए को 17 फीसदी से बढ़ाकर 21 फीसदी किया गया था. 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से बढ़ने वाले महंगाई भत्ते पर रोक लगी है. इसके साथ ही आगे चलकर ये बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता एरियर के तौर पर भी नहीं मिलेगा.

क्या है सरकार का आदेश- सरकार ने बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता (DA) रोकने का आदेश दिया है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों को अब 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020 और 1 जनवरी 2021 से बढ़ने वाला DA नहीं मिलेगा. जो DA रोका जा रहा है उसका एरियर के तौर पर भुगतान भी नहीं होगा.​

सरकार ने क्यों लिया ये फैसला-कहा जा रहा है कि सरकार का यह फैसला कोरोना वायरस महामारी के चलते लिया गया है. जिसकी वजह से सरकारी राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सरकार के इस फैसले का असर 54 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा.

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केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी को रोके जाने से सरकार हर महीने औसतन 1,000 करोड़ रुपये बचा सकती है. सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए 14,595 करोड़ रुपये के अतिरिक्त लागत निर्धारित की थी. कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में जारी लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को काफी गहरा नुकसान पहुंचा है.

क्यों दिया जाता है Dearness Allowance, कब से शुरू हुई थी महंगाई भत्ता देने की प्रथा
>> महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है, जो देश के सरकारी कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. पूरी दुनिया में सिर्फ भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जिनके सरकारी कर्मचारियों को ये भत्ता दिया जाता है.

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>> ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में दिक्कत न हो. ये पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है.

>> इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए उनकी तनख्वाह से अतिरिक्त पैसा दिया जाता था. इस पैसे को उस वक्त खाद्य महंगाई भत्ता या डियर फूड अलाउंस कहा जाता था. जैसे-जैसे वेतन बढ़ता जाता था, इस भत्ते में भी इजाफा होता था.

>> भारत में मुंबई के कपड़ा उद्योग में 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने लगी थी, ताकि बढ़ती हुई महंगाई का असर सरकारी कर्मचारी पर न पड़े. इसके लिए 1972 में ही कानून बनाया गया, जिससे कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट 1951 के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगे.

(लक्ष्मण रॉय, इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर- CNBC आवाज़)

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