kerala governor arif mohammad khan interview on jamaat Deoband with news 18 hindi nodrss – केरल सरकार के साथ अपने संबंधों पर क्या कहा राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने | interview – News in Hindi
तब्लीगी जमात के कार्यक्रम के कारण देश की कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को झटका लगा है? क्या जमात के प्रमुख मौलाना साद ने लोगों को बरगलाने की कोशिश की है? मौलाना साद के इस अपराध को आप किस नजरिये से देखते हैं?
आरिफ मोहम्मद खान- इस प्रश्न का जवाब मैंने दे दिया है. अगर भाषणों को ध्यानपूर्वक सुना जाए तो कोई सामान्य व्यक्ति इसी निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि यह लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाकर उन्हें भड़का रहे थे. इस मामले के कोई दो रूप नहीं हैं कि यह बताया जाए कि इसे किस रूप में लेना चाहिए.आप इस्लाम के जानकार होने के साथ-साथ एक जिम्मेदार पद पर भी हैं. तब्लीगी जमात को लेकर जिस तरह से देश में माहौल बनाया जा रहा है, उसे आप किस रूप में लेते हैं. क्या जमात ने कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की गाइडलाइंस की जान-बूझकर धज्जियां उड़ाई है?
आरिफ मोहम्मद खान: आपका जो प्रश्न है उसका उत्तर या तो तब्लीगी जमात के मुखिया या इस केस के विवेचनाधिकारी दे सकते हैं. मैंने तो केवल उन भाषणों पर चिंता जताई है, जो मरकज़ में जमात के मुखिया ने दिए हैं और जिसको उन्होंने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है. यह भाषण अपने आप में अत्यंत ही आपत्तिजनक है और यह कहा जा सकता है कि वो अपने मानने वालों को लॉकडाउन की आचार संहिता को तोड़ने के लिए उकसा रहे थे. भाषण में साफ-साफ यह कहा गया है कि “अगर तुम अपनी आंखों से किसी को मस्जिद में मरते देखो तो जान लो कि मरने के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती” इत्यादि. मैं मानता हूं कि यह अज्ञानतावश नहीं किया जा रहा था, बल्कि यह लोगों को अंधभक्त बनाने के लिए किया जा रहा था. उनको यह बताया जा रहा था कि हम विशेष हैं और कोरोना का हमारे ऊपर कोई असर नहीं होगा.
केरल के सीएम के साथ एक कार्यक्रम में आरिफ मोहम्मद खान.
आप केरल के राज्यपाल हैं. पिछले कुछ अनुभवों से हम कह सकते हैं कि आपका और केरल सरकार के बीच कॉर्डिनेशन में कुछ कमी है. देश में कोरोना का सबसे पहला केस केरल में ही सामने आया था. इसको लेकर केरल सरकार ने जिस तरह से काम किया है उसको आप कैसे लेते हैं? देश ही नहीं दुनिया में केरल सरकार की कोरोना संक्रमण से बचने के लिए किए गए उपायों की सराहना हो रही है. इस पर आपका क्या कहना है?
आरिफ मोहम्मद खान- मुझे नहीं पता कि आपको यह कहां से लग गया कि कॉर्डिनेशन की कमी है. नागरिकता के कानून के मामले में मतभेद से अगर आप को यह लगा है तो इसे अपनी सोच से निकाल दें. क्योंकि. हमारे बीच पूरी समरसता और सामंजस्य है.
तब्लीगी जमात के बारे में आप कितना जानते हैं? जमात ने जिस तरह से इस्लाम धर्म को लेकर एक अलग राय रखी है, उससे आप कितना इत्तेफाक रखते हैं? क्या इस्लाम को जमात से अलग रखा जा सकता है?
आरिफ मोहम्मद खान- जमात के संगठन के ढांचे के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है, लेकिन जैसा कि तब्लीग़ी कहते हैं कि वो तो लोगों को नमाज़ रोज़ा इत्यादि के बारे में बताते हैं, इसमें भी किसी को ऐतराज़ नहीं हो सकता है. लेकिन, मुझे जो बात आपत्तिजनक लगती है वो यह है कि जमात के लोग धर्म की शुद्धि के नाम पर साधारण मुसलमानों को अपने रस्म-ओ-रिवाज को यह कहकर छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं कि यह रस्म-ओ-रिवाज इस्लामी नहीं, बल्कि हिन्दुओं से आए हैं. हमारे देश में हमेशा से जो संस्कृति चलती चली आई है, उसे बहुधा संस्कृति कहते हैं. कुछ लोग उसे गंगा-जमुनी तहज़ीब भी कहते हैं. अगर आप सर सय्यद को पढ़ें तो वह यह कहते हैं कि सांस्कृतिक मूल्यों के आादान-प्रदान के अलावा 12 वर्ष साथ रहने से ख़ून बदल जाता है. अब हमारे यहां एक अभियान चलाकर धर्म के नाम पर सांस्कृतिक अलगावाद पैदा किया जाएगा तो इसके परिणाम दुष्कर ही होंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. शाह बानो केस में राजीव गांधी के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोला था.
कोरोना महामारी को लेकर पीएम मोदी ने जो कदम उठाए हैं या जो उठा रहे हैं, उसको आप किस नजरिए से देखते हैं? देश की कुछ सरकारें खासकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और वहां के राज्यपाल के बीच अनबन की खबर है. आपको क्या लगता है कि क्या यह समय साथ मिलकर स्थिति पर काबू करने का नहीं है?
आरिफ मोहम्मद खान- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो क़दम उठाए हैं, उसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अच्छा यह हुआ कि अन्य बहुत से देशों की तरह हमने यह क़दम उठाने में कोई देर नहीं की. इसके साथ प्रधानमंत्री ने जिस तरह थाली बजाने या प्रकाश करने का आवाहन किया, उससे इस संघर्ष ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया. भारत बहुत बड़ी आबादी का देश है, हम अगर इस अभियान को प्रभावी रूप दे पाए हैं, तो इसीलिए कि इसमें पूरा जनसहयोग मिला है. कोरोना की चुनौती की गंभीरता को देखते हुए यह समय साथ मिलकर काम करने का है. और इस लड़ाई को पूरी सफलता दिलाने के लिए सभी राज्यों को इस समय केन्द्र सरकार के साथ मिल कर ही काम करना चाहिए.
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