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IPS Shailendra Mishra is standing at the gate of Jammu and kashmir  to save the valley from COVID 19 | COVID-19 से घाटी को बचाने के लिए J&K के ‘द्वार’ पर खड़े हैं IPS शैलेंद्र मिश्र   | nation – News in Hindi

कठुआ. जम्‍मू और कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) का कठुआ देश के उन चुनिंदा जिलों में शामिल है, जो खुद को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में सफल रहे हैं. 20 अप्रैल तक कठुआ न केवल जम्‍मू और कश्‍मीर, बल्कि देश का ऐसा जिला था, जहां पर कोरोना संक्रमण का एक भी केस नहीं था. कठुआ (Kathua) ने खुद को कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से बचाया ही, साथ ही कोशिश की कि देश के दूसरे हिस्‍से से कोरोना का कोई भी केस इस केंद्र शासित प्रदेश तक न पहुंच जाए. इस कोशिश को सार्थक बनाने के लिए कठुआ में बहुत सारे सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं. इन कार्यों के बारे में विस्‍तार से जानने के लिए न्‍यूज 18 हिंदी डिजिटल की टीम ने कठुआ जिले के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र मिश्र (Shailendra Mishra) से बातचीत की. प्रस्‍तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:

कठुआ को जम्‍मू और कश्‍मीर का प्रवेश द्वार कहा जाता है. यदि द्वार पर ही बीमारी पकड़ ली जाए, तो पूरा घर स्‍वस्‍थ्‍य बना रहेगा. ऐसे में, जम्‍मू और कश्‍मीर यूनियन टेरिटरी रूपी अपने घर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए कठुआ क्‍या भूमिका अदा कर रहा है?
लॉकडाउन घोषित होते ही हवाई मार्ग और रेल मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. जम्‍मू और कश्‍मीर यूनियन टेरिटरी में दाखिल होने के कुल 13 रास्‍ते हैं और ये सभी रास्‍ते कठुआ होकर ही गुजरते हैं. कठुआ पुलिस ने 13 में से 12 रास्‍तों को 23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के साथ पूरी तरह से सील कर दिया था. वहीं, आवश्‍यक वस्‍तुओं की आवाजाही और आपातकालीन परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए एक रास्‍ते को खोल कर रखा हुआ है. अपने घर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए हम यहां से गुजरने वाले हर ट्रक की जांच करते हैं. उन्‍हें सैनिटाइज करते हैं. ट्रक के ड्राइवर और क्‍लीनर को स्‍क्रीनिंग के बाद आगे बढ़ने की इजाजत दी जाती है. फिलहाल कठुआ पुलिस रोजाना करीब 1200 ट्रक और 2400 ड्राइवर- क्‍लीनर की स्‍क्रीनिंग कर रही है. इसी तरह, यहां से गुजरने वाले औसतन 100 छोटे इमरजेंसी वाहनों की जांच, सैनिटाइजेशन और स्‍क्रीनिंग भी की जाती है.

कठुआ जम्‍मू और कश्‍मीर का एक प्रमुख व्‍यापारिक केंद्र है. ऐसा कहा जाता है कि पूरी यूनियन टेरिटरी में सबसे ज्‍यादा प्रवासी कामगार कठुआ में ही है. इन लोगों की देखरेख कैसे संभव हो पा रही है.जी हां, कठुआ जम्‍मू और कश्‍मीर यूनियन टेरिटरी का अहम व्‍यापारिक केंद्र है. यहां करीब 11500 प्रवासी मजदूर हैं. लॉकडाउन लगने के बाद, करीब एक हजार प्रवासी मजदूर यूनियन टेरिटरी के दूसरे हिस्‍सों से आकर कठुआ में रुक गए. सभी प्रवासी मजदूर पंजाब होते हुए देश के विभिन्‍न राज्‍यों में जाना चाहते थे. प्रशाासन के सामने चुनौती यह थी कि इतनी बड़ी तादाद में लोगों को भोजन कैसे उपलब्‍ध कराया जाए. इस चुनौती से निपटने के लिए कठुआ पुलिस ने ऐसे लोगों की टीम बनाना शुरू की, जो अपनी स्‍वेच्‍छा से आगे आकर लोगों की मदद करना चाहते थे. हमने कठुआ से करीब 300 नागरिकों को अपने साथ जोड़ा. बीते एक महीने से ये 300 नागरिक 12500 लोगों के खाने का प्रबंध कर रहे हैं. यहां खास बात यह है कि इस पूरी कवायद का आर्थिक भार इन्‍हीं कोरोना योद्धाओं द्वारा उठाया जा रहा है.

कठुआ जिला पुलिस द्वारा तैयार कराई गई सैनिटाइजर की बोतलें.

कठुआ जिला पुलिस द्वारा तैयार कराई गई सैनिटाइजर की बोतलें.

कठुआ पुलिस का सैनिटाइजर इन दिनों जम्‍मू और कश्‍मीर में बहुत लोकप्रिय हो रहा है. पता चला है कि कठुआ जिला पुलिस खुद सैनिटाइजर बनाकर अपने पुलिस कर्मियों और जरूरतमंदों को उपलब्‍ध करा रही है. यह सैनिटाइजर बनाने का ख्‍याल कहां से आया?
कोरोना के आने के साथ बाजार से सैनिटाइजर लगभग गायब हो चुका था. ऐसे में अपने जवानों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए हमने सैनिटाइजर के इंग्रीडियंट को हमने स्‍टडी किया. कठुआ जिला पुलिस ने एक रेडियोलॉजिस्‍ट डॉक्‍टर हैं, उनके साथ हमने चर्चा की. उन्‍होंने सभी इंग्रीडियंत को मिलाकर सैनिटाइजर तैयार किया. इस सैनिटाइजर की इफेक्टिवनेस जानने के बाद हमने इसका वितरण शुरू किया. यह सैनिटाइजर ड्यूटी पर तैनात जवानों के साथ-साथ हर जरूरतमंद तक पहुंचाया गया. कठुआ पुलिस के इस प्रयास की सराहना केंद्र सरकार ने भी की है. आपको बता दूं कि कठुआ पुलिस लोगों तक सैनिटाइजर ही नहीं, बल्कि आवश्‍यकता पड़ने पर लोगों तक दवाओं की आपूर्ति भी कर रही है.

कठुआ को कोरोना मुक्‍त रखने की कवायद को एक झटका तब लगा, जब यहां के एक व्‍यक्ति को कोरोना वायरस के संक्रमित पाया गया. यह शख्‍स कौन था और इस तक संक्रमण कैसे पहुंचा.
कठुआ मूल के एक व्‍यक्ति को बीते दिन कोरोन वायरस से संक्रमित पाया गया है. दरअसल, कोरोना वायरस से संक्रमित यह व्‍यक्ति मुंबई में ट्रक के खलासी का काम करता था. बीते दिनों, इसको अपने गांव कठुआ आना था. यह पहले एक ट्रक से मुंबई से अहमदाबाद पहुंचा. अहमदाबाद से पंजाब आया और पंजाब में ऐसे ट्रक की तलाश कर रहा था, जो सांबा की तरफ जा रहा हो. इसकी किस्‍तम अच्‍छी थी कि उसे एक ऐसा ट्रक मिला जो सांबा की तरफ रहा था और उसमें खलासी भी नहीं था. इसी ट्रक में यह सवार होकर कठुआ तक पहुंचा. यहां पर स्‍क्रीनिंग के दौरान दोनों को फीवर नहीं था. कोरोना संक्रमित शख्‍स ने हमे बताया कि वह अहमदाबाद से आ रहा है, इसने मुंबई से आने की बात हमसे छिपाई थी. चूंकि दोनों ट्रक लेकर वापस जाना था, इसलिए इनको नहीं रोका गया. वहीं, चेक पोस्‍ट से आगे निकलने के बाद यह अपने घर छन्‍न क्षत्रिया चला गया.

बाहरी राज्‍यों से आने वाले ट्रकों की जांच के साथ ड्राइवर और कंडक्‍टर की स्‍क्रीनिंग की जाती है.

बाहरी राज्‍यों से आने वाले ट्रकों की जांच के साथ ड्राइवर और कंडक्‍टर की स्‍क्रीनिंग की जाती है.

इस बात की तसल्‍ली कर कसते हैं कि इस शख्‍स ने किसी दूसरे शख्‍स को कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं किया होगा.
अपने घर पहुंचने के बाद इसे अहसास हुआ, कि इसने गलत किया है. अगले ही दिन यह हॉस्पिटल पहुंच गया. जहां इस शख्‍स का सैंपल लेने के बाद इसको आइसोलेशन वार्ड में ठहरा दिया गया. बीते दिन आई रिपोर्ट में पता चला कि यह कोरोना पॉजिटिव है. जिसके बाद, इसको बेहतर इलाज के लिए अस्‍पताल में भर्ती करा दिया गया है. वहीं, पूछताछ में यह पता चला कि इसके परिवार में सिर्फ इसकी पत्‍नी है. लिहाजा, इसकी पत्‍नी के सैंपल को जांच के लिए भेजकर, उसे भी आइसोलेट कर दिया गया है. केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रायल के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए छन्‍न क्षत्रियां गांव को हॉटस्‍पॉट घोषित करते हुए सील कर दिया गया है. पूरे गांव में स्‍क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया लगातार जारी है. अभी तक किसी भी व्‍यक्ति में कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं देखे गए हैं. इतना ही नहीं, जिस ट्रक से यह शख्‍स कठुआ आया था, उस ट्रक के ड्राइवर को भी मुंबई में क्‍वारंटाइन करा दिया गया है.

आखिर में, कठुआ की सीमाएं भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा से भी जुड़ी हुई हैं. ऐसे में आपके सामने आतंकवाद, घुसपैठ और  मादक पदा‍र्थों की तस्‍करी की चुनौती हमेशा बनी रहती है. इन सब के बीच अब आपके सामने कोरोना संक्रमण की चुनौती है. एक साथ चार चुनौतियों का सामना करना कितना मुश्किल हो रहा है.
इन चीजों के लिए हम पहले से तैयार थे. घुसपैठ को रोकना हमारे लिए पहली प्राथमिकता शुरू से रही है. इस‍ीलिए हमने अपना इन्फिल्ट्रैशन ग्रिड को कमजोर नहीं होने दिया. हमारा अपना स्‍पेशल ऑपरेशन ग्रुप है, जिनको हमने कोरोना फाइट से दूर रखा. इनको हमने पूर्व की तरह महत्‍वपूर्ण और संवेदनशील नाको पर तैनात रखा. खुफिया जानकारियों को जुटाने का काम पहले की तरह ही चलता रहा. इसी कवायद का असर था कि कोराना फाइट के बीच में हमने घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम किया है. हमने अपने अतिसंवेदनशील श्रेणी में आने वाले राजबाग और हीरानगर थाने की सुरक्षा के घेरे को पुख्‍ता कर दिया, जिससे किसी भी आतंकी साजिश को नाकाम किया जा सके. इस तरह हमने सभी मोर्चों पर अपनी तैयारी पूरी कर रखी थी. हम सभी मोर्चों पर एक साथ पूरी क्षमता से सामना करने के लिए हमेशा से तैयार थे.

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