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कैसे देश की नई चुनौती बन रहे हैं बगैर लक्षणों वाले कोविड 19 मरीज़? | Know how asymptomatic patients of corona virus are more dangerous in india | knowledge – News in Hindi

भारत के सामने लॉकडाउन (Lockdown) के दौर में कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण से जुड़ी एक नई चुनौती सामने आ रही है, यानी ऐसे संक्रमित जिनमें लक्षण नहीं दिखते (Asymptomatic). जी हां, मेडिकल जर्नल नेचर (Nature) की पिछले हफ्ते की रिपोर्ट की मानें तो बगैर लक्षणों वाले कोविड 19 (Covid 19) मरीज़ खतरनाक होते हैं क्योंकि लक्षण दिखने के करीब 3 दिन पहले ही ये संक्रमण (Infection) फैला सकते हैं. जानें कि भारत में कैसे इस तरह के मरीज़ चिंता का विषय बन रहे हैं.

दिल्ली सहित कई राज्यों ने जताई चिंता
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बीते रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली (Delhi) में एक दिन में किए गए 736 टेस्टों की रिपोर्ट में 186 लोगों को पॉज़िटिव (Corona Positive) पाया गया और ये सभी मामले ‘एसिम्प्टोमैटिक’ थे, यानी इन मरीज़ों में बुखार, खांसी या सांस की दिक्कत जैसा कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण (Covid 19 Symptoms) नहीं था. केजरीवाल ने कहा था कि ये खतरनाक स्थिति है कि आपको पता ही नहीं चलता कि आप संक्रमित हैं और दूसरों को भी कर सकते हैं.

‘एसिम्प्टोमैटिक’ मरीज़ों के मामले सामने आने की बात दिल्ली ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, असम, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों ने भी मानी और चिंता ज़ाहिर की.कितनी तरह के होते हैं मरीज़?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लक्षणों के आधार पर कोविड 19 के मरीज़ों को तीन श्रेणियों में रखा है :

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सिम्प्टोमैटिक – ये वो मरीज़ हैं, जो लक्षण दिखने के बाद दूसरों को संक्रमित करते हैं. लक्षण दिखाई देने के पहले तीन दिनों के भीतर ये मरीज़ संक्रमण फैला सकते हैं.

प्री सिम्प्टोमैटिक – ये वो मरीज़ हैं, जो संक्रमित होने और लक्षण सामने आने के बीच के 14 दिनों के समय में संक्रमण फैला सकते हैं. इन मरीज़ों में कोरोना वायरस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते लेकिन हल्का बुख़ार, बदन दर्द जैसी शिकायतें शुरुआती तौर पर होती हैं.

एसिम्प्टोमैटिक – ये वो मरीज़ हैं, जिनमें कोविड 19 का कोई लक्षण नहीं होता लेकिन ये वायरस पॉज़िटिव होते हैं और संक्रमण फैलाने के काबिल भी.

क्यों हैं ऐसे मरीज़ खतरनाक?
नेचर मेडिसिन जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ‘एसिम्प्टोमैटिक’ मरीज़ लक्षण दिखने से पहले ही संक्रमण फैलाना शुरू कर सकते हैं जबकि मरीज़ में पहला लक्षण दिखने के बाद वह दूसरों को पहले के मुकाबले कम संक्रमित कर पाता है. ऐसे ही कारणों से भारत के मेडिकल विशेषज्ञों के लिए ‘एसिम्प्टोमैटिक’ मरीज़ नई चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं.

बेंगलुरु के राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. सी. नागराज के हवाले से बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में एसिम्प्टोमैटिक कोरोना पॉज़िटिव मामले तक़रीबन 50 फ़ीसदी के आस-पास हैं. हालांकि भारत सरकार ने कहा है कि एसिम्प्टोमैटिक मरीज़ों की संख्या दुनिया में बहुत ज़्यादा नहीं है. फिर भी, सरकार इसे चुनौती तो मान ही रही है.

डॉ. नागराज का मानना है कि भारत को एसिम्प्टोमैटिक मामलों पर अलग से रिसर्च करनी चाहिए. ताकि ये भी पता चले कि हमें चिह्नित हॉटस्पॉट के बाहर भी एसिम्प्टोमैटिक लोगों के टेस्ट की ज़रूरत है या नहीं.

सरकार ने कहा आइसोलेशन ज़रूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए तैयार रहने की ज़रूरत बताते हुए कहा कि जो लोग हॉटस्पॉट में रह रहे हैं, उन्हें टेस्ट कराने चाहिए, खासकर बुज़ुर्गों या हाई रिस्क वाले लोगों को. या जो लोग एसिम्प्टोमैटिक हैं लेकिन कोरोना पॉज़िटिव लोगों के संपर्क में आ चुके हैं, वो खुद को आइसोलेट करें और ज़रूरत पड़ने पर प्रशासन से संपर्क करें ताकि उन्हें अस्पताल में आइसोलेशन की सुविधा दी जा सके.

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एसिम्प्टोमैटिक मामले बेहद गंभीर
जिनमें लक्षण नहीं हैं, कोरोना के ऐसे मरीज़ ‘दोमुंही’ तलवार की तरह हैं. सवाई मानसिंह अस्पताल के एमएस डॉ. एमएस मीणा के हवाले से बीबीसी ने आगे लिखा है कि अगर किसी व्यक्ति में कोई लक्षण नज़र नही आएगा, तो वह सतर्क भी नहीं होगा, टेस्ट करवाना तो दूर. ऐसे में यह व्यक्ति जानकारी के बिना ही संक्रमण फैलाएगा. इसका हल बताते हुए डॉ. मीणा ने कहा कि जिन लोगों को भी बाहर जाना पड़ रहा है, वो ज़रा भी संदेह होने पर या किसी कोरोना पॉज़िटिव के संपर्क में आने पर फौरन अपना टेस्ट करवाएं.

युवा न करें खतरे को नज़रअंदाज़
बीते 4 अप्रैल को केंद्र सरकार ने जो आंकड़े जारी किए थे, उनके मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों में से 41.9 फ़ीसदी लोगों की उम्र 20 से 49 साल के बीच है. वहीं, 32.8 फीसदी मरीज़ों की उम्र 41 से 60 साल की है. विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि रैपिड टेस्टिंग और पूल टेस्टिंग के कदम एसिम्प्टोमैटिक मामले पता करने में मददगार होंगे लेकिन युवा संक्रमण को लेकर सतर्क और प्रो-एक्टिव रहें.

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