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कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्मार्टफोन से लगाएं संपर्कों का पता: वैज्ञानिक । Scientists said- address contacts with smartphone to deal with coronavirus | nation – News in Hindi

नई दिल्ली. दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है कि भारत की आरोग्य सेतु जैसे स्मार्टफोन ऐप (Smartphone apps like Arogya Setu) के जरिए कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने से महामारी को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. ये भी माना जा रहा है कि इससे दुनिया को लॉकडाउन (Lockdown) से बाहर निकालने में सहायता मिल सकती है, लेकिन प्रौद्योगिकी संचालित हस्तक्षेप से निजता संबंधी मसले हो सकते हैं.

विशेषज्ञों (Specialist) का कहना है कि प्रौद्योगिकी (Technology) कोरोना वायरस से संक्रमित शख्स के संपर्क में आए सभी लोगों का पता लगाने में मदद कर सकती है जिससे स्वास्थ्य कर्मियों को संभावित मरीज की जांच कर संक्रमण (Infection) को आगे फैलने से रोकने में मदद मिलेगी.

भारत ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों का पता भी लगा सकता है आयोग्य सेतु ऐप
भारत में बंद के दूसरे चरण की शुरुआत 15 अप्रैल से हुई और सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप की शुरुआत की और कहा कि यह कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों का पता भी लगा सकता है.उत्तर प्रदेश के शिव नादर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर आकाश सिन्हा ने कहा, “संपर्क का पता लगाने के दो हिस्से हैं—एक तो यह कि यह आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) और विश्व में उपयोग किये जा रहे अन्य ऐपों के जरिए आपकी लोकेशन का पता लगाए.”

चीन, दक्षिण कोरिया जैसे कई देशों को इससे कोरोना फैलने से रोकने में मिली है मदद
प्रोफेसर आकाश सिन्हा ने बताया, “दूसरा हिस्सा यह है कि आप कहीं भी हों और जो भी आप के संपर्क में आ रहा हों, उसका भी पता लगाया जा सकता है. अगर मेरे पास ऐप है और आपके पास भी है, और मैं आपसे मिलता हूं तो ऐप में यह पंजीकृत (Register) हो जाता है कि हम मिले थे.”

सिन्हा ने बताया कि चीन (China), दक्षिण कोरिया और कई अन्य देश संक्रमित मरीज के संपर्क में आए लोगों का पता लगा रहे हैं और उन्हें इस वायरस को फैलने से रोकने में कामयाबी मिली है.

अन्य तकनीकों से भी लगाई जा सकती है इस बात की जानकारी
उन्होंने बताया कि फोन के वैश्विक स्थिति प्रणाली (GPS) नेटवर्क और स्थान इतिहास में जाकर भी उन स्थानों का पता लगाया जा सकता है जहां व्यक्ति गया है.

सिन्हा ने बताया कि इनमें से कई ऐप ब्लूटूथ या वाई-फाई (Wi-Fi) के माध्यम से जानकारी साझा करने का एक तरीका देते है और उस तरीके से अगर कोई संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया तो सूचना का आदान प्रदान किया जा सकता है.

आधे मामलों में बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही हो चुका होता है संचरण
स्मार्टफोन ऐप और मोबाइल (Mobile) से निगरानी करने की अन्य प्रकार की प्रणालियां विकसित करने और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए एक वैश्विक दौड़ चल रही है. चीन (China) में प्रारंभिक कोरोना वायरस महामारी की गतिशीलता का अध्ययन करने के बाद ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही लगभग आधे मामलों में संचरण हो जाता है.

गूगल और ऐपल ने भी ऐसे ऐप पर काम करने की कही थी बात
इसे देखते हुए मोबाइल ऐप (Mobile App) के जरिए संक्रमित के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की परिकल्पना की गई है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके और आबादी को बंद से छुटकारा दिलाया जा सके. गूगल (Google) और ऐपल ने हाल ही में घोषणा की कि वे स्मार्टफोन ऐप की एक रूपरेखा पर काम कर रहे हैं जो विश्व अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने में मदद कर सकता है.

अमेरिका में फोन ब्लूटूथ के इस्तेमाल का प्रयोग कर सचेत करने वाली ऐप पर हो रहा काम
अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक ऐप पर काम कर रहे हैं. इस ऐप के जरिए लोगों को उस व्यक्ति के संपर्क में आने की जानकारी मिल जाएगी, जिसके कोरोना वायरस से संक्रमित (Coronavirus Infected) होने की पुष्टि हुई है. साथ में उनकी निजता की भी हिफाजत होगी. इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का भी एक शख्स है.

मयंक वरिया समेत अन्य शोधार्थी (Researcher) यह ऐप बना रहे हैं जो फोन के ब्लूटूथ का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति को यह जानकारी दे देगा कि वह ऐसे शख्स के संपर्क में आया है जो जानलेवा विषाणु से पीड़ित है.

किसी संक्रमित के संपर्क में आने पर ही निजी जानकारी का सतर्क करने के लिए होगा इस्तेमाल
सिन्हा ने बताया कि सरकार ऐप से निश्चित रूप से फोन नंबर और स्थान को जोड़ेगी. वह कहते हैं, “आरोग्य सेतु ऐप की निजता नीति पढ़ने से पता चलता है कि निजी जानकारी का इस्तेमाल आपको सतर्क करने के लिए तभी किया जाएगा जब आप किसी संक्रमित के संपर्क में आए हों.” सिन्हा ने कहा “सरकार इस बात की जानकारी ले रही है कि वह आपकी निजी जानकारी का इस्तेमाल किसी और काम के लिए नहीं करेगी.”

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