Tribute The world of Ranger Sahab lived in the happiness of others a story of UP CM Yogi Adityanath father Anand Singh Bisht | श्रद्धांजलि: दूसरों की खुशियों में बसता था ‘रेंजर साहब’ का संसार | pauri-garhwal – News in Hindi


हर दिल में बसते थे रेंजर आनंद सिंह बिष्ट साहब.
जब से सुना है कि रेंजर साहब (Ranger Sahab) नहीं रहे, तब से यही लगता है कि हर घर से एक शख्स रुखसत हो गया है, पूरे पंचुर गांव (Panchur) में गम का सन्नाटा पसरा हुआ है.
गांव के ही गिरीश बड़ोला बताते हैं कि करीब एक साल हो गए, सेहत उनकी ठीक नहीं रहती थी. कहते हैं कि उनकी ग्रास नली थोड़ी सिकुड़ गई थी, इसलिए रोटी नहीं खा पाते थे, जो थोड़ा बहुत खाया वह भी हजम नहीं होता था. शरीर में इतनी कमजोरी आ गई थी कि ज्यादा बाहर आते-जाते नहीं थे. कभी कहीं आना-जाना होता तो गाड़ी से आते-जाते थे. हां उनकी दिनचर्या में एक चीज ऐसी थी, जो दशकों से नहीं बदली. वह थी लोगों को से मिलना और दुख-दर्द बांटने की चाहत.
ऐसे लगता था दूसरों की खुशियों में उनका संसार बसता था. कोई जाकर बस इतना बता दे कि ‘रेंजर्स साहब’ मेरा यह काम बन गया है. बस इनता ही सुनते ही उनके चेहरे पर संतोष की एक मुस्कान आ जाती थी. हमारे यहां तो ऐसा है कि गांव में किसी के घर भी कोई खुशी आए, दौड़कर वह सबसे पहले रेंजर साहब के पास पहुंचता था. क्योंकि यह बात हर शख्स को पता थी कि उनकी खुशियों की सही कद्र सिर्फ रेंजर साहब ही कर सकते थे. खुशी होने पर वह जितने स्नेह से लोगों के सिर पर हाथ फेरते थे, दुख में उतनी ही मजबूती से खड़े रहते थे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता है आनंद सिंह बिष्ट. (फाइल फोटो)
गिरीश बड़ोला बताते हैं कि अस्वस्थता के चलते वह बीते एक साल से कम ही बार निकलते थे. लेकिन, उनकी दिनचर्या में आज भी उनकी गायों की सेवा शामिल थी. आज भी सुबह अपनी गाय को अपने हाथ से चारा डालना नहीं भूलते थे. शरीर में हिम्मत नहीं होती थी, तो आसपास मौजूद शख्स की मदद से वह गाय तक पहुंचते थे और अपने हाथ से उन्हें चारा देते थे. दोपहर तक वह तैयार होकर अपने दालान में बैठ जाते और फिर लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता था. लोग आते और अपने पूरे दिन की कहानी रेंजर साहब को बताते थे.
बड़े चाव और अपनेपन से वह लोगों की बात न केवल सुनते थे, बल्कि कई बार वह अपनी सलाह भी देते थे. गांव में उनकी सलाह की अहमियत पत्थर की लकीर की तरह थी. मुझे नहीं याद कि इस गांव में किसी ने उनकी सलाह कभी टाली हो. मैं आपको यह भी बता दूं कि यह सब योगी जी की वजह से नहीं, बल्कि उनका अपना व्यक्तित्व था. जब योगी जी सांसद और मुख्यमंत्री नहीं थे, तब भी रेंजर साहब का गांव में आज जैसा ही रुतबा था. अब जबसे सुना है कि रेंजर साहब नहीं रहे, तब से यही लगता है कि हर घर से एक शख्स रुखसत हो गया है, पूरे पंचुर गांव में गम का सन्नाटा पसरा हुआ है.
यह भी पढ़ें:
योगी आदित्यनाथ के CM पद पर शपथ लेने के बाद उनके पिता ने दी थी ये सलाह!
आनंद सिंह बिष्ट की यादें: लोग रामायण देख सकें, इसलिए गांव में खरीदा था पहला TV
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए पौड़ी गढ़वाल से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: April 20, 2020, 4:05 PM IST