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क्वारंटाइन में रखे गए लोगों पर मोबाइल से रखी जाए नज़र, केंद्र ने दिया राज्य सरकार को आदेश-Centre tells states to use mobile tracking method for quarantine enforcement | nation – News in Hindi

क्वारंटाइन में रखे गए लोगों पर मोबाइल से रखी जाए नज़र, केंद्र ने दिया राज्यों को निर्देश

ये तकनीक पहले से ही कई राज्यों में लागू है

Coronavirus: आइए एक नज़र डालते हैं कि मोबाइल के जरिये आखिर कैसे क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को ट्रैक किया जाएगा.

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों पर मोबाइल नेटवर्क (Mobile Network) के जरिए नजर रखी जाए. दरअसल पुलिस को लगातर ऐसी सूचना मिलती रहती है कि लोग क्वारंटाइन में रहने के बावजूद घरों से बाहर निकलते रहते हैं. कहा जा रहा है कि ऐसे लोगों पर एक तरीके की जियो-फेंसिंग की जा सकती है. इसके अलावा किसी खास क्षेत्र में लोगों को SMS भेजकर अलर्ट भी किया जा सकता है.

कुछ राज्यों में हो रहा इस्तेमाल
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक कई राज्यों में इस तकनीक का पहले से इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन अब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इसका इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है. आईए एक नज़र डालते हैं कि मोबाइल के जरिये आखिर कैसे क्वारंटाइन में रह रहे लोगों को ट्रैक किया जाएगा.

कोविक क्वारंटाइन अलर्ट सिस्टमयहां मोबाइल टावर के जरिए लोगों पर नजर रखी जाती है. ये मुख्य तौर पर बेस ट्रांससीवर स्टेशन (BTS) पर काम करता है. यानी आप जैसे ही किसी दूसरी जगह जाएंगे, आपका फोन किसी और टावर के नेटवर्क से कनेक्ट हो जाएगा. यानी क्वारंटाइन में रह रहा कोई शख्स जैसे ही किसी दूसरे इलाके में जाता है और उसका फोन किसी दूसरे BTS से कनेक्ट होता है तो एक अलर्ट आ जाता है.

DoT के पास भेजे जाते हैं नंबर
किसी भी शख्स पर नजर रखने के लिए उस व्यक्ति का फोन नंबर डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) को भेज दिया जाता है. अगर कोई मोबाइल लंबे समय तक स्विच ऑफ हो जाए तो भी अलर्ट मिल जाता है. इस तकनीक से 16 अप्रैल तक बिहार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 70,422 लोगों को ट्रैक किया गया है. इस सेवा के लिए राज्य के गृह सचिव परमिशन लेनी होती है.

कोविड-19 सावधान
ये तकनीक पहले से ही कई राज्यों में लागू है. इसके तहत किसी खास इलाके में लोगों के मोबाइल पर एसएमएस भेजा जा सकता है. इसके जरिये किसी बेहद सीमित इलाके में भी मैसेज भेजे जा सकते हैं, जैसे एक टावर से जुड़े फोन पर ही. हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन के लिए ये तकनीक बेहद अहम है. उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, केरल, पंजाब और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इस सेवा का इस्तेमाल अब तक किया जा चुका है.

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First published: April 19, 2020, 6:52 AM IST



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