CSIR कोरोना वायरस पर शुरू करेगी कुष्ठ रोग वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल – CSIR to start clinical trial of Anti-leprosy vaccine on coronavirus | knowledge – News in Hindi
काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च को लेप्रोसी की वैक्सीन एमडब्ल्यू के कोरोना वायरस पर क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिल गई है.
काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (CSIR) कुष्ठ रोग की वैक्सीन माकोबैक्टेरियम डब्ल्यू (Mw) का COVID-19 वैक्सीन के तौर पर क्लीनिकल ट्रायल कर ये देखना चाहती है कि इसका कोरोना वायरस (Coronavirus) पर क्या असर होगा.
सीएसआईआर को क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वो इम्यूनिटी बढाने वाली बीसीजी वैक्सीन (BCG Vaccine) का कोरोना वायरस पर अध्ययन किया जाएगा. इसी बीच सीएसआईआर ने कुष्ठ रोग (Leprosy) की वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी कर चुकी है. सीएसआईआर के महानिदेशक (Director General) डॉ. शेखर सी. मंदे ने बताया कि एमडब्ल्यू बीसीजी परिवार की ही वैक्सीन है. इसका इसतेमाल लेप्रोसी से बचाव के लिए किया जाता है. हम देखना चाहते हैं कि क्या एमडब्ल्यू का इसतेमाल COVID-19 से मुकाबले में किया जाता है. हमने इसके क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) की डीसीजीआई से मंजूरी ले ली है. हमें क्लीनिकल ट्रायल पूरे करने में कुछ महीने का वक्त लग जाएगा.
एमडब्ल्यू के क्लीनिकल ट्रायल में देश के तीन हॉस्पिटल भी योगदान देंगे.
देश के तीन अस्पताल क्लीनिकल ट्रायल में करेंगे मदद
सीएसआईआर गुजरात की फार्मा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड (Cadila Healthcare Ltd) के साथ मिलकर एमडब्ल्यू वैक्सीन का कोरोना वायरस पर क्लीनिकल ट्रायल करेगी. इस क्लीनिकल ट्रायल में तीन हॉस्पिटल भी योगदान देंगे. इनमें दिल्ली का एम्स (AIIMS Delhi), भोपाल का एम्स (AIIMS Bhopal) और चंडीगढ का पीजीआई (PGI Chandigarh) शामिल हैं. इस क्लीनिकल ट्रायल को तीन चरणों (Three Part Ttrial) में पूरा किया जाएगा. इस ट्रायल का मकसद कोविड-19 के मरीज के नियंत्रित इलाज में एमडब्ल्यू वैक्सीन के असर का अध्ययन करना है. इस परीक्षण में कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को शामिल नहीं किया जाएगा. इस वैक्सीन को भारतीय वैज्ञानिकों ने 1966 में बनाया था. इसका इस्तेमाल कुष्ठ रोग से बचाव के लिए किया गया. इस वैक्सीन को टीबी, कैंसर औ वार्ट में भी उपयोगी पाया गया है.
कोरोना वायरस के इलाज में फिलहाल दुनियाभर के डॉक्टर अलग-अलग दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं.
अब तक इस तरह से डॉक्टर्स कर रहे हैं इलाज
कोरोना वायरस के इलाज में फिलहाल दुनियाभर के डॉक्टर अलग-अलग दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दुनियाभर में डिमांड सबसे ज्यादा है. भारत कई देशों को इस दवा का निर्यात कर रहा है. इसके अलावा संक्रमित मरीजों में बुखार को कम करने के लिए डॉक्टर्स पैरासिटामॉल का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं, भारत समेत कुछ देशों में संक्रमितों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल भी हो रहा है. इस थेरेपी में संक्रमण से उबर चुके मरीज के रक्त से प्लाज्मा निकालकर गंभीर रोगियों को दिया जा रहा है. हालांकि, इसमें रक्तदान करने वाले को संक्रमण से उबरे हुए कम से कम 14 दिन हो चुके होना जरूरी है. वहीं, कुछ देशों में डॉक्टर्स मलेरिया, फ्लू और एड्स की दवाइयों के कॉम्बिनेशन के जरिये मरीजों को ठीक कर रहे हैं.
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First published: April 18, 2020, 1:01 PM IST