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लॉकडाउन के बाद संकट, रघुराम राजन, अभिजीत बनर्जी और अमर्त्य सेन ने दिए ये सुझाव – Abhijit banerji raghuram rajan and amartya sen speaks on challenges after lockdown in india | business – News in Hindi

नई दिल्ली. कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी चिंता खड़ी हो चुकी है. पिछले कुछ दिनों में तीन प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत को अब बहुत सोच-समझकर खर्च करना होगा. लेकिन जरूरतमंद लोगों की मदद में कंजूसी करना महंगा पड़ सकता है. अमर्त्य सेन, रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी ने इंडियन एक्सप्रेस में यह बात लिखी है.

इनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता होगी कि बड़े स्तर पर लोगों की रोजी-रोटी छीन चुकी होगी और स्टैंडर्ड ​डिलीवरी मैकेनिज्म भी प्रभावित हो चुका होगा. उन्होंने कहा, ‘यह अपने आप में ही एक ट्रैजेडी है. लॉकडाउन के उल्लघंन का भी जोखिम ​बढ़ सकता है. भूखे रहने वालों को वैसे भी बहुत कुछ खोने के लिए बचा नहीं है.’

FCI के पास पर्याप्त स्टॉक
फिलहाल सबसे पहले कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे कि लोगों के न्यूनतम जरूरतों को सुनिश्चित किया जा सके. जरूरतमंदों की स्थिति को सुधारने को लेकर उन्होंने कई सुझाव देते हुए फूड कॉरपोरेशन आफ इंडिया (FCI) के स्टॉक्स की तरफ इशारा किया. मार्च 2020 तक FCI के पास 7 करोड़ टन का स्टॉक है. बफर स्टॉक की तुलना में यह तीन गुना अधिक है.यह भी पढ़ें: पॉलिसीहोल्डर्स को राहत! हेल्थ-ऑटो इंश्योरेंस रिन्यू कराने के लिए मिली मोहलत

उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही मान लिया है कि कृषि बाजार के लिए संकट की स्थिति खड़ी हो चुकी है. यही कारण है कि अब किसानों से स्टॉक्स खरीदने के लिए सरकार जरूरी कदम उठा रही है. नेशनल इमरजेंसी के इस दौर में पुराने स्टॉक को खर्च करना सबसे जरूरी कदम है. सरकार इसपर काम कर रही है. कोई भी पब्लिक अकाउंटिंग सिस्टम भी इसे बेहद खर्चीला कदम नहीं बताएगा.

कुछ लोग अभी भी PDS का लाभ नहीं ले पा रहे
इन अर्थशास्त्रियों ने माना कि सरकार अगले 3 महीने तक 5 किलोग्राम प्रति महीने की अनाज देने को लेकर सही कदम उठाया है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 3 महीना इसके लिए पर्याप्त नहीं होगा. किसी न किसी कारण से गरीब लोगों एक ​अच्छा खासा हिस्सा पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम के दायरे से बाहर है.

झारखंड का उदाहण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में अभी भी लाखों राशन कार्ड एप्लीकेशन पेंडिंग हैं. सबसे उचित कदम होाग कि टेम्पोररी राशन कार्ड जारी किये जाएं. यह 6 महीने तक के लिए हो सकता है.

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इन पर भी देना होगा ध्यान
पीडीएस के अलावा अन्य कदम उठाने को लेकर उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों और घर से बाहर रहने वाले लोगों के लिए पब्लिक कैंटीन की व्यवस्था की जानी चाहिए. स्कूल मील को बच्चों के घर तक पहुंचाना होगा. इन सबके लिए जरूरी NGO’s की मदद से आगे बढ़ा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि किसानों को अगली फसल के लिए पैसे और खाद की जरूरत होगी. दुकानदारों को देखना होगा कि वो अपने स्टॉक्स को कैसे पूरा करें. बहुत लोगों को यह देखना होगा कि वो अपने पुराने लोन को कैसे चुकाएं.

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कैश ट्रांसफर का भी सहारा ले सरकार
कुछ हद तक इसके लिए केंद्र सरकार को कैश ट्रांसफर का सहारा लेना होगा. वर्तमान में सरकार जो अमाउंट जारी कर रही है वह बेहद कम है. इसमें केवल किसान ही नहीं, बल्कि उन मजदूरों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जिनके पास काम नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों पर भी ध्यान देना चाहिए.

चुनौतियों से निपटने का सही समय
इन तीनों अर्थशास्त्रियों ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि राज्य और लोकल सरकारों तक फंड समय पर पहुंचे. ऐसा करने से जरूरतमंदों को समय पर लाभ मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई चुनौती है जिस पर तेजी से काम करना होगा तो वह यही है.

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