प्रलेख “ज्ञान का प्रतीक”का हुआ ऑनलाइन विमोचन* (भीमराव अम्बेडकर जी को समर्पित ई-प्रलेख)

*ई-प्रलेख “ज्ञान का प्रतीक”का हुआ ऑनलाइन विमोचन*
(भीमराव अम्बेडकर जी को समर्पित ई-प्रलेख) सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-काव्य संसद ऑनलाइन के तत्वाधान में भारत के 19 राज्यों के 109 चयनित साहित्यकारों की रचनाओं का साझा संकलन ज्ञान का प्रतीक(ई-बुक) को भीमराव अम्बेडकर जी की 129 वीं जन्म जयंती पर 14 अप्रैल को ऑनलाइन विमोचन किया गया।
इस ई-प्रलेख को विमोचित करते हुए इसके संपादक पुखराज यादव प्राज ने बताया कि “ज्ञान का प्रतीक” एक राष्ट्रीय साझा काव्य संग्रह है,जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों के 109 उत्कृष्ट साहित्यकारों की रचनाओं का संगम स्थली है,इस संग्रह को सफल बनाने में काव्य संसद के सभी पदाधिकारियों की महती भूमिका रही।
सह संपादक सुन्दर लाल डडसेना”मधुर” ने बताया कि ज्ञान का प्रतीक(ई-प्रलेख) भीमराव अम्बेडकर जी को समर्पित है,आज पूरी दुनिया में बाबा साहब को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है,इनके ज्ञान के कारण ही उन्हें चलता फिरता पुस्तकालय की संज्ञा दी जाती है।उन्होंने अम्बेडकर जी को ज्ञान का दीप बताया है,जिनके संविधान रूपी प्रकाश से भारतवर्ष जगमगा रहा है।
इस काव्य संग्रह का अनावरण kavyasansad.online पर किया गया।इस काव्य संग्रह में छत्तीसगढ़ के पुखराज यादव,महेश राजा,सुन्दर लाल डडसेना, संतोष गुप्ता,माधवी गणवीर,गिरिजा पांडे, प्रवीण चतुर्वेदी, रश्मि अग्निहोत्री, नलिनी बाजपेयी, मीरा आर्ची चौहान के अलावा बजरंग सैनी राजस्थान,अश्मजा प्रियदर्शिनी बिहार,पीयूष द्विवेदी उत्तरप्रदेश,बी.निर्मला कर्नाटका,विनय बुद्ध असम,अंजली तिवारी हैदराबाद,अंकिता सिन्हा झारखंड,प्रज्ञा जैमिनी दिल्ली,जयश्री तिवारी मध्यप्रदेश,गोविंद धारीवाल उत्तराखंड,संजय वासनिक महाराष्ट्र,अरीबा अनर नागालैंड,गुलाबचंद पटेल गुजरात,दिनेश चंद्र प.बंगाल,प्रताप मोहन बद्दी हिमाचल प्रदेश,अमरजीत कौर नई दिल्लीविनोद कश्यप चंडीगढ़ के साथ कुल 109 रचनाकारों की रचनाओं को शामिल किया गया।
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