अभी अभी मीडिया के माध्यम से रामजन्मभूमि न्यास का लोगो देखने को मिला है । जिसमें ‘रामजी को अधर्म का साक्षात् विग्रह’ बताया गया है ।
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अभी अभी मीडिया के माध्यम से रामजन्मभूमि न्यास का लोगो देखने को मिला है । जिसमें ‘रामजी को अधर्म का साक्षात् विग्रह’ बताया गया है ।सबका संदेस न्यूज़-यह कैसा समय है । खुले आम अधर्म की पैरोकारी की जा रही है ।
इसीलिए कहा था कि पूज्य धर्माचार्यों के रामालय ट्रस्ट को मौका दो पर जिसे अधर्म करना हो उसे शंकराचार्य, धर्माचार्य कैसे पसन्द आयेंगे?
तथाकथित संघियों द्वारा लोगो जारी किया गया है जो रामजी को अधर्म बता रहा है ।
यह अत्यन्त आपत्तिजनक है ।
लोगो तत्काल वापस लिया जाये । देश से ट्रस्टी और सरकार माफी मांगे।
राम साक्षात् धर्म हैं अधर्म नहीं।
लोगो के मध्य लिखे गये वाक्य में रामो विग्रहवान धर्मः लिखा है जो कि संस्कृत भाषा में है ।
जिसका संस्कृत भाषा में विग्रह करने पर रामः विग्रहवान् अधर्मः ऐसा विग्रह होता है। जो कि अत्यन्त आपत्तिजनक ही नहीं अपितु निन्दित कर्म है ।इसे तत्काल वापस लिया जाये ।
विग्रहवान के न में अ है जो नहीं होना चाहिए।
सही लिखा जायेगा विग्रहवान्
न में से अ को निकालकर।
अगर अ को बिना निकाले पूरा ‘न’ लिखेंगे तो न से अ निकलकर धर्मः के साथ जुड़कर अधर्मः पढा जायेगा
यदि यह मूर्खतावश हो गया है तो इसे तत्काल सुधार कर सुधारा हुआ लोगो क्षमा याचना के साथ जारी किया जाये और ऐसे ट्रस्टियों को जो श्रीराम को अधर्म का साक्षात् विग्रह बता रहे हैं उन्हें बर्खास्त किया जाये ।
तथाकथित ट्रस्ट और केन्द्रीय सरकार द्वारा
यदि चौबीस घण्टे के अन्दर इस लोगो को वापस लिया या सुधारा नही जाता है तो हमें बन्दी की परवाह किए बिना आन्दोलन के लिये बाध्य होना होगा ।
यह मत कहे कोई कि इस समय कोरोना है तो आन्दोलन की बात उचित नहीं। हम भी लाॅकडाउन का कड़ाई से पालन कर रहे हैं और प्रेरित भी कर रहे हैं। ऐसी बात कहने वालों से हमारा प्रश्न है कि कोरोना के समय लोगो क्यों जारी किया गया ? क्या आफत आ गयी थी?
और जब कोरोना के समय लोगो जारी हो सकता है तो उसका विरोध भी हो ही सकता है। हमारे रामजी को अधर्म कहा जाये और हम बैठे रहें ऐसे संघी हिन्दू नहीं हैं हम।
अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
प्रवर धर्माधीश
परमधर्मसंसद् 1008
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