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कोरोना के बीच आज 80 साल बाद दिखेगा पिंक सुपरमून, जानिए क्या होंगे फायदे – Pink Supermoon on 7th April 2020 in India after 1941

गुवाहाटी

इस समय एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही है और भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में लॉकडाउन है। इसी बीच तब प्रकृति भी खुलकर सांसें ले रही है। इस बीच एक और प्राकृतिक व भौगोलिक घटना घटने वाली है। इस घटना के पूरी दुनिया देख सकेगी। यह घटना आज मंगलवार, 7 अप्रैल 2020 को ही होगी।

इस घटना के दौरान आज का चांद बेहद खास होगा। हर दिन से कहीं ज्यादा खूबसूरत और बड़ा दिखेगा। आज दुनिया पिंक सुपरमून देखेगी। भारत में भी इसे देखा जा सकेगा। लेकिन इस चांद को देखने से पहले ये जान लेना भी जरूरी है कि आखिर ये पिंक सुपरमून होता क्या है। ये कब और क्यों दिखाई देता है? किस घटना के कारण चांद अपने इस स्वरूप में नजर आता है? भारत में आज आप किस समय इस सुपरमून को देख सकते हैं।

इन सभी सवालों के जवाब आपको आगे बताए जा रहे हैं। साथ ही सुपरमून से जुड़ी कुछ खास बातें भी बता रहे हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अनुसार, आज से करीब 41 साल पहले 1979 में सुपरमून पहली बार देखा गया था। यूं कह सकते हैं कि तभी यह पहली बार अस्तित्व में आया था, लोगों को इसके बारे में पता चला था। तब एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे पेरीजीन फुल मून नाम दिया था। बाद में इसका नाम सुपरमून रखा गया।

जैसा कि ये अपने नाम से ही साफ है – सुपरमून के समय चांद अपने सामान्य आकार से बड़ा और बेहद चमकदार नजर आता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका आकार सामान्य की तुलना में करीब 14 फीसदी तक बढ़ जाता है और चमक 30 फीसदी तक ज्यादा होती है।

यह सामान्य सा विज्ञान है। चांद से धरती की दूरी करीब 4,06,692 किमी होती है। इस दूरी को विज्ञान की भाषा में एपोजी कहा जाता है। वहीं जब चंद्रमा और पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाते हुए एक-दूसरे से सबसे करीब आ जाते हैं, तब इनके बीच की दूरी 3,56,500 किमी होती है। इसे पेरिजी कहते हैं।

जिस दिन और जिस समय चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं, यानी पेरिजी में होते हैं, उसी दिन सुपरमून दिखाई देता है।

नासा के वाज्ञानिकों का कहना है कि 7 अप्रैल 2020 को दिखने वाला सुपरमून इस साल का सबसे बड़ा सुपरमून होगा। इसका आकार और इसकी चमक सबसे ज्यादा होगी। मई के महीने में भी सुपरमून दिखेगा, लेकिन इससे छोटा। इसके बाद 2020 में पूरे साल कोई भी सुपरमून नहीं दिखेगा।

पिंक सुपरमून महज एक नाम है, जिसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। दरअसल, इस नाम का कारण है अमेरिका और कनाडा में इस मौसम में उगने वाला एक फूल। इस फूल का नाम है – फ्लॉक्स सुबुलाता। इसे मॉस पिंक भी कहते हैं। इसके नाम पर ही इस सीजन में दिखने वाले सुपरमून को पिंक सुपरमून कहा गया है। इसका मतलब ये नहीं है कि चांद गुलाबी रंग का दिखेगा।




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