देश दुनिया

खुशखबरीः महज 42 दिनों में इस कंपनी ने बना लिया कोरोना वायरस का टीका – Corona virus in india live update

भारत समेत पूरी दुनिया में वैज्ञानिक महामारी बन चुके कोविड-19 वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। हाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चार संभावित दवाओं के वैश्विक परीक्षण की अनुमति दी है। लेकिन इस दौड़ में एक अमरीकी कंपनी आगे निकल गई है। दरअसल अमरीकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और निजी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने यह संभावित टीका बनाने का दावा किया है। 

कंपनी की ओर से इस संभावित कोरोना वायरस के टीके का पहला मानव नैदानिक परीक्षण सोमवार को किया गया। वैक्सीन के परीक्षण के लिए आए चार स्वयंसेवकों को वैक्सीन के पहले दो शॉट दिए गए। इस परीक्षण में पैंतीस स्वयंसेवकों के भाग लेने की उम्मीद है। हालांकि अब भी कंपनी का यह टीका कम से कम एक वर्ष के लिए आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हो सकेगा। क्योंकि अभी वैज्ञानिकों की टीम यह निश्चित करेगी कि क्या यह लोगों के सार्वजनिक उपयोग के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है। 

गौरतलब है कि कोरोनावायरस से दुनिया भर में 1,276,732 से अधिक लोग संक्रमित हैं और 69,529 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें फार्मासिस्ट जेनिफर हॉलर माइकल, नील ब्राउनिंग और रेबेका सिरुल को सिएटल में कैसर परमानेंट वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट मे सबसे पहले वैक्सीन दी गई।परीक्षण के दौरान आनेवाले संभावित 35 वॉलंटीयर्स में से 25 स्वस्थ लोगों को नैदानिक वैक्सीन परीक्षण से अलग रखा जाएगा। परीक्षण के लिए जिन स्वयंसेवकों का चयन किया गया था उनमें इस बात की जांच नहीं की गई थी कि किसी को कोरोना वायरस के लक्षण हैं या नहीं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्धारित करने में कम से कम 18 महीने का समय लगेगा कि कोरोनावायरस का यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं। परीक्षण के लिए चुने गए स्वयंसेवकों को दो खुराक दी जाएंगी। पहली खुराक के एक महीने बाद दूसरी खुराक दी जाएगी। 

मॉडर्ना कंपनी ने यह वैक्सीन 42 दिनों में बना ली थी। यह टीका हानिरहित ‘स्पाइक’ प्रोटीन का निर्माण कर शरीर को एंटीबॉडी बनाने में सक्षम बनाता है। वायरस शरीर की उन कोशिकाओं को कमजोर करता है जो हमारे शरीर में वायरस से लडऩे में सक्षम होती हैं। यह स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय कर देता है और हम संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोनावायरस से लडऩे में यह काफी प्रभावी इलाज हो सकता है। हालांकि प्रतिभागियों को वायरस से जोखिम नहीं है लेकिन वैक्सीन की सुरक्षा पर अब भी संशय है। क्योंकि वैज्ञानिकों को यह नहीं पता है कि परीक्षण के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कैसे प्रतिक्रिया देगी।



Source link

Related Articles

Back to top button