
रमेश मित्तल / दल्लीराजहरा
हस्ताक्षर साहित्य समिति, दल्ली राजहरा द्वारा ७ मार्च २०२० शनिवार को संध्या ७.०० बजे से, निषाद भवन में होली पूर्व मिलन समारोह, समिति के वरिष्ठतम साहित्यकार आचार्य श्री जे०आर० महिलांगे व समाज सेवक व साहित्य प्रेमी श्री रामलाल गुप्ता का जन्मदिन समारोह एवं काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।
उपस्थित सदस्यों द्वारा सर्वप्रथम मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं श्री गोविंद पणिक्कर कुट्टी द्वारा स्वास्तीवाचन किया गया।
तत्पश्चात् श्री महिलांगे व श्री गुप्ता के मुख्य आतिथ्य व श्री अमित सिंहा के विशेष आतिथ्य में काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से श्री सपन बेंजामिन एवं मास्टर अतिक्ष बेंजामिन उपस्थित रहे।
सबसे पहले किशोर “संगदिल-परबुधिया” ने सभी का गुलाल लगाकर स्वागत् किया।
श्री जेआर महिलांगे ने होली का महत्व बताते हुए होली पर से कविता सुनाए।श्री रामलाल गुप्ता एवं श्री अनिरूद्ध साहू ने होली मिलन व जन्मदिन मनाने की नई परंपरा मनाने की शुरुआत करने के लिए समिति को बधाई दी। श्री गोविंद पणिक्कर कुट्टी ने रेलयात्रा के दौरान प्रक्रिति के अनुपम स्वरुप का सस्वर वर्णन कविता के माध्यम से किया।
श्री केएल चोपड़े के द्वारा होली पर से सुमधुर हिंदी कविता सुनाई गई। श्री कामता प्रसाद देशलहरा ने होली व नारी सम्मान पर से छत्तीसगढ़ी रचना सूनाई।
श्री शमीम अहमद सिद्दीकी ने “मौसम की पालकी से आया बसंत” पर से होली की रचना सुनाए। श्री ललित शंकर महलवार ने विरह वेदना से तड़फती महिला के मनोभावों को व्यक्त करते हुए “इस फागुन में मेरी चुनरी बहुरंगी कर देना प्रीतम” कविता सुनाई। आज के कार्यक्रम में नवोदित कवियित्री के रूप में शामिल श्रीमती शोभा बेंजामिन ने “पिता की महानता” पर से कविता सुनाई। अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा समाज को कुछ ना कुछ संदेश देने वाले सुधारवादी साहित्यकार किशोर “संगदिल-परबुधिया” ने “बचपन की बड़े गुब्बारे वाली होली” से अपने बचपन के संसमरण+घटना सुनाकर सबसे गुलाल से होली खेलकर पानी बचाने की मार्मिक अपील की।
श्री अमित दुबे ने ८ मार्च को महिला दिवस के अवसर पर सबको बधाई देते हुए “द्रौपदी के चीरहरण” एवं भारतीय नारी की हर क्षेत्र में शौर्य दर्शाने वाली कविता सुनाई। श्री घनश्याम निषाद के द्वारा उनकी छ०ग० कहानी संग्रह “पुन्नू के किरिया” के आगामी दिनों में विमोचन की जानकारी देते हुए “काश मैं भी बाबा होता” व्यंग्य रचना सुनाए।
श्री अमित सिंहा ने “होली रे होली कैसा है तेरा” पर से कविता सुनाए। श्री संतोष ठाकुर ने अपनी कविताओं द्वारा संपूर्ण कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए अंत में “दल्ली राजहरा लोहा खदान हरे” और “दल्ली हे दिल्ली झन कहिबे” छ०ग० कविताएं सूनाकर सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।