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Lockdown: लगभग 10 करोड़ प्रवासी मजदूरों के भविष्य को लेकर क्यों उठ रहे हैं सवाल? – Lockdown covid19 future of about 10 crore migrant laborers bjp blame on congress politics nodrss | delhi-ncr – News in Hindi

Lockdown: लगभग 10 करोड़ प्रवासी मजदूरों के भविष्य को लेकर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

राज्य और केंद्र सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद प्रवासी मजदूरों का मुद्दा संभलने का नाम नहीं ले रहा. (प्रतीकात्मक फोटो)

‘केंद्र सरकार (Central Government) ने लॉकडाउन (Lockdown) से पहले यह नहीं सोचा कि देश में मौजूद लगभग 10 करोड़ माइग्रेंट लेबरों (Migrant Labourers) का क्या होगा? इनको लेकर केंद्र और राज्यों के बीच कोई संवाद और समन्वय नही बन पाया’

नई दिल्ली. पिछले एक-दो महीने से देश में प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) का मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बन रहा है. कोरोना महामारी (COVID-19) के बीच राज्य और केंद्र सरकार (Central Government) के लाख प्रयासों के बावजूद प्रवासी मजदूरों का मुद्दा संभलने का नाम नहीं ले रहा. ये प्रवासी मजदूर मजबूरी में केंद्र सरकार की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा कर सड़कों के रास्ते पैदल अपने घरों की तरफ जा रहे हैं. रास्ते में इन मजदूरों को कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करते वक्त इन मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि इन मजदूरों का हाल जानने वाला आखिर कोई है या नहीं?

10 करोड़ प्रवासी मजदूरों का भविष्य किसके हाथ में
बुधवार को भी दिल्ली से सटे गाजियाबाद बॉर्डर पर हजारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा हो गए. इन मजदूरों की शिकायत है कि लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई है और खाने के लिए तरस रहे हैं. यूपी के बस्ती जिले के रहने वाले धनंजय दिल्ली के महिपालपुर में नौकरी करते हैं. धनंजय ने न्यूज़ 18 हिंदी से बातचीत में कहा, ‘कितना इंतजार करें. हमारी नौकरी चली गई. खाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है तब जा कर खाना मिलता है. मकान मालिक किराये के लिए हर रोज टोकता है. इन्हीं सब वजहों से सोचा कि घर ही निकल पड़ें. अब गाजीपुर बॉर्डर से आगे जाने नहीं दिया जा रहा है.’

क्या कहते हैं जानकारवरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘लॉकडाउन से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों से सलाह नहीं ली. केंद्र ने यह भी नहीं सोचा कि देश की अस्सी करोड़ की गरीब आबादी का क्या होगा? केंद्र सरकार ने लॉकडाउन से पहले यह भी नहीं सोचा कि देश में मौजूद लगभग 10 करोड़ माइग्रेंट लेबरों का क्या होगा? लॉकडाउन के पहले सप्ताह से ही अभी तक मजदूर सड़क पर हैं. केंद्र और राज्यों के बीच कोई संवाद और समन्वय नहीं बन पाया. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर भी कुछ विवाद है. केंद्र राज्यों पर दोषारोपण कर रहा है, राज्य केंद्र पर दोषारोपण कर रहे हैं. लेकिन, सच्चाई यह है कि एक बड़ी लॉबी माइग्रेंट लेबर को बंधक बनाकर रखना चाहती है. क्योंकि अगर ये अपने गांव की तरफ चले गए तो उद्योगों को सस्ता लेबर नहीं मिल पाएंगा.’

बीजेपी ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया
वहीं दिल्ली बीजेपी के प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने विपक्षी पार्टियों पर प्रवासी मजदूरों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है. जाजू ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. कोरोना महामारी में भी प्रवासी मजदूरों को लेकर कांग्रेस और अन्य पार्टियां सस्ती राजनीति से बाज नहीं आ रही हैं.’

कुल मिलाकर कोरोना महामारी के दौरान माइग्रेंट लेबर की इस तरह की दुर्दशा को लेकर सवाल-जवाब और राजनीति तेज हो गई है. महाराष्ट्र में इन प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के लिए बीजेपी सत्तारूढ़ गठबंधन पर आरोप लगा रही है तो वहीं बीजेपी शासित राज्यों में उसकी विरोधी पार्टियां हमलावर हैं.

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First published: May 20, 2020, 10:22 PM IST



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