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स्पर्श अस्पताल प्रबंधन ने चिकित्सकों एवं महिला कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटना को बताया दुर्भाग्यजनक

कहा इसी तरह होते रहे अस्पतालों पर हमले तो मुश्किल होगा गंभीर मरीजों का इलाज

भिलाई। विगत दिनों स्पर्श मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में चिकित्सकों एवं महिला कर्मचारियों के साथ मारपीट एवं झूमाझटकी की घटना बेहद दुर्भाग्यजनक है. स्पर्श के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर विवेक दशोरे एवुं मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉ संजय गोयल ने जानकारी देते हुए बताया  एक बुज़ुर्ग एवम गंभीर  बीमारियों से ग्रसित महिला की इलाज के दौरान हुई मृत्यु के बाद परिजनों ने न केवल अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया बल्कि चिकित्सकों एवं महिला कर्मचारियों के साथ मारपीट कर अपनी भड़ास निकली. अस्पतालों पर इस तरह के हमलों का यह कोई पहला मौका नहीं है. विडम्बना है की जो लोग मरणासन्न मरीजों की जान बचने की कोशिश करते हैं, उन्हें ही इस तरह के हमलों का शिकार होना पड़ता है. 76 साल ( बड़ा बेटा 60  वर्ष ) की इस महिला को रविवार को स्पर्श अस्पताल लाया गया था.डॉक्टर विवेक दशोरे ने बताया  की उनको बी.प शुगर एवं ह्रदय की गंभीर  बीमारी थी . तत्काल इलाज शुरू कर दिया गया. आवश्यक जांच की गयी. वृद्धा की हालत में बहुत अधिक सुधार नहीं हो रहा था. कोशिश जारी थी और स्पर्श की टीम अपनी पूरी क्षमताओं के साथ जुटी हुई थी. जीवन और मृत्यु पर किसी का कोई जोर नहीं चलता. अंतत: मंगलवार को तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका.डॉक्टर गोयल ने बताया की परिजनों द्वारा रायपुर से डॉक्टर बुलाकर भी सलाह ली गयी 7  मरीज की नातिन स्वयं सेक्टर -9  मैं डॉक्टर  हैं , उनको भी बीमारी की सारी जानकारी थी 7 उन्होंने भी परिजनों को समझाया था।

इसके बाद मरीज के परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया. मानवीय संवेदना के तहत पहले हॉस्पिटल ने  इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की पर परिजन बेकाबू होने लगे. उन्होनें चिकित्सकों एवं अस्पताल की महिला कर्मचारियों के साथ हाथापाई शुरू कर दी एवम तोड़ फोड़ मचने लगे . अंतत: उग्र परिजनों को  सुरक्षा कर्मियों ने  रोकने की कोशिश की . इसके बाद भी वे चिकित्सकों और अस्पताल कर्मियों को धमकियाँ देते रहे जिसपर हॉस्पिटल ने  पुलिस को इत्तला देते हुए रिपोर्ट दर्ज करा दी.

घटना को लेकर चिकित्सकों की टीम में निराशा का माहौल  है. चिकित्सकों का कहना है की गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान उनके जीवन बचाने की गारन्टी देना किसी के भी लिए संभव नहीं है. चिकित्सक इस खतरे को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं और अधिकतर गंभीर मरीजों को जोखिम लेकर भी बचा लिया जाता हैं  मरीजों की हालत बिगडऩे या मृत्यु हो जाने पर यदि इसी तरह चिकित्सकों के साथ मारपीट होती रही तो उनके लिए इस शहर में रहकर काम करना मुश्किल हो जायेगा.   ज्ञात हो की मरीज के कुछ परिजन पूर्व  में भी एक होटल में गोली चलाकर अपनी रसूखदारी दिखाने की  कोशिश कर चुके हैं    मरीज की मृत्यु के पश्चात परिजनों का कहना था मरीज तो ठीक थक था अगर ऐसा था तो उन्हें  अस्पताल में परिजनों द्वारा क्यों भर्ती करवाया गया था। मरीज की पूर्व रिपोट्र्स में भी सारी गंभीर बीमारियों का उल्लेख था।

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