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कुत्तों की बेतहाशा वृद्धि खोल रही है कुत्तों के नसबंदी व बधियाकरण की पोल

हकीकत से दूर हुई बढ़ती संख्या पर रोक की कवायदें

भिलाई। कुत्तों की लगातार तादाद बढ रही है। पूरे भिलाई क्षेत्र में हर जगह कुतिया के बच्चे खूब दिखाई दे रहे है, और निगम का अमला शहर के कुत्तों का नसबंदी कर देने का हवाला दे रहा है, लेकिन हकीकीत इससे कोसो दूर है। जगह जगह पिल्लों को दिखाई देने से ही पता चल रहा है कि कुत्तों के नसबंदी एवं बधियाकरण निगम अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया है।  आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने की कवायदें हकीकत से दूर हो गई है। इन दिनों शहर के सडक़ से लेकर गली कूत्तों में पिल्लों नजर आना निगम व पालिका के कुत्तों के नसबंदी व बधियाकरण की योजनाओं की पोल खोल रहा है। आवारा कुत्तों के चलते पूर्व में हो चुकी हिंसक घटनाओं से जिम्मेदार सबक लेते दिख नहीं रहे हैं। आने वाले दिनों में आवारा कुत्तों के हिंसक हो जाने की स्थिति में जनहानि का आशंका फिर से बढ़ गई है। नाम मात्र के कुछ कुत्तों का नसबंदी कर अखबारों में केवल समाचार छपवाकर वाहवाही लूटने का कार्य करता रहा है।

ज्ञातव्य हो कि डांग हाउस बनाकर कुत्तों को बधियाकरण करने का निगम पहले भी दावा करता रहा है लेकिन गत दो वर्ष पहले जब हकीकत देखा गया तो डॉग हाउस कहीं था ही नही एक समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित के पहले जब डॉग हाउस बनाकर कुत्तों का नसबंदी करने वाले ठेकेदार से जानकारी ली गई तो उस समय संवाददाता को ही उल्टा प्रलोभन देने लगे थे, सामाचार प्रकाशन के बाद कहीकत डॉग हाउस का कार्यालय खोला गया था।

भिलाई-दुर्ग सहित आसपास के शहरी क्षेत्र में इस बार भी आवारा कुत्तों के पिल्ले काफी अधिक नजर आने लगे हैं। इससे नसबंदी और बधियाकरण की योजना को लेकर नगरीय निकायों की गंभीरता की स्वत: ही पोल खुल रही है। शहर के मुख्य सडक़ से लेकर गली मोहल्ले में कुतिया के साथ पांच से आठ पिल्ले धमा चौकड़ी मचाते नजर आ रहे है। इन पिल्लों के बड़े होने से आम लोगों की दिक्कत बढ़ जाएगी। खासकर छोटे बच्चों के लिए कुत्तों की बढ़ती संख्या से जान का खतरा बढ़ गया है। भिलाई शहर में ही पूर्व में कुत्तों के नोचने से सिविक सेंटर के पास एक बच्चे की मौत हो गई थी। गर्मी के मौसम में तापमान बढऩे के साथ ही कुत्तों में आने वाला  हिंसकपन अनेको बार बड़ी घटना का कारण बन चुका है। बच्चों को अकेला देखकर कई बार कुत्तो का झुण्ड हमला बोल देता है। इसके शहर में अनेकों उदाहरण है।

यहा पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि कुत्तों की संख्या में कमी लाने के लिए पूर्व में प्रशासन द्वारा जहर देकर मारा जाता था। लेकिन कुछ बरस पहले इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर कुत्तों के नसबंदी व बधियाकरण की योजना लागू की गई है। इस योजना का क्रियान्वयन नगरीय निकायों को करना है। लेकिन इस योजना के तहत जिस तरह की गंभीरता बरती जानी चाहिए वह कभी दिखी नहीं। साल दर साल भारी संख्या में कुत्तों के पिल्लों का जन्म लेना इस बात की पुष्टि कर रहा है।

गौरतलब रहे कि दशक भर पहले कुत्तों की नसबंदी व बधियाकरण की शुरुवात भिलाई चरोदा निकाय से हुई थी। इसके बाद भिलाई व दुर्ग नगर निगम में भी यदा कदा कुछ आवारा कुत्तों को पकडक़र नसबंदी व बधियाकरण किया गया। लेकिन आवारा कुत्तों को पकडऩे में दक्ष कर्मचारियों के नहीं होने से यह कार्य एक तरह महज औपचारिक बना रहा।

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