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इस सर्दी में ठंड बढ़ने वाली है! 8-10 दिन तक कोल्ड वेव का अलर्ट, रजाई-कंबल तैयार रखें

1 दिसंबर को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि इस साल सर्दियों में ‘कोल्ड वेव (cold wave)’ के दिन बढ़ सकते हैं. माने कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश, पश्चिमी महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में ‘कोल्ड वेव’ के बढ़ने की आशंका है. दो चार रजाई-कंबल ज्यादा रख लीजिए क्योंकि सर्दी ज्यादा दिन तक रहने वाली है. आमतौर पर साल में 4-6 दिन कोल्ड वेव रहती है लेकिन इस साल ये 8-10 दिन तक खिंच सकती है.लेकिन कोल्ड वेव है क्या? IMD ने हर राज्य में कुछ स्टेशन बनाए हैं जिससे उस इलाके के मौसम का पता लगाया जा सके. जब किसी स्टेशन का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या नार्मल तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो तब उसे ‘कोल्ड वेव’ घोषित कर देते हैं.बता दें कि 8 नवंबर से लेकर 20 नवंबर तक इस साल की ठंड का पहला दौर खत्म हो चुका है. इस दौरान राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में कोल्ड वेव का नमूना देखने को मिला है. IMD चीफ ने कहा कि 3 से 5 दिसंबर के बीच कोल्ड वेव का दूसरा दौर देखने को मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी कारणों की वजह से तापमान ऊपर-नीचे होता है. जैसे भूमध्यरेखीय क्षेत्र से उठने वाला तूफ़ान जिसके अंदर नमी होती है. नमी होने की वजह से मिनिमम तापमान बढ़ जाता है. उन्होंने ये भी बताया कि ये साल ‘ला नीना’ का है लेकिन इसका कोल्ड वेव से सीधा संबंध नहीं है. जब समुद्री सतह के तापमान में असामान्य गिरावट देखने को मिले तो उसे ला नीना कहते हैं. ला नीना की वजह से मानसून बढ़ जाता है. 

IMD चीफ ने polar vortex का भी ज़िक्र किया. Polar vortex यानी ध्रुवों पर घूमने वाला ठंडी हवा का चक्रवात. उन्होंने बताया कि ये चक्रवात पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर घूमते रहते हैं लेकिन कभी-कभी दक्षिण की ओर बढ़ जाते हैं जिससे अमेरिका, यूरोप और उत्तरी एशिया में इसका असर देखने को मिलता है. हिमालय की वजह से भारत इसके प्रभाव से बचा है लेकिन हल्का-हल्का असर महसूस किया जा सकता है. 

तीसरा कारण है भारत के पडोसी देश में आया साइक्लोन, जिसकी वजह से तापमान में गिरावट आ सकती है. श्रीलंका में आए दित्वाह साइक्लोन की वजह से भयंकर तबाही मची है. साइक्लोन अपने साथ बारिश लाता है जिससे मौसम के तापमान में गिरावट आती है. इसका असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है. 

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