हिमाचल के बलिदानी नामांश स्याल पीछे छोड़ गए छह साल की बेटी, पत्नी और माता-पिता

दुबई में एयर शो के दौरान भारतीय फाइटर जेट तेजस मार्क-1 की दुर्घटना में भारत ने नामांश स्याल के रूप में न केवल एक होनहार पायलट खो दिया, बल्कि उनका गृह क्षेत्र एक मृदुभाषी और सामाजिक रूप से जुड़ाव रखने वाले एक बेटे से भी वंचित हो गया। बलिदानी नामांश के पैतृक गांव पटियालकड़ में इस अति दुखद घटना से उनके संबंधी और हर कोई गमगीन तो है ही, पूरे क्षेत्र में भी शोक की लहर है। बलिदानी नामांश को देश प्रेम का जज्बा घर से ही मिला, क्योंकि उनके पिता जगन्नाथ स्याल भी भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं। बाद में वह प्रदेश में शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुए।
नामांश की प्राथमिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल डलहौजी में हुई। छठी, आठवीं और नवमी उन्होंने आर्मी स्कूल योल से की। बारहवीं तक सैनिक स्कूल सुजानपुर में पढ़े और यहीं से उन्होंने एनडीए के लिए क्वालिफाई करके भारतीय वायु सेना में प्रवेश किया। नामांश के ताया जोगिंद्र स्याल ने बताया कि नामांश इसी वर्ष मार्च में उनकी वैवाहिक वर्षगांठ पर आया था। भारतीय वायु सेना में बतौर विंग कमांडर सेवारत नामांश की पत्नी और वह कोयंबटूर के साथ एयरफोर्स के सालूर एयरवेस में कार्यरत थे। नामांश की पत्नी आजकल ट्रेनिंग के लिए कोलकाता में है। उनकी 6 वर्ष की एक बेटी है। क्योंकि नामांश की पत्नी ट्रेनिंग पर हैं, इसलिए नामांश के माता-पिता छोटी बच्ची की देखभाल के लिए जुलाई माह से ही सालूर में हैं। नामांश के ताया ने बताया कि तेजस से पहले नामांश सुखोई फाइटर जेट उड़ाते थे, बाद में उन्होंने तेजस के लिए क्वालिफाई किया था।
नामांश दुबई एयर शो में भाग लेने को लगभग 20 दिन पूर्व चले गए थे। इस शो के लिए उनकी प्री कोचिंग हुई थी। दुबई में नामांश ने 17 नवंबर को इसी तेजस फाइटर जेट से एयर शो में सफलतापूर्वक अपना शो दिया था। नामांश बहुत ही मृदुभाषी और सामाजिक रूप से जुड़े इंसान थे। शनिवार को नामांश के घर में उनके परिजनों को सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा। नामांश की पार्थिव देह शनिवार रात सालूर पहुंच जाएगी और रविवार को सालूर से गगल हवाई अड्डा से यह गांव में पहुंचेगी, जहां उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।




