न्याय की नींव सत्य, समानता और निष्पक्षता पर आधारित है : न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा मुख्य न्यायाधीशछत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर

न्याय की नींव सत्य, समानता और निष्पक्षता पर आधारित है : न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा मुख्य न्यायाधीश
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर
छत्तीसगढ़ बिलासपुर भूपेंद्र साहू ब्यूरो रिपोर्ट/
जिला अधिवक्ता संघ बलौदाबाजार द्वारा दिनांक 21/11/2025 को जिला
न्यायालय परिसर, बलौदाबाजार में “विधि के शासन — न्याय की आधारशिला”
( – ) Rule of Law The Foundation of Justice विषय पर महत्वपूर्ण
सेमिनार का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा मुख्य न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की गरिमामयी
उपस्थिति रही, जिनकी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष भव्यता एवं महत्व प्रदान
किया । मुख्य न्यायाधिपति महोदय नेकार्यक्रम का शुभारंभ रं दीप प्रज्ज्वलन के
साथ किया तथा विषय पर विस्तृत, प्रभावशाली एवं प्रेरणादायीवक्तव्य दिया ।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा मुख्य न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
बिलासपुर नेकार्यशाला को संबोधित करतेहुए अपनेप्रभावशालीउद्बोधन में विधि के
शासन’ ( ) Rule of Law की महत्ता पर प्रकाश डालतेहुए कहा कि हमारेलोकतंत्र
की वास्तविक शक्ति यही है कि देश में कानून सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति, संस्था
अथवा पद कानून से ऊपर नहीं है।
है विधि के शासन यह सुनिश्चित करता है कि समाज
के कमजोर वर्ग, महिलाएँ, बच्चे, पीडित, विचाराधीन बंदी और प्रत्येक व्यक्ति को समान
न्याय मिले। विधि के शासन’ ( ) Rule of Law हीकमजोरों को शक्तिशालीसे सुरक्षा
प्रदान करता है तथा शासन में समानता, निषपक्षता, जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित
करता है। न्यायपालिका, अधिवक्ता एवं अभियोजन सभीमिलकर न्याय प्रणालीकी
इस नींव को मजबूत बनानेके उत्तरदायीहैं।
मुख्य न्यायाधीश के द्वारा विधि के शासन स्थापित किये जाने में
अधिवक्तागण की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा गया कि अधिवक्ता समुदाय न्याय
प्रणालीके सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ तं हैं, न्याय की यात्रा प्रायः एक अधिवक्ता से प्रारंभ होती
है। नागरिक सबसे पहले उन्हीं से न्याय की आशा लेकर मिलता है।
केवल मुकदमों का प्रतिनिधित्व ही नहीं करते, बल्कि वे न्याय के वाहक, अधिकारों के
रक्षक और संविधान के प्रहरी होते हैं। पक्षकारों की पीड़ा को अभिव्यक्ति
प्रदान करते हैं और न्यायालय के समक्ष दृढ़ता से प्रस्तुत करते हैं। अधिवक्ता का
दायित्व न केवल अपने पक्षकार के प्रति है अपितु न्यायालय, समाज एवं सम्पूर्ण
व्यवस्था के प्रति होता है।
जनता का विश्वास इसी समन्वय से निर्मित होता है कि
अधिवक्ता ईमानदारी से तथ्य और कानून प्रस्तुत करें, अधिवक्ताओं
को जनता और न्यायालय के बीच मुख्य सेतु बताते हुए उन्हें जिम्मेदारियों के प्रति
संवेदनशील रहनेके लिए बल दिया ।
मुख्य न्यायाधीश के द्वारा वर्तमान समय में न्यायालयीन कार्य
एवं प्रक्रिया में अधोसंरचना, मूलभूत सुविधाएँ, प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटरीकरण एवं संचार
साधनों के उपयोग की आवश्यकता पर बल देतेहुए कहा गया कि डिजिटल कोर्ट, ईफाइलिंग तथा वर्चुअल सुनवाई की प्रणालीतेजीसे विकसित हो रहीहै, इन बदलावों में अधिवक्ता सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है अतः सीखने की क्षमता में वृद्धि कर नवीन
तकनीक को अपनाने में अधिवक्ताओं की भूमिका अत्यंतयं महत्वपूर्ण है।
तकनीक, न्याय की गति एवं पारदर्शिता को और अधिक सुदृढ़ कर सकती है।
मुख्य न्यायाधीश के द्वारा संबोधन के समापन में “विधि के शासन” विषय को केवल एक दिन की
चर्चामें न रखतेहुए कार्यप्रणालीकी निरंतरं रता में शामिल करनेहेतु आह्वान किया गया।
उपरोक्त कार्यक्रम में श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे
न्यायमूर्ति राकेश मोहन पाण्डेय, न्यायमूर्ति बिभूदत्त गुरु की गरिमामयी
उपस्थिति रही, जिन्होंनेविधि के शासन’ ( ) Rule of Law के विभिन्न आयामों पर
अपने विचार व्यक्त किया और कार्यशाला को उपयोगी एवं सफल बनाने में योगदान
दिया। कार्यक्रम की शुरुआत भूपेन्द्र ठाकुर वरिष्ठ अधिवक्ता बलौदाबाजार के स्वागत
भाषण से हुई और समापन मोहम्मद शारिक खान अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ
बलौदाबाजार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
इस कार्यक्रम में रजनीश श्रीवास्तव रजिस्ट्रार जनरल, सुब्रमण्यम स्वामी
पी.पी.एस., रविन्द्र सिंह नेगीप्रोटोकॉल अधिकारी, छ.ग. उच्च न्यायालय तथा
जिला बलौदाबाजार के न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण,
न्यायालयीन कर्मचारी और इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधि शामिल थे।
