दिल्ली से आए एक फोन के बाद बदल गया छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव की नियुक्ति का समीकरण
सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच है पेंच

रायपुर/ छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को एक नाटकीय घटनाक्रम में रिटायरमेंट से ढाई घंटे पहले 3 महीने का एक्सटेंशन मिल गया । मगर यह सब ऐसे ही नहीं हुआ, रायपुर से लेकर दिल्ली तक इस बात से हिल गई और अंत में तय हुआ कि अमिताभ जैन को ही एक्सटेंशन देकर फिलहाल इस बिन बुलाए संकट को टाला जाए ।
छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव अमिताभ जैन 30 जून को 4 साल 7 महीने का रिकॉर्ड टेन्योर कंप्लीट कर रिटायर होने वाले थे, क्योंकि टाइम काफी ज्यादा हो गया था लिहाजा राज्य सरकार भी उन्हें एक्सटेंशन नहीं देना चाहती थी और ना ही अमिताभ जैन ने ऐसी कोई इच्छा व्यक्त की थी यानी एक्सटेंशन का कोई मामला था ही नहीं…… यही वजह है कि अमिताभ के रिटायरमेंट से ढाई घंटे पूर्व भारत सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दिया तो सारे लोग हैरान रह गए…. अमिताभ जैन स्वयं भी अवाक थे क्योंकि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें एक्सटेंशन मिल जाएगा। अमिताभ तो राजभवन से विदाई लेकर आ चुके थे जाहिर है अगर उन्हें एक्सटेंशन का जरा भी अंदेशा होता या कोई बात हुई होती तो वह राज्यपाल रामेन डेका से मिलने राजभवन क्यों जाते ।
सुब्रत साहू और मनोज पिंगा के बीच सीधी टक्कर
जानकारों का कहना है कि सी एस बनने के लिए नाम तो कई थे मगर मुख्य टक्कर सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच थी इसमें मनोज पिंगुआ राज्य सरकार की पहली पसंद थे राज्य सरकार की प्रायोरिटी में सुब्रत का नाम नहीं था मगर उनके लिए प्रेशर काफी था…… बताते हैं दो दिन पहले दिल्ली से हाई प्रोफाइल हाउस से सुब्रत के लिए फोन आया था मगर सिस्टम में बैठे लोगों को लगा कि इस तरह की सिफारिश से पोस्टिंग नहीं होनी चाहिए। मगर कैबिनेट के बीच अचानक रायपुर के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का फोन आया पूछा गया दिल्ली का हाउस पूछ रहा है अभी तक सुब्रत साहू को चीफ सेक्रेटरी बनने का आदेश क्यों जारी नहीं हुआ इसके बाद अफसर सांप सूंघ गया….. अधिकारी हाउस की सिफारिश को हल्के में ले रहे थे उन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि उनके लिए इतने तगड़े जुगाड का कॉल आ जाएगा, वह ऐसे समय में जब मनोज पिंगुआ का आदेश निकलने वाला था । कैबिनेट में मनोज पिंगुआ ऐसी तैयारी के साथ पहुंचे थे कि उन्हें की अमिताभ जैन के बगल में बिठाया गया था ताकि अमिताभ की विदाई के साथ पिंगुआ को मंत्रियों से इंट्रोड्यूस कर दिया जाए । ऐसे में सुब्रत साहू को सी एस बनाने के लिए दूसरी बार आए फोन से मंत्रालय का पांचवा फ्लोर हिल गया । राज्य सरकार सुब्रत के पक्ष में बिल्कुल नहीं थी और प्रेशर इतना थी कि उन्हें इग्नोर भी करना मुश्किल था ।
सूत्रों की खबर है कि आनन फानन में यहां से डीओपीटी को फोन लगाया गया बताया गया की विकट स्थिति आ गई है मार्गदर्शन करें सवाल था की सिफारिश के बाद अगर सुब्रत को मुख्य सचिव नहीं बनाया गया तो अनावश्यक विवाद खड़ा हो जाएगा तो दिल्ली से बात कर रास्ता निकाला गया कि अभी अब फिलहाल अमिताभ जैन को ही 3 महीने का एक्सटेंशन दिया जाएगा और फिर कोई रास्ता निकाला जाएगा इससे न कोई दुखी होगा और ना ही कोई संकट आएगा इसके बाद चकरी चली डीओपीटी को अमिताभ के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा गया । क्योंकि पहले से टेलीफोन एक बात हो चुकी थी सो देर रात एक्सटेंशन के प्रस्ताव को मजदूर मंजूरी दे दी हालांकि डीओपीटी को भी एक्सटेंशन देने में इसलिए वक्त लगा क्योंकि मामला संवेदनशील था वहां भी उच्च स्तर पर काफी मंत्रणा करनी पड़ी होगी ।
सुब्रत के लिए सरकार तैयार क्यों नहीं
92 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्रत साहू रेनू पिल्ले के बाद दूसरे नंबर के सबसे सीनियर अफसर हैं वे धमतरी सरगुजा और दुर्ग के कलेक्टर रह चुके हैं उनके पिता उड़ीसा के चीफ सेक्रेटरी रहे हैं सुब्रत पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सेक्रेटरी रहे यही वजह है कि सरकार उन्हें सी एस बनाने से बचना चाह रही है सुब्रत के नाम पर भाजपा संगठन के लोग भी तैयार नहीं हो रहे सरकार में बैठे लोगों की दलील है कि सुनील कुमार अजीत जोगी के सेक्रेटरी रहे अगर उन्हें भी 10 साल बाद मुख्य सचिव बनाया गया । सुब्रत साहू पिछले सरकार में सेक्रेटरी टू सी एम रहे उन्हें कैसे सूबे के प्रशासनिक मुखिया की कुर्सी सौंपी जा सकती है । जाहिर है सुब्रत साहू के लिए सेक्रेटरी टू सी एम बनना सी एस बनने के राह में बड़ा रोड़ा बन गया है ।