छत्तीसगढ़

बीज एवं उर्वरकों का शीघ्र उठाव कर लें किसानउप संचालक कृषि ने की अपील

बीज एवं उर्वरकों का शीघ्र उठाव कर लें किसान
उप संचालक कृषि ने की अपील

बिलासपुर, 24 जून 2025/मानसून आने के साथ ही लगातार मध्यम वर्षा जिले के सभी क्षेत्रों में हो रही है। इस वर्ष खरीफ 2025 में मौसम विभाग द्वारा अच्छी बारिश होने की संभावना जताई गई है। वर्तमान समय में जिले के सभी किसान भाई खेती किसानी के कार्यों में व्यस्त है एवं खेती के लिए आवश्यक संसाधन जैसे उर्वरक एवं बीज की व्यवस्था में लगे हुए है।
उप संचालक कृषि ने बताया है कि वर्तमान में जिले के 114 सहकारी समितियों में 19736.62 क्वि. भंडारण किया जा चुका है तथा जिले के किसान 17575 क्वि. बीज का उठाव कर चुके है। उन्होंने किसानों को नकली प्रमाणित बीज से सावधान रहने, सेवा सहकारी समितियों एवं लाईसेन्सधारी कृषि केन्द्रों से ही विश्वस्त प्रमाणित बीजों एव खाद का उठाव करने तथा धान किस्म स्वर्णा के स्थान पर अधिक उपज देने वाली समान अवधि वाली धान किस्म एम.टी.यू. 1318 एवं सी.जी. सोनागाठी म्यूटेन्ट की बोवाई करने कहा है जिसमें कीट एवं बीमारियों से लड़ने की सहन शक्ति अधिक तथा लगातार स्वर्णा किस्म की खेती करने से कीड़े बीमारी का प्रकोप अधिक होता है।
इसी प्रकार जिले में मुख्य रूप से धान की फसल लगाई जाती है। समस्त किसान भाई इस समय धान की नर्सरी लगाने एवं धान की खुर्रा बोनी अथवा बोता करने हेतु खेत की तैयारी करने में व्यस्त है, जिसके लिए सभी किसान भाई जिले के 114 सहकारी समितियों से रासायनिक उर्वरक जैसे यूरिया, डी. ए.पी. एम.ओ.पी., एन.पी.के. एवं एस.एस.पी. जैसे उर्वरकों का उठाव कर रहे है कृषक बंधुओ से अपील है कि यूरिया के साथ-साथ एम.ओ.पी. एवं एस.एस.पी. अथवा एन.पी. के. का उपयोग डी.ए.पी. के स्थान पर कर सकते है जिससे उत्पादन एवं उत्पादन लागत पर खासा प्रभाव नही पडता है अपितु धान फसल का उत्पादन डी.ए.पी. के बगैर पर्याप्त मात्रा में लिया जा सकता है। जिले के किसान यह समझने का प्रयास करे कि डी.ए.पी. खाद की अधिक उपयोग करने से मिट्टी अम्लीयता बढ़ जाती है जिससे खेत की मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है और फसल उत्पादन क्षमता घट जाती है, वही एस.एस.पी. खाद के उपयोग से सल्फर एवं कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की मात्रा बनी रहती है तथा मिट्टी की अम्लीयता कम होने के कारण फसल की उत्पादकता स्वतः बढ़ने की संभावना होती है।
जिले के किसानों से शीघ्र पकने वाले एवं देशी किस्म के धान फसल में डी.ए.पी. के स्थान पर प्रति एकड़ यूरिया 52, सुपरफास्फेट 100, और पोटाश 13, कि.ग्रा. डाल सकते है। इसी प्रकार मध्यम अवधि के धान किस्मों में यूरिया 87, सुपरफास्फेट 150, और पोटाश 27 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से उपयोग कर सकते है। उप संचालक कृषि जिला बिलासपुर श्री पी.डी. हथेश्वर ने बताया कि जिले के 114 सहकारी समितियों में यूरिया 12403 में टन, डी.ए.पी 3375 में.टन, एम.ओ.पी 839 में टन, एस.एस.पी 3956 में.टन, एन. पी.के. 1450 में टन भंडारण किया जा चुका है, जिसमें से यूरिया 8607 में.टन, डी.ए.पी. 2794 में.टन, एम.ओ. पी. 505 में.टन, एस.एस.पी. 2252 में.टन, एवं एन.पी. के. 1020 में.टन, का वितरण किया जा चुका है।
उप संचालक कृषि ने यह भी अपील की है कि उच्च्चहन भूमि जहां जल का भराव कम होता है एवं सिंचाई हेतु पर्याप्त संसाधन नहीं है पैसे खेतो का चुनाव करके धान के स्थान पर मक्का एवं दलहन-तिलहन फसलों जैसे अरहर, उड़द, मूंग, मूंगफली, तिल एंव सोयाबीन की खेती कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है तथा लगातार एक ही खेत में धान की फसल बोने से मिट्टी की की उर्वरा क्षमता कम हो जाती है कीड़े बिमारी भी अधिक लगते है तथा खेती की लागत बढ़ने के कारण किसान भाईयों की आमदनी लगातार घट जाती है।

Related Articles

Back to top button