संस्कृत-हिंदी विषय के शिक्षकों की सभी शालाओं में हो पदस्थापना, युक्तियुक्तिकरण के तहत संशोधित हो नियम : अनुभव तिवारी

जांजगीर-चांपा – संस्कृत और हिंदी जैसे मूलभूत विषयों के शिक्षकों की समुचित स्थापना को लेकर राज्य कर्मचारी संघ जांजगीर-चांपा के जिला अध्यक्ष अनुभव तिवारी ने मांग की है कि युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया के तहत सभी शालाओं में इन विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
अनुभव तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में कई स्कूलों में संस्कृत और हिंदी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के लिए शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। युक्तियुक्तिकरण के नाम पर शिक्षकों के पदों को समाप्त करना या उनका असंतुलित समायोजन करना शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संस्कृत और हिंदी जैसे आधारभूत विषयों के शिक्षकों की हर शाला में आवश्यकता है। इसलिए युक्तियुक्तिकरण के नियमों में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी शाला इन विषयों के शिक्षक से वंचित न रहे।
जिला अध्यक्ष तिवारी ने राज्य शासन से मांग की है कि नीति में संशोधन कर शिक्षकों की नियुक्ति और समायोजन में पारदर्शिता लाई जाए ताकि बच्चों की शिक्षा में बाधा न आए।
संस्कृत को देववाणी कहा जाता है और यह भारतीय संस्कृति, दर्शन और ज्ञान का मूल स्रोत है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य कर्मचारी संघ जांजगीर-चांपा के जिला अध्यक्ष अनुभव तिवारी ने मांग की है कि युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया के तहत छठवीं से आठवीं कक्षा तक संस्कृत व हिन्दी विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाए।
अनुभव तिवारी ने कहा कि संस्कृत भाषा न केवल हमारी विरासत है बल्कि आधुनिक विज्ञान, गणित और तकनीकी शब्दावली की भी जननी है। इसलिए हर शाला में संस्कृत शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि छात्र अपनी जड़ों से जुड़े रहें और उत्कृष्ट ज्ञान प्राप्त कर सकें।