Face To Face Madhya Pradesh: वक्फ पर सियासत भारी..बिल लागू..बवाल जारी, बिल पर सवाल उठाना क्या संसद की विश्वसनीयता कम करता है?

भोपाल: नया वक्फ कानून अमल में आ गया है। संसद ने अपना काम कर दिया है। राजपत्र में प्रकाशन भी हो चुका है पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। मुस्लिम समुदाय का एतराज एहतजाज अब भी जारी है। आज मप्र में नए बिल के विरोध में प्रदर्शन हुआ। बयान आए मतलब ये कि सदन के बाहर बिल पर बहस जारी है। अब सवाल ये है कि इस बहस का अंजाम क्या होगा?
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राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश में वक्फ बोर्ड एक्ट लागू हो चुका है। लेकिन नए वक्फ कानून को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ऐतराज़ है। बोर्ड का मानना है कि अल्पसंख्यको के साथ जोर जबरदस्ती की जा रही है। उनकी संपत्तियों को हड़पने की साजिश रची जा रही है। वो भी तब जब कानूनी रुप से एक्ट के संशोधन के लिए संसद की सर्वदलीय समिति ने देशभर के अल्पसंख्यकों से सुझाव मांगे थे और उसी आधार पर संशोधन के जरिए नया कानून भी बना। बावजूद इन सबके देश के अल्पसंख्यक वर्ग का एक धड़ा इसे अपने साथ धोखा मानता है।
फिलहाल ये कानून देशभर में लागू हो चुका है। मध्यप्रदेश में वक्फ की 33 हजार 500 संपत्तियां हैं। जमीन,मस्जिद,मजार,दुकान,मकान,कब्रिस्तान तक वक्फ बोर्ड के पास हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि अकेले भोपाल में कुछ साल पहले तक 130 कब्रिस्तान हुआ करते थे लेकिन आज सिर्फ 30 कब्रिस्तान बचे हैं। बीजेपी सरकार कहती है कि ऐसे ही वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जे हुए हैं और नए कानून के जरिए अवैध कब्जे छुड़ाए जाएंगे।
दरअसल वक्फ एक्ट के समर्थन और खिलाफत की कई सियासी वजहें भी हैं। बीजेपी का दावा है कि मध्यप्रदेश में वक्फ बोर्ड की तमाम संपत्तियों पर अवैध कब्जे कांग्रेस नेताओं के ही हैं। ना सिर्फ भोपाल बल्कि इंदौर,उज्जैन,बुरहानपुर,खंडवा,खरगौन और जबलपुर में कांग्रेस नेताओं ने वक्फ की संपत्तियों पर सालों से अवैध कब्जा जमाए रखा है। जाहिर है ये वो आरोप हैं जिनका जवाब फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं है।