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Bus Fare Incease News: महंगाई का एक और झटका.. 50% तक बढ़ा बसों का किराया, सरकार ने बताया फाइनेंशियल प्रॉब्लम

Bus Fare Incease in Himachal Pradesh

Bus Fare Incease in Himachal Pradesh: शिमला: वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने आम जनता से जुड़े दो बड़े फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कैबिनेट ने बस किराए में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है और साथ ही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं वापस लेने का फैसला किया है।

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न्यूनतम बस किराया अब 10 रुपये

राज्यभर में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाले हिमाचल सड़क परिवहन निगम (HRTC) के घाटे को देखते हुए सरकार ने न्यूनतम बस किराया 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक परिवहन को चालू रखने के लिए जरूरी था। हालांकि, इससे आम जनता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने की आशंका है। सरकार ने तर्क दिया कि मौजूदा वित्तीय संकट को देखते हुए यह बढ़ोतरी अनिवार्य है और इससे परिवहन सेवाओं को बाधित होने से बचाया जा सकेगा।

जलविद्युत परियोजनाएं राज्य के नियंत्रण में

Bus Fare Incease in Himachal Pradesh: सरकार ने कैबिनेट बैठक में यह भी निर्णय लिया कि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) के पास मौजूद चार जलविद्युत परियोजनाओं को राज्य सरकार अपने अधीन लेगी। इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

  • सुन्नी प्रोजेक्ट (382 मेगावाट)
  • लुहरी चरण-I (210 मेगावाट)
  • धौलासिद्ध प्रोजेक्ट (66 मेगावाट)
  • डुगर प्रोजेक्ट (500 मेगावाट)

इसके अलावा, एनएचपीसी से भी चंबा जिले की बैरा सुइल (180 मेगावाट) परियोजना को वापस लेने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट की 40 साल की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है।

दीर्घकालिक स्थिरता पर ध्यान: मंत्री

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ये कदम राज्य के लंबी अवधि के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, “कठिन समय में लोग कठिन फैसलों को समझेंगे। हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं रहे हैं। चाहे वह परिवहन सेवा को बेहतर बनाना हो या जलविद्युत संसाधनों पर राज्य का नियंत्रण बढ़ाना हो, हमारा फोकस हिमाचल की दीर्घकालिक स्थिरता पर है।”

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सत्ताधारी सरकार का आरोप

Bus Fare Incease in Himachal Pradesh: सुक्खू सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उसने इन परियोजनाओं को केंद्रीय कंपनियों को सौंपते वक्त राज्य को पर्याप्त लाभ नहीं दिलाया। वर्तमान फैसलों को राज्य के आर्थिक अधिकारों को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक प्रयास माना जा रहा है। इन निर्णयों से जहां राज्य की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण मजबूत करने का सरकार का इरादा भी स्पष्ट होता है।

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