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सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना है -आयुक्त श्री अग्रवाल

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*प्रशासन को जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य*
*अपने निर्णय को समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व*

रायपुर 04 जनवरी 2020/ छत्तीसगढ़ राज्य के सूचना आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने आज ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा के सभाकक्ष में पंचायत के नव निर्वाचित प्रतिनिधियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षकों को सूचना का अधिकार विषय पर प्रशिक्षण देते हुए कहा कि प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों के द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है। शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करे, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।
आयुक्त श्री अशोक अग्रवाल ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जाए। ठाकुर प्यारेलाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, निमोरा में मुंगेली जशपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा जिले के जनपद पंचायतों के 32 मास्टर ट्रेनर्स भाग ले रहे थे ।
श्री अग्रवाल ने कहा कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है और प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकाॅपी उपलब्ध कराई जाए। श्री अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि आयोग के पत्रों का जवाब अवश्य दें और आयोग के निर्णय का पालन करें ।
उन्होंने कहा कि शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।
आयोग के संयुक्त संचालक श्री धनंजय राठौर ने ने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को अपने जनसूचना अधिकारी को समझा सकें, इसलिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन शुल्क के रुप में संलग्न स्टाम्प छत्तीसगढ़ राज्य का है तभी स्वीकार करें अन्य राज्य के होने पर अमान्य करते हुए अमान्य कर दें।
श्री राठौर ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शुल्क के रूप में नगद राशि बैंक चालान, भारतीय पोस्टर आर्डर, बैकर्स चेक, बैंक ड्राफ्ट और छत्तीसगढ़ राज्य का नान ज्युडिशियल स्टाम्प पेपर जमा किया जा सकता है । उन्होंने स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार के तहत कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेजों की छायाप्रति निर्भीक होकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि
आयोग के पत्रों का जवाब अवश्य दें और आयोग के निर्णय का पालन करें ।
आयोग की ओर से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा को पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से प्रदर्शित कर विस्तृत जानकारी दी गयी और मास्टर ट्रेनर्स की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।

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