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Aap Ki Baat: महिलाओं को रिझाने की होड़..फ्रीबीज की कैसी अंधी दौड़? महिलाओं को सम्मान निधि देने की योजना क्या अब चुनावी जीत की गारंटी बन गई है?

Aap Ki Baat/ Image Credit: IBC24

रायपुर। Aap Ki Baat:  आज आप की बात में बात हमारी आपकी यानि आधी आबादी की जो हर क्षेत्र में सशक्त है, लेकिन इन दिनों महिला को रिझाने की एक होड़ सी है। फ्रीबीज की अंधी दौड़ सी है। कहना गलत नहीं कि चुनाव जीतना है अगर, तो महिलाओं को मुफ्त की रेवड़ी बांट दो उनके खातों में राशि डालने का वादा कर लो। बस फिर देखिए कैसे जीत का रास्ता खुलता है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और अब दिल्ली बार-बार एक ही फॉर्मूले को दोहराया गया और हर बार इस फॉर्मूले ने काम किया। इसके मायने क्या है क्या महिला वोटर्स को अपनी ओर करने का यही एकमात्र जरिया रह गया है क्या बीजेपी ने महिलाओं के मन तक पहुंचने का पासकोड खोज निकाला है या फिर महिलाओं ने अपने संख्या बल और एकजुट ताकत से ये एहसास दिला दिया है कि वो भी एक राजनीतिक शक्ति है और वो सत्ता बनाने या पलटने दोनों में ही सक्षम है?

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महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद देने की शुरुआत मध्य प्रदेश में हुई थी। वहां तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पात्र महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने की शुरुआत की थी। दिसंबर 2023 में हुए चुनाव से ठीक पहले इस राशि को बढ़ाकर 1250 रुपये प्रति महीना कर दिया गया, जिसका फायदा राज्य में भाजपा को बंपर जीत के रूप में मिला। इसी चुनाव में छत्तीसगढ़ में तब विपक्ष में रही भाजपा ने भी महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को 1000 रुपए महीना देने का वादा किया जो काम कर गया और राज्य में भाजपा की ऐतिहासिक जीत हुई। सरकार बनते ही मार्च 2024 से ये योजना लागू कर दी गई।

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फिलहाल ऐसी योजनाएं करीब दर्जनभर राज्यों में चलाई जा रही हैं। मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को 1250 रुपए हर महीने दिए जा रहे हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना के तहत 1000 रुपए, झारखंड में मईया सम्मान योजना के तहत 2500 रुपए और महाराष्ट्र में माझी लाडकी बहिन के तहत 1500 रुपए हर महीने बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा रहे हैं। कर्नाटक में ये योजना गृहलक्ष्मी के नाम से है और यहां महिलाओं को 2000 रुपए दिए जाते हैं। असम में अरुणोदोई योजना के तहत 1250 रुपए, तमिलनाडु में मगलीर उरीमाई थोगाई के तहत 1000 रुपए, हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी प्यारी बहना के तहत 1500 रुपए और पश्चिम बंगाल लक्ष्मी भंडार के तहत सामान्य महिलाओं को 1000 और ST-SC महिलाओं को 1200 रुपए दिए जाते हैं। इसी तर्ज पर ओडिशा में सुभद्रा योजना के तहत सालाना 10000 रुपए और गुजरात में नमो श्री योजना के तहत 12000 रुपए सालाना देने का प्रावधान है। इनमें कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में गैर भाजपा सरकार है।

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दक्षिण भारत में इस तरह की योजनाएं बहुत पहले ही शुरू की गई थीं। तमिलनाडु में परिवार को टीवी और मिक्सर देने जैसी योजनाएं बहुत पहले से चल रही थीं, वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में वहां की विपक्षी एआईडीएमके ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में हर साल हर परिवार को छह मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, मुफ्त में मकान, किसानों को साढ़े सात हजार रुपये सालाना,मुफ्त सोलर कुकिंग स्टोव और वाशिंग मशीन देने का वादा किया था.इसके अलावा पार्टी ने उन परिवारों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी का वादा किया था, जिसमें कोई सरकारी नौकरी में नहीं हैं।

Aap Ki Baat:  महिलाओं को कैश ट्रांसफर की योजना चुनाव में सफलता का रामबाण साबित हुई। इसके असर को देखते हुए धीरे-धीरे इसे सभी दलों ने दूसरे राज्यों के चुनाव में इसे आजमाना शुरू कर दिया। ऐसे में सवाल ये कि क्या फ्रीबीज की मेहरबानी महिलाओं पर कुछ ज्यादा क्यों हो रही है? महिलाओं को सम्मान निधि देने की योजना क्या अब चुनावी जीत की गारंटी बन गई है?क्या सियासी दलों के लिए अब महिलाओं के समर्थन के बगैर जीतना मुश्किल हो गया है? और क्या मुफ्त वाली योजनाएं महिला वोटबैंक की बुनियाद को कमजोर कर रही है? सवाल ये भी कि महिलाओं को दी जा रही सौगातों की ये होड़ कहां जाकर थमेगी? और कब

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